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पर्सनल लोन, होम लोन और कार लोन पर क्या घटने वाली हैं ब्याज दरें? – India TV Hindi Business News & Hub

पर्सनल लोन, होम लोन और कार लोन पर क्या घटने वाली हैं ब्याज दरें? – India TV Hindi Business News & Hub

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Photo:FILE आरबीआई रेपो रेट

भारत में लोगों को लंबे समय से पर्सनल लोन, होम लोन और ऑटो लोन सहित सभी तरह के कर्ज पर ब्याज दरें घटने का इंतजार है। ऐसा तब होगा, जब भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई अपनी प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट को घटाना शुरू करेगा। रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों और वित्तीय संस्थानों को कर्ज देता है। जब बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है, तो वे ग्राहकों को भी सस्ता कर्ज ऑफर करते हैं। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट तय की जाती है। यह बैठक हर 2 महीने में होती है। आज बुधवार से आरबीआई एमपीसी की बैठक शुरू हो गई है। 6 दिसंबर को आरबीआई गवर्नर इस बैठक के फैसले के बारे में बताएंगे। 

क्या घटेगी ब्याज दर?

केंद्रीय बैंक महंगाई के आंकडों और आर्थिक वृद्धि दर को देखते हुए रेपो रेट पर फैसला लेता है। खुदरा महंगाई के आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर होने के कारण रेपो रेट पर यथास्थिति का अनुमान है। ऐसे में लोन ग्राहकों का इंतजार और बढ़ सकता है।आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास अपने मौजूदा कार्यकाल की आखिरी एमपीसी बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। उनका कार्यकाल 10 दिसंबर को खत्म हो रहा है। सरकार ने आरबीआई को खुदरा महंगाई दो फीसदी घट-बढ़ के साथ चार फीसदी पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। 

फरवरी 2023 से नहीं हुआ कोई बदलाव

आरबीआई ने फरवरी 2023 से रेपो यानी अल्पकालिक ब्याज दर को 6.5 फीसदी पर बनाये रखा है। एक्सपर्ट्स का मानना ​​है कि इसमें 2025 में ही कुछ ढील मिल सकती है। एसबीआई की एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है, ”हमें चालू वित्त वर्ष में रेट कट की उम्मीद नहीं है। पहला रेट कट तथा तथा रुख में और बदलाव अप्रैल 2025 में होने की उम्मीद है।” मैन्यूफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर की खराब परफॉर्मेंस के कारण चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ दो साल के निचले स्तर 5.4 फीसदी पर आ गई। वित्त वर्ष 2023-24 की जुलाई-सितंबर तिमाही में GDP में 8.1 फीसदी की वृद्धि हुई थी। एसबीएम बैंक इंडिया के ट्रेजरी प्रमुख मंदार पिताले ने कहा, “आरबीआई को रेट कट पर विचार करने के बजाय सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) में चरणबद्ध कटौती करके नकदी बढ़ाकर ग्रोथ को सपोर्ट देना चाहिए।

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(पीटीआई/भाषा के इनपुट के साथ)

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