चंडीगढ़. हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (एजसीएमएस) और सरकार के बीच वार्ता का सकारात्मक परिणाम निकला है और ऐसे में अब डॉक्टरों की हड़ताल (Doctors Strike) समाप्त हो गई है. एजसीएमएस की ओर से हड़ताल ख़त्म करने का ऐलान किया गया है. इससे पहले, बुधवार को मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल और मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव अमित कुमार अग्रवाल से एजसीएमएस प्रतिनिधियों ने मीटिंग की थी. सरकार के साथ एजसीएमएस प्रतिनिधियों को काम पर लौटने और बैकलॉग पूरा करने की विषय पर भी सहमति बनी है.
दरअसल, हरियाणा में लंबे समय से डॉक्टर सरकार से मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं. बीते दो तीन माह से सरकार और डॉक्टरों में खींचतान चल रही है. पहले भी डॉक्टर्स बीच बीच में दो घंटे की हड़ताल करते आए हैं. लेकिन बुधवार को मांगें पूरी ना होने पर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सभी तरह की सेवाएं डॉक्टरों ने बंद कर दी. दो दिन से चली आ रही हड़ताल से मरीजों का खासी परेशानी हुई. ऐसे में अब डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म करने का ऐलान किया है. फिलहाल, मांगों पर सहमति बनी है. लेकिन आधिकारिक तौर पर कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं की गई है.
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हड़ताल खत्म करने के बाद डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रधान डॉ राजेश ख्यालिया ने बयान जारी किया और कहा कि हमारी सभी मांग सरकार ने मांग ली हैं. ऐसे में स्ट्राइक खत्म कर दी है और आज सामान्य रूप से सभी अस्पतालों में कामकाज होगा. उन्होंने बताया कि 15 अगस्त तक सभी मांगों का नोटिफिकेशन सरकार जारी कर देगी. देर रात हमारी अधिकारियों से बातचीत हुई और उसके बाद हल निकला है. बता दें कि दो दिन की हड़ताल से हरियाणा में मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी. अस्पताल से उन्हें बिना इलाज के लौटना पड़ा. पानीपत में महिला की डिलीवरी फर्श पर ही हो गई. डॉक्टरों ने महिला को यहां से रेफर कर दिया था.
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क्या हैं मांगें
हरियाणा सरकार से डॉक्टर्स की मांग है कि एसीपी को केंद्र और बिहार की तर्ज पर 5,10 और 15 साल की बजाय 4,9 और 13 किया जाए. इसके अलावा, सीएमओ की भर्ती सरकार सीधी ना करे और प्रमोशन के आधार पर डॉक्टरों को पद दिए जाएं. वहीं, स्पेशलिस्ट केडर बनाया जाए, ताकि डॉक्टरों को दूसरे काम ना करने पड़ें. साथ ही ट्रैवल भत्ता 500 रुपये के बजाये 3000 रुपये मांगा जा रहा है. उधर, बुधवार शाम को चंडीगढ़ में सरकार और डॉक्टरों की मीटिंग में केवल एक मांग पर सहमति बन पाई थी. सरकार ने मांग पीजी स्टूडेंट्स की बॉन्ड राशि को एक करोड़ से घटाकर 50 लाख कर दिया और नोटिफिकेशन जारी कर दी.
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