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कूड़े में लगी आग
– फोटो : संवाद
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सोनीपत के राई क्षेत्र में पर्यावरण नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के प्रतिबंध के बाद भी कूड़े का निस्तारण जलाकर किया जा रहा है। एक तरफ तो प्रदूषण रोकने के लिए ग्रैप-2 लागू किया गया तो दूसरी कूड़ा सरेआम जलाया जा रहा है। प्रदूषण रोकने के लिए जारी एनजीटी के आदेशों को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया है।
दिल्ली एनसीआर में शामिल सोनीपत जिले में बढऩे प्रदूषण को रोकने के लिए एनजीटी ने कूड़ा जलाने पर रोक लगा रखी है। साथ ही जेनरेटर चलाने पर भी आगामी आदेशों तक प्रतिबंध लगा रखा है। उसके बावजूद राई क्षेत्र में जठेड़ी के पास सरेआम कूड़ा जलाया जा रहा है। आरोप है कि फैक्ट्रियों से निकला कूड़ा यहां डालकर जलाया जा रहा है। एनजीटी ने प्रदूषण रोकने के लिए आदेश जारी किए थे कि कूड़ा जलाते मिलने पर पांच हजार रुपये तक जुर्माना वसूला जाए। उसके बाद भी नियमों का पालन नहीं हो रहा है। कई इलाकों में धड़ल्ले से सारे नियमों को ताक पर रखकर कूड़ा जलाया जा रहा है। राई क्षेत्र में असावरपुर के पास और जठेड़ी के पास कूड़ा जलाया जाना आम हो चुका है।
गांव जठेड़ी निवासी राजेंद्र का कहना है कि एनजीटी ने जिले में कूड़ा जलाए जाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। बावजूद इसके आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। औद्योगिक क्षेत्र के पास कूड़ा डालकर जलाया जा रहा है। बुजुर्ग लोगों को इससे सांस लेने तक में दिक्कत आती है। उसके बावजूद प्रशासन व सरकार की तरफ से ठोस पहल नहीं हो रही है। केमिकल युक्त सामान व रबड़ तक डालकर जला दी जाती है।
ट्यूलिप सिटी के रेजिडेंट प्रवीन का कहना है कि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम सार्थकता के साथ उठाए जाने की आवश्यकता है। कूड़ा जलाना प्रदूषण का मुख्य कारक है। वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा नहीं जा रहा है। यह भी प्रदूषण का कारण है। खानापूर्ति करने के बजाय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को सख्ती करनी चाहिए। कूड़ा जलाने पर भारी जुर्माने के साथ छह माह तक सजा का प्रावधान होना चाहिए। कूड़े का बेहतर तरीके से उठान व निस्तारण होना चाहिए।
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Sonipat: एनजीटी के आदेशों को ठेंगा दिखा जलाया जा रहा कूड़ा, राई में कूड़ा जलाने पर रोक लगाने में विभाग नाकाम