सिरसा। परिवहन निगम ने सिरसा डिपो में 10 नई बीएस-6 बसें भेजी थी, लेकिन यह बसें टाटा कंपनी की होने के कारण इनको वापस भेज दिया गया। दरअसल सिरसा डिपो में अशोक लीलैंड की वर्कशॉप है और टाटा कंपनी का कोई मिस्त्री वर्कशॉप में नही है। इस कारण इन बसों को वापस भेज दिया गया।
इनमें करनाल व कुरुक्षेत्र डिपो के लिए 5-5 बसें भेजी गई हैं। वहीं 5 बसों को अब अंबाला भेजने की तैयारी है।
इसके बाद बदले में सिरसा डिपो को 20 बसें तो मिली हैं, लेकिन यह बसें बीएस-4 हैं और पुरानी बसें होने के कारण इनको दिल्ली, चंडीगढ़ व एनसीआर क्षेत्र में नहीं भेजा जा सकता।
अब डिपो पर लंबे रूट पर भेजने वाली बसों की किल्लत आ रही है। एनसीआर में 10 साल से ज्यादा पुरानी बसें नहीं जा सकती। सिरसा डिपो में फिलहाल 200 बसें हैं, इनमें से अधिकतर बसें काफी पुरानी हो चुकी हैं। सिरसा डिपो को क्षमता के हिसाब से और नई बसें चाहिए थीं, जोकि निगम ने भेज भी दी थी। परंतु अब निगम इन बसों को सिरसा डिपो से लेकर अन्य डिपो को आबंटित कर रहा है और सिरसा डिपो को पुरानी बसें सौंप रहा है।
जिस समस्या के कारण सिरसा डिपो को नई बसें चाहिए थी, वह समस्या अब भी ज्यों कि त्यों है। ग्रामीण रूटों पर बसों की समस्या पहले से थी अबलंबे रूटों पर भी बसों की किल्लत देखने को मिलने लगी है।
अन्य डिपो के मुकाबले राजधानी जाने के लिए कम बसें
सिरसा हरियाणा के अंतिम छोर पर होने के कारण सिरसा में अन्य डिपो के मुकाबले देश व प्रदेश की राजधानी में बसों के फेरे कम हो जाते हैं। जिसके चलते सवारियों को राजधानी जाने के लिए लंबे समय तक बसों का इंतजार करना पड़ता है। दिन के समय दिल्ली जाने वाली 5 बसें ही शहर से निकलती हैं। हालांकि रोडवेज को 20 पुरानी बसें मिली हैं, लेकिन यह लंबे रूट पर नहीं चलाई जा सकती।
बसें कुरुक्षेत्र व करनाल भेजी गई हैं व वहां से भी बसें यहां आई हैं। इस डिपो में वर्कशॉप अशोक लीलैंड की है और टाटा की बसों का मिस्त्री नहीं है। यहां उन बसाें को ठीक करने में व सर्विस करने में दिक्कत का सामना करना पड़ता था।
धर्मपाल, कार्यालय अधीक्षक, सिरसा रोडवेज।
Sirsa News: सिरसा डिपो को मिली थी 10 बीएस-6 बसें, वापस भेजी