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प्राकृतिक खेती पर अमर उजाला का संवाद कार्यक्रम मंगलवार को हमेटी में आयोजित हुआ। इसमें किसानों को प्राकृतिक खेती से होने वाले लाभों के बारे में डॉ. भरत सिंह घनघस सहायक वैज्ञानिक विस्तार शिक्षा संस्थान नीलोखेड़ी व डॉ. सुभाषचंद्र प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण सलाहकार ने जागरूक किया।
इसमें डॉ. सुभाष चंद्र ने किसानों को प्राकृतिक खेती शुरू करने के लिए जीवामृत तैयार करने का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने किसानों को बताया कि जीवामृत तैयार करने के लिए 10 किलोग्राम देसी गाय का गोबर, पांच किलो गाय का पेशाब, 2.5 किलो गुड़, एक किलो बेसन और 500 ग्राम पुराने बढ़ या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी लेकर, इन सब को 200 लीटर पानी के ड्रम में घोल बनाकर छाया में ढककर रखना है। 10 दिन तक सुबह शाम लकड़ी की छड़ी के साथ घड़ी की सुई की तरह ड्रम में घोल को हिलाना है। इस प्रकार 10 दिन बाद यह 200 लीटर जीवामृत का घोल एक एकड़ के लिए तैयार हो जाता है। इसको खेत में छिड़काव विधि से भी डाल सकते हैं।
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