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पंजाब और हरियाणा के बीच सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर को लेकर आज 9 जुलाई को दिल्ली में अहम बैठक हो रही है। यह बैठक केंद्र सरकार के प्रयासों से बुलाई गई है और अब तक इस मुद्दे पर हो चुकी चौथी बैठक है।
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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान दिल्ली रवाना हो चुके हैं, जबकि नए जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल की अगुआई में यह उनकी पहली मीटिंग होगी। इससे पहले की बैठकें बिना नतीजे रही थीं। 212 किलोमीटर लंबी इस नहर में हरियाणा का 92 किलोमीटर हिस्सा बन चुका है, जबकि पंजाब के 122 किलोमीटर हिस्से का निर्माण अब तक अधूरा है। यह मीटिंग 13 अगस्त को होने वाली सुनवाई से पहलेव दोनों राज्यों के बीच सहमति बनाने की कोशिश है।
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2002 में हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाया था और पंजाब को नहर निर्माण का आदेश दिया था, लेकिन 2004 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा में कानून पास कर 1981 के समझौते को रद्द कर दिया था।
पहले तीन बार हुई है मीटिंग
इस मुद्दे पर पंजाब और हरियाणा के सीएम की पहली मीटिंग 18 अगस्त 2020 को हुई थी, जबकि दूसरी मीटिंग 14 अक्टूबर 2022 और तीसरी मीटिंग चार जनवरी 2023 को हुई थी। लेकिन इनमें कोई सहमति दोनों पक्षों में बन नहीं पाई थी।

चार जनवरी 2023 को मीटिंग में मौजूद पंजाब सीएम भगवंत मान व हरियाणा के तत्कालीन सीएम मनोहर लाल।
हरपाल चीमा बोले- अपना पानी किसी को नहीं देंगे
इस मामले में पंजाब का स्टैंड बहुत स्पष्ट है कि हमारे पास पानी बिल्कुल नहीं है। आज होने वाली मीटिंग में भी सीएम यह बात रख सकते हैं। इससे पहले वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा कह चुके हैं कि हम अपना पानी किसी को भी नहीं देंगे। मीटिंग में यमुना-सतलुज लिंक का मुद्दा उठ सकता है, साथ ही पंजाब इसमें अपनी हिस्सेदारी मांग सकता है। SYL नहर का पूरा विवाद
- पंजाब ने हरियाणा से 18 नवंबर, 1976 को 1 करोड़ रुपए लिए और 1977 को SYL निर्माण मंजूरी दी। बाद में पंजाब ने SYL नहर के निर्माण को लेकर आनाकानी करनी शुरू कर दी।
- 1979 में हरियाणा ने SYL के निर्माण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पंजाब ने 11 जुलाई, 1979 को पुनर्गठन एक्ट की धारा 78 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी।
- 1980 में पंजाब सरकार बर्खास्त होने के बाद 1981 में PM इंदिरा गांधी की मौजूदगी में दोनों राज्यों का समझौता हुआ। 1982 में इंदिरा गांधी ने पटियाला के गांव कपूरी में टक लगाकर नहर का निर्माण शुरू करवाया।
- इसके विरोध में शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने SYL की खुदाई के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया। 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौता हुआ, जिसमें पंजाब नहर के निर्माण पर सहमति जताई गई।
- 1990 में 3 जुलाई SYL के निर्माण से जुड़े दो इंजीनियरों की भी हत्या कर दी गई। हरियाणा के तत्कालीन CM हुक्म सिंह ने केंद्र सरकार से मांग की कि निर्माण का काम BSF को सौंपा जाए।
- 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने 2002 को पंजाब को एक वर्ष में SYL नहर बनवाने के निर्देश दिए। 2015 में हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई के लिए संविधान पीठ बनाने का अनुरोध किया।
- 2016 में गठित 5 सदस्यों की संविधान पीठ ने पहली सुनवाई के दौरान सभी पक्षों को बुलाया। 8 मार्च को दूसरी सुनवाई में पंजाब में 121 किमी लंबी नहर को पाटने का काम शुरू हो गया। 19 मार्च तक सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति के आदेश देते हुए नहर पाटने का काम रुकवा दिया।
- 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्य नहर का निर्माण नहीं करते हैं तो कोर्ट खुद नहर का निर्माण कराएगा। अभी 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए नोटिस जारी किया है।
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SYL नहर विवाद पर आज दिल्ली में मीटिंग: पंजाब-हरियाणा के बीच फिर टकराव के आसार, नए जल शक्ति मंत्री पहली बार करेंगे मध्यस्थता – Punjab News