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US टैरिफ का दबाव, फिर भी GDP 8.2% से बढ़ी: 6 तिमाही में सबसे ज्यादा; आम आदमी ने ज्यादा खर्च किया, फैक्ट्रियों का प्रोडक्शन बढ़ा Business News & Hub

US टैरिफ का दबाव, फिर भी GDP 8.2% से बढ़ी:  6 तिमाही में सबसे ज्यादा; आम आदमी ने ज्यादा खर्च किया, फैक्ट्रियों का प्रोडक्शन बढ़ा Business News & Hub

नई दिल्ली4 घंटे पहले

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इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए GDP का इस्तेमाल होता है। ये देश के भीतर एक तय समय में सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को दिखाती है। ये इमेज AI से जनरेट की गई है।

भारत समेत दुनिया में US टैरिफ का दबाव है, प्राइवेट इन्वेस्टमेंट सुस्त है, फिर भी भारत की अर्थव्यवस्था जुलाई-सितंबर तिमाही में 8.2% की दर से बढ़ी है। यह पिछली 6 तिमाही में सबसे ज्यादा है। पिछले साल की समान तिमाही में GDP 5.6% थी। वहीं अप्रैल-जून में ये 7.8% थी।

नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) के आंकड़ों से साफ है कि ग्रामीण डिमांड, गवर्नमेंट स्पेंडिंग और मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार ने इकोनॉमी को बूस्ट दिया है। GST रेट कट का फुल असर तो अभी आना बाकी है, लेकिन ये नतीजे उम्मीद से ज्यादा बेहतर हैं।

लोगों ने ज्यादा खर्च किया, इसलिए GDP बढ़ी

हमारी पूरी अर्थव्यवस्था (GDP) में लगभग 60% हिस्सेदारी हम आप जैसे आम लोगों की है। इसे प्राइवेट कंजम्प्शन कहते हैं। यानी आपने जो नया फोन खरीदा, बच्चों की स्कूल फीस भरी, बाइक की EMI दी, किराने का सामान लिया– ये सारा पैसा मिलाकर प्राइवेट कंजम्प्शन बना।

पिछले क्वार्टर (जुलाई-सितंबर 2025) में इस खर्च की रफ्तार 6.4% से बढ़कर 7.9% हो गई। पिछले साल इसी समय लोग थोड़ा कंजूसी कर रहे थे, लेकिन इस बार लोगों ने खुलकर खर्च किया। नतीजा… ये 60% हिस्सा वाला इंजन फिर से तेज स्पीड पर दौड़ने लगा।

कंजम्प्शन के अलावा, मजबूत इकोनॉमिक परफॉर्मेंस की वजह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ है। ये दूसरी तिमाही में 9.1% रही, जबकि पिछले साल इसी पीरियड में यह सिर्फ 2.2% थी।

RBI ने 6.5% ग्रोथ का अनुमान लगाया था

1 अक्टूबर को रिजर्व बैंक (RBI) ने मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में FY26 के लिए इकोनॉमी ग्रोथ का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 6.8% कर दिया था। मतलब दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ RBI के अनुमान से भी बेहतर रही है।

GDP क्या है?

इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए GDP का इस्तेमाल होता है। ये देश के भीतर एक तय समय में सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को दिखाती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं, उन्हें भी शामिल किया जाता है।

दो तरह की होती है GDP

GDP दो तरह की होती है। रियल GDP और नॉमिनल GDP। रियल GDP में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है।

फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। वहीं नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करंट प्राइस पर किया जाता है।

कैसे कैलकुलेट की जाती है GDP?

GDP को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। GDP=C+G+I+NX, यहां C का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन, G का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, I का मतलब इन्वेस्टमेंट और NX का मतलब नेट एक्सपोर्ट है।

GDP की घट-बढ़ के लिए जिम्मेदार कौन है?

GDP को घटाने या बढ़ाने के लिए चार इम्पॉर्टेंट इंजन होते हैं।

1. आप और हम- आप जितना खर्च करते हैं, वो हमारी इकोनॉमी में योगदान देता है।

2. प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ- ये GDP में 32% योगदान देती है।

3. सरकारी खर्च- इसका मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है। इसका GDP में 11% योगदान है।

4. नेट डिमांड- इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है, क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट GPD पर निगेटिव ही पड़ता है।

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Source: https://www.bhaskar.com/business/news/india-gdp-q2-growth-data-live-updates-real-gdp-rows-at-82-136533484.html

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