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– फोटो : अमर उजाला
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आखिर वह घड़ी आ गई है, जिसका राजनीतिक दल व मतदाता कई महीनों से इंतजार कर रहे थे। मतदान का मुहूर्त पांच अक्तूबर शनिवार सुबह छह से शाम सात बजे का है। भाजपा ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में और दस साल से विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने सत्ता में लौटने के लिए पूरी ताकत लगा दी है।
हरियाणा के चुनाव में जाति के साथ तीसरे दल के समीकरण की अहम भूमिका रही है। जो भी इन समीकरणों को साधने में कामयाब होगा, वही सरकार बनाने की ओर अग्रसर होगा।
लिहाजा भाजपा और कांग्रेस ने अपने अनुकूल जातियों के समीकरणों को साधने की कोशिश की है। भाजपा ने ओबीसी व सामान्य वर्ग और कांग्रेस ने जाट, मुस्लिम, सिखों को लामबंद कर सत्ता हासिल करने की रणनीति तैयार की है। वहीं, दलित वर्ग को दोनों ही दलों ने लुभाने की कोशिश की।
ये वर्ग ही इस बार निर्णायक साबित होने वाला है। जिस तरफ भी दलितों का झुकाव हुआ, उस राजनीतिक दल का पलड़ा भारी हो सकता है। फिलहाल दलितों के एक वर्ग हरिजन का कांग्रेस की ओर और धानक व वाल्मीकि का भाजपा की ओर झुकाव देखा जा रहा है।
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