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किसानों को अपनी आय को स्थायित्व देने और बढ़ाने के लिए पारंपरिक फसलों के साथ-साथ बागवानी फसलों, विशेषकर प्याज और लहसुन की खेती को अपनाना चाहिए। यह बात महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय, करनाल के कुलपति डॉ. एस.के. मल्होत्रा ने सोमवार को कुरुक्षेत्र पंचायत भवन में आयोजित राष्ट्रीय राज्य स्तरीय संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर कही।
यह दो दिवसीय संगोष्ठी एकीकृत राष्ट्रीय बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा आयोजित की गई है। संगोष्ठी में उत्तरी भारत के किसानों को प्याज और लहसुन की उन्नत किस्मों, उत्पादन तकनीक, और कटाई उपरांत प्रबंधन के बारे में जागरूक किया गया।
डॉ. मल्होत्रा ने किसानों को आह्वान किया कि वे कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ-साथ बागवानी विश्वविद्यालयों से भी मार्गदर्शन लें ताकि वैज्ञानिक पद्धतियों से उत्पादन बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा, “आज के समय में केवल पारंपरिक खेती पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। बागवानी फसलें किसानों की आय बढ़ाने में बड़ा योगदान दे सकती हैं।”
कार्यक्रम में चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षा निदेशक डॉ. बलवान सिंह मंडल और विशेषज्ञ आलोक सिंह ने बताया कि संगोष्ठी का उद्देश्य है प्याज और लहसुन की उन्नत खेती को बढ़ावा देना, ताकि किसानों की फसल लागत घटे, उत्पादन बढ़े, और आय में वृद्धि हो।
इस मौके पर नेशनल हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन द्वारा किए गए कार्यों को प्रेजेंटेशन के माध्यम से दर्शाया गया। साथ ही वैज्ञानिकों ने प्याज-लहसुन की खेती में किए गए अनुसंधान और प्रयोगों की जानकारी साझा की।

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VIDEO : कुरुक्षेत्र में डॉ. एस.के. मल्होत्रा बोले, बागवानी फसलें अपनाकर किसान करें आय सुरक्षित