[ad_1]
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के कार्यकर्ताओं व समर्थकों ने स्थानीय पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस के सामने नई राष्ट्रीय कृषि व्यापार नीति की प्रतियां जलाई। साथ ही इन्हें निरस्त करने की केंद्र सरकार से मांग की। इसे किसान मजदूर विरोधी बताते हुए प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार की पूंजीपति हितैषी नीतियों के खिलाफ नारे लगाए।
संगठन के जिला सचिव डॉ. व्रतपाल सिंह ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किए गए कृषि व्यापार के राष्ट्रीय प्रारूप के मसौदे नेशनल पॉलिसी फ्रेमवर्क ऑन एग्रीकल्चर मार्केटिंग किसान विरोधी ही नहीं, जनविरोधी भी है। उन्होंने कहा कि संगठन इसके विरोध में जनसंपर्क अभियान चलाएगा और किसानों, ग्रामीण भूमिहीन गरीबों, श्रमिकों और आम जन के साथ 25 फरवरी को चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन करके मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन देगा। उन्होंने कहा कि कृषि व्यापार पर जारी की गई मसौदा नीति की रूपरेखा 2021 में निरस्त किए गए तीन काले कृषि कानूनों से भी अधिक खतरनाक है। यदि इस नीति को लागू किया जाता है तो यह किसानों, खेत मजदूरों, भूमिहीन ग्रामीण गरीबों, छोटे उत्पादकों और छोटे व्यापारियों को बर्बाद कर देगी। यह नीति मौजूदा कृषि मंडियों के पुनर्गठन के लिए है और इसे एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार में बदलने का प्रस्ताव करती है। इसका उद्देश्य कृषि उपज को कॉर्पोरेट घरानों के हाथों में देने का है। इस नीति से भारत भर में फैली 7057 पंजीकृत मंडियों और 29931 ग्रामीण हाटों से आढतियों, छोटे व्यापारियों व मजदूरों को एक झटके में बाहर कर दिया जाएगा। इस पालिसी के लागू होने से कांट्रेक्ट फार्मिंग का काला कानून फिर अस्तित्व में आ जाएगा। फसलों की सरकारी खरीद बंद हो जाएगी अर्थात एमएसपी पर खरीद व एपीएमसी मंडियां भी नहीं रहेंगी, जिससे बाजार में उतार चढ़ाव की स्थिति बनी रहेगी।
[ad_2]
VIDEO : नारनौल में किसान संगठनों ने नई राष्ट्रीय कृषि व्यापार नीति की जलाई प्रतियां