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मोबाइल कंपनियां जब भी अपने किसी नए स्मार्टफोन के बारे में बताती हैं तो स्क्रीन साइज पर उनका खासा जोर रहता है. आमतौर पर फोन में 6.2 इंच से लेकर 6.9 इंच की स्क्रीन ज्यादा देखने को मिलती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि फोन की स्क्रीन को कैसे मापा जाता है और कैसे स्क्रीन और लंबाई और चौड़ाई को एक ही नंबर से डिफाइन कर दिया जाता है? आज हम आपके लिए इन सारे सवालों के जवाब लेकर आए हैं और साथ ही यह भी बताएंगे कि आपको अपनी जरूरत के हिसाब से किस स्क्रीन साइज वाला फोन लेना चाहिए?
कैसे मापा जाता है स्क्रीन का साइज?
जब भी कोई आपको फोन की स्क्रीन का साइज बताए तो वह डिस्प्ले की डायग्नल लेंग्थ बता रहा होता है. यह साइज न तो स्क्रीन की चौड़ाई होती है और न ही लंबाई. यह फोन की डायग्नल यानी एक कोने से दूसरी तरफ के कोने के बीच की दूरी को दर्शाता है. इसमें फोन के कॉर्नर और बेजल्स आदि को शामिल नहीं किया जाता. यह सिर्फ फोन के फ्रंट पर लाइट से चमक रही स्क्रीन की डायग्नल लेंग्थ होती है.
ये हैं फोन स्क्रीन के कॉमन साइज
- स्मॉल (6.2 इंच तक): ये फोन छोटे होते हैं और इन्हें एक हाथ से आसानी से हैंडल किया जा सकता है. ये जेब में सही फिट आते हैं, लेकिन इन पर गेमिंग, वीडियो स्ट्रीमिंग और मल्टीटास्किंग थोड़ी मुश्किल होती है.
- मीडियम (6.3-6.5 इंच तक): इनमें पोर्टेबिलिटी के साथ-साथ अच्छा स्क्रीन स्पेस मिलता है. पॉकेट फ्रेंडली होते हैं, लेकिन एक हाथ से हैंडल करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है.
- लार्ज (6.6-6.8 इंच तक): स्ट्रीमिंग और गेमिंग के लिए यह साइज सही होता है और इमर्सिव विजुअल्स मिलते हैं. हालांकि, इन्हें हाथ और जेब में कैरी करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है.
- वेरी लार्ज (6.9 इंच से बड़े): इन पर मल्टीटास्किंग, गेमिंग और वीडियो स्ट्रीमिंग का शानदार अनुभव मिलता है. हालांकि, बड़े साइज के कारण एक हाथ से चलाना और पॉकेट में रखना मुश्किल भरा हो सकता है.
अब फोल्डेबल फोन आ जाने के कारण नई साइज कैटेगरी भी आ गई हैं. फ्लिप फोन में पूरी तरह अनफोल्ड होने पर 6.7-6.9 इंच तक की स्क्रीन और कवर पर लगभग 4 इंच तक की स्क्रीन मिलती है. अगर फोल्डेबल की बात करें तो इन फोन में मेन स्क्रीन का साइज 9-10 इंच तक जाता है और कवर स्क्रीन भी 6.4 इंच तक की होती है.
एक समान स्क्रीन साइज वाले फोन छोटे-बड़े कैसे लगते हैं?
कई बार एक समान स्क्रीन साइज वाले फोन भी छोटे-बड़े लग सकते हैं. इसके पीछे कई कारण होते हैं. दरअसल, सिर्फ स्क्रीन का साइज की फोन के साइज को डिफाइन नहीं करता है. स्क्रीन साइज के अलावा आस्पेक्ट रेशो, बेजल्स और स्क्रीन की शेप के कारण भी एक जैसे स्क्रीन साइज वाले फोन का साइज अलग-अलग हो सकता है.
आस्पेक्ट रेशो- यह स्क्रीन की चौड़ाई और हाइट के बीच का अनुपात जैसे 20:9 और 18:9 आदि होता है. इन दिनों 19.5:9 और 20:9 रेशो ज्यादा ट्रेंड में है. इनसे स्क्रॉलिंग आसान हो गई है और स्क्रीन पर ज्यादा टेक्स्ट के लिए स्पेस बचता है. वाइडर रेशो में स्प्लिट स्क्रीन ऐप्स यूज करना और वीडियो देखना आसान होता है.
स्क्रीन टू बॉडी रेशो- यह बताता है कि फोन के फ्रंट का कितना हिस्सा डिस्प्ले ने ले लिया है. ज्यादा स्क्रीन टू बॉडी रेशो होने का मतलब है कि उस पर पतले बेजल्स हैं और यह इमर्सिव लुक देगा. किसी फोन का स्क्रीन टू बॉडी रेशो कम है तो इसका मतलब होगा कि उसके बेजल्स मोटे हैं.
जरूरत के हिसाब से कैसे चुनें फोन की स्क्रीन का साइज?
अगर आप नया फोन खरीदने जा रहे हैं तो स्क्रीन साइज डिसाइड करते समय अपनी जरूरत का ध्यान जरूर रखें. अगर आपको सोशल मीडिया स्क्रॉलिंग के लिए फोन चाहिए तो 6.2-6.5 इंच वाला फोन आपके लिए सही रहेगा. हालांकि, यह ध्यान रखें कि 6.3 इंच से ज्यादा बड़ी स्क्रीन वाले फोन को एक हाथ से कंट्रोल करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. अगर आप एक हाथ से ही फोन हैंडल करते हैं तो फ्लिप-स्टाइल फोल्डेबल फोन की तरफ जा सकते हैं.
इन बातों का भी रखें ध्यान
यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि बड़ी स्क्रीन ज्यादा बैटरी की खपत करती है. इसलिए अगर आपको लंबी बैटरी लाइफ फोन की जरूरत है तो मीडियम स्क्रीन साइज फोन को चुनाव किया जा सकता है, जो मॉडरेट रिफ्रेश रेट सपोर्ट के साथ आता है. इसी तरह अगर आपको फोन को आउटडोर एक्टिविटी के लिए ज्यादा यूज करना है तो ब्राइट डिस्प्ले वाला फोन लेना जरूरी हो जाता है. ज्यादा ब्राइटनेस से धूप में भी स्क्रीन देखना आसान हो जाता है. इसके अलावा फोन खरीदने से पहले स्टोर पर जाकर डेमो यूनिट्स जरूर देखें. इसमें आपको सही तरीके से अंदाजा लग सकेगा कि जो फोन आप खरीदने जा रहे हैं, वह आपके हाथ में कितना फिट आएगा.
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