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10 घंटे पहले
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थॉमस एल. फ्रीडमैन, तीन बार पुलित्ज़र अवॉर्ड विजेता एवं ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में स्तंभकार
मौजूदा ईरान-इजराइल-हमास-हिजबुल्ला टकराव जल्द ही अमेरिका को भी अपनी चपेट में ले सकता है। अब तो और भी स्पष्ट हो गया है कि- जहां 7 अक्टूबर को इजराइल पर हमास के अप्रत्याशित आक्रमण की वजह आंशिक रूप से इजराइली बस्तियों का बेतहाशा विस्तार, फिलिस्तीनी कैदियों के साथ क्रूर व्यवहार और यरूशलम में मुस्लिम धर्मस्थलों पर अतिक्रमण था- वहीं वह आतंकी हमला अमेरिका को मध्य-पूर्व से बाहर निकालने और अमेरिका के अरब और इजराइली सहयोगियों को एक कोने में धकेलने के व्यापक ईरानी अभियान का भी हिस्सा था।
यही कारण है कि अगर इजराइल, ईरान और ईरान के सहयोगियों (हमास, हिजबुल्ला, हूती) के बीच मौजूदा संघर्ष एक व्यापक पैमाने वाले युद्ध में बदल जाता है- जिसे इजराइल बहुत लंबे समय तक अकेले नहीं लड़ सकता है- तो जो बाइडेन को अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के सबसे महत्वपूर्ण निर्णय का सामना करना पड़ सकता है।
यह कि क्या अमेरिका को इजराइल के साथ मिलकर ईरान के साथ युद्ध करना है और तेहरान के परमाणु-कार्यक्रम को खत्म करना है, जो इस क्षेत्र में ईरान के रणनीतिक नेटवर्क का मुख्य आधार है? ईरान मध्य-पूर्व में अमेरिका के रसूख को खत्म करने और अपने सहयोगियों की मदद से इजराइल को नष्ट करने के लिए उस नेटवर्क का निर्माण कर रहा है।
लेकिन अमेरिका को हमेशा इस बात से भी सावधान रहना चाहिए कि इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू क्या करने जा रहे हैं। जैसा कि एक पूर्व इजराइली राजनयिक एलोन पिंकास ने कहा है, बड़े आश्चर्य की बात है कि जब इजराइली बंधकों की रिहाई की वार्ता एक नाजुक दौर से गुजर रही थी, तब नेतन्याहू ने तेहरान में हमास नेता इस्माइल हनीये की हत्या करने का फैसला ले किया!
क्या यह सिर्फ इसलिए किया गया, क्योंकि ऐसा किया जा सकता था (इसमें किसे संदेह है कि हनीये की आस्तीनों पर बहुत सारा इजराइली खून लगा था)? या क्या इजराइल जानबूझकर इस उम्मीद में तनाव को बढ़ा रहा था कि ईरान के साथ टकराव अमेरिका को भी इस संघर्ष में घसीट लाएगा, जिससे नेतन्याहू 7 अक्टूबर की शर्मिंदगी से पल्ला झाड़ सकेंगे?
नेतन्याहू ने अपने लगभग 17 वर्षों के कार्यकाल में मध्य-पूर्व में अमेरिकी हितों की सहायता की है तो उन्हें कमजोर भी किया है। नेतन्याहू कभी भी अमेरिकी हितों को अपने राजनीतिक अस्तित्व की जरूरतों से आगे नहीं रखेंगे।
वे तो कुर्सी पर काबिज रहने के लिए इजराइल के हितों की भी चिंता नहीं करने वाले। लेकिन यह भी सच है कि ईरान मध्य-पूर्व में सबसे बड़ी साम्राज्यवादी शक्ति है, और अपने सहयोगियों के माध्यम से वह लेबनान, सीरिया, गाजा, इराक और यमन में रहने वाले लाखों अरबों की राजनीति पर हावी रहता है। वह अपने नागरिकों को भी इजराइल के साथ युद्ध में घसीट रहा है, जिनमें से कुछ की इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। आज कोई अरब नेता ईरान के हितों के प्रतिकूल निर्णय नहीं ले सकता है।
लेबनान 30 अक्टूबर, 2022 के बाद से ही अपने यहां एक अदद राष्ट्रपति की नियुक्ति नहीं कर पाया है, जिसका एक बड़ा कारण यह है कि ईरान एक स्वतंत्रचेता लेबनानी नेता के हाथों में वहां की कमान सौंपेगा नहीं।
ईरान के राष्ट्रपति की एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु के बाद लेबनान और सीरिया को तीन दिनों तक शोक मनाना पड़ा था। जी हां, किसी दूसरे देश के राष्ट्रपति के लिए तीन दिनों का शोक। इसी का नाम है : ईरानी साम्राज्यवाद।
इजराइल ने अतीत में भी हमास के नंबर 1 और नंबर 2 नेताओं को मारा है। लेकिन समस्या यह है कि हमास और हिजबुल्लाह नेटवर्क हैं, और नेटवर्क में हर कोई नंबर 2 होता है। उत्तराधिकारी हमेशा उभरते रहते हैं, और वे अक्सर अपने पूर्ववर्तियों से भी बदतर होते हैं।
हमास को राजनीतिक रूप से हाशिए पर डालने और ईरान को क्षेत्रीय रूप से अलग-थलग करने का एकमात्र तरीका यह है कि इजराइल एक स्पष्ट और अधिक उदार विकल्प को सशक्त बनाने में मदद करे।
वह है फिलिस्तीनी प्राधिकरण, जिसने ओस्लो समझौते को अपनाया है और जो वेस्ट बैंक हिंसा पर अंकुश लगाने की कोशिश करने के लिए प्रतिदिन इजराइल के साथ सहयोग करता है। इसे नेतन्याहू अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि वे हमास के किसी भी विश्वसनीय फिलिस्तीनी विकल्प को अवैध बनाना चाहते हैं ताकि दुनिया को बता सकें कि इजराइल के पास टू-स्टेट सॉल्यूशन की कोई गुंजाइश ही नहीं है।
जब इजराइली बंधकों की रिहाई की वार्ता एक नाजुक दौर से गुजर रही थी, तब नेतन्याहू ने तेहरान में हमास नेता इस्माइल हनीये की हत्या करने का फैसला क्यों लिया? ताकि अमेरिका को इस टकराव में उलझाया जा सके?
(द न्यूयॉर्क टाइम्स से)
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थॉमस एल. फ्रीडमैन का कॉलम:ईरान से युद्ध में यूएस को भी घसीटना चाहता है इजराइल