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पर्दा प्रथा को दूर करने का ढाणी बीरन गांव के चौपाल में ग्रामीणों ने प्रण लिया और बहुओं और बेटियों को पर्दा प्रथा से मुक्ति दिलवाई। डिटेल में पढ़ें खबर…
घूंघट की ओट से निकला ढाणी बीरन – फोटो : अमर उजाला
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“बेटी तो वह है जो हमारे घर पर आती है, हमारे घर को बढ़ाती है, हमने बेटी जन्मी है वह अगलों का घर बढ़ाएगी। आज से हम यह प्रण लेते हैं कि किसी बहू-बेटी को यह नहीं कहेंगे कि घूंघट क्यों उतार रखा है…अगर कोई इसका विरोध करेगा तो उसके खिलाफ पंचायत कर उचित निर्णय लिया जाएगा।”
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ढाणी बीरन गांव की चौपाल पर रात के करीब आठ बजे बुजुर्ग धर्मपाल जब यह कहते हैं तो बाकी लोग दोनों हाथ उठाकर उनका समर्थन करते हैं। साथ ही खड़ीं गांव की सरपंच कविता देवी घूंघट की ओट से बाहर आने की पहल करती हैं और इस तरह हरियाणा का एक गांव पर्दा प्रथा से बेटियों-बहुओं को मुक्ति दिलाता है।
तोशाम उपमंडल के इस गांव में शुक्रवार को उपायुक्त महावीर सिंह कौशिक के रात्रि ठहराव कार्यक्रम में यह नई इबारत लिखी गई। उपायुक्त ने कुप्रथा पर चोट की तो सरपंच ने आगे आकर खुद से पहल की। उपायुक्त ने ग्रामीणों की समस्याएं सुनना चाहीं। सरपंच के पति राजबीर ने समस्याएं रखने लगे। उपायुक्त ने उन्हें टोकते हुए कहा, सरपंच कविता देवी ही समस्याएं रखें। कुछ लोगों ने कहा कि यह महिला सरपंच जेबीटी पास हैं। घूंघट करती हैं और आगे आने में झिझक महसूस करती हैं।
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पर्दा प्रथा को दूर करने का प्रण: घूंघट की ओट से निकला ढाणी बीरन, गूंजी बदलाव की कविता