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सिरसा। गांव धिंगतानियां निवासी समाजसेवी सुनीता सहारण पिछले दो दशकों से लगातार समाजसेवा में जुटीं हैं। उन्होंने गरीब और जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाई के लिए बूट, वर्दी, किताबें और स्टेशनरी उपलब्ध करवाई है। इतना ही नहीं, वे आश्रमों में दिव्यांगों के लिए भोजन और सूखा अनाज भी उपलब्ध कराती हैं।
बेटियों की शादी के अवसर पर भी वे परिवारों को आर्थिक सहयोग करती हैं। यही कारण है कि उन्हें कई सामाजिक संस्थाओं की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है। सुनीता सहारण बताती हैं कि उन्हें समाजसेवा का संस्कार अपनी दादी धनी देवी से मिला। बचपन में उन्होंने देखा कि जब गांव में भारी बारिश के कारण कई लोगों के मकान गिर गए थे, तब उनकी दादी ने जरूरतमंद परिवारों को अपने घर में शरण दी थी।
न केवल उन्हें ठहरने का स्थान दिया, बल्कि भोजन, अनाज और अन्य आवश्यक सामग्री भी उपलब्ध करवाई। बचपन का यह दृश्य सुनीता के दिल में गहराई तक उतर गया और उन्होंने ठान लिया कि जीवनभर दूसरों की मदद करेंगी।
परिवार का रहा भरपूर सहयोग: सुनीता सहारण के पति रमेश सहारण खेतीबाड़ी करते हैं। परिवार में उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है। घर-परिवार की जिम्मेदारियों के बीच भी सुनीता समाज सेवा के लिए समय निकालती हैं। वे कहती हैं जरूरतमंदों की सेवा करना ही मेरे जीवन का उद्देश्य है। दूसरों के चेहरे पर मुस्कान देखना सबसे बड़ी उपलब्धि है। गांव धिंगतानियां में होने वाले विकास कार्यों में भी वे सक्रिय रहती हैं। इसी कारण उन्हें गांव की विकास कार्य समिति का सदस्य भी चुना गया है। ग्रामीण बताते हैं कि सुनीता हमेशा आगे बढ़कर लोगों की समस्याओं को हल करने का प्रयास करती हैं।
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Sirsa News: सुनीता को पारिवारिक संस्कारों से मिली सीख, जरूरतमंदों का बनीं सहारा