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संवाद न्यूज एजेंसी
सिरसा। शहर को बेसहारा पशुओं से निजात दिलवाने के प्रशासन दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। हर गली-मोहल्ले में बेसहारा पशुओं का जमावड़ा देखा जा रहा है। इससे रात के समय हादसों का खतरा बढ़ गया है।
वर्ष 2023 में नगर परिषद प्रशासन और सरकार के प्रयासों से गोशालाओं में करीब दो हजार पशुओं को पहुंचाया गया था। इसके बावजूद बड़ी संख्या में आज भी सड़कों व मुख्य मार्गों पर बेसहारा पशु नजर आते हैं। सर्दियों व धुंध के मौसम में सड़कों पर घुमते बेसहारा पशु जानलेवा साबित हो सकते हैं।
बताया जा रहा है कि बेसहारा पशुओं को पकड़ने व उनके संरक्षण के लिए सरकार नई नीति लेकर आने वाली है। नगर निकाय इसी का इंतजार कर रहा है लेकिन अगर नीति समय पर नहीं पहुंचती तो पुरानी नीति के अनुसार ही निकाय अपने स्तर पर कार्य करने का भी मूड बना चुका है।
गोशालाओं का सहयोग न मिलने से बढ़ती है परेशानी : नगर परिषद की ओर से पिछले वर्ष दिए गए टेंडर में तीन माह ही ठेकेदार ने काम किया। 9 महीने ठेकेदार गोशालाओं के पशु लेने के इंतजार में बैठा रहा। ठेकेदार ने प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार गुहार लगाई, लेकिन गोशालाओं के आगे सभी बेबस नजर आए। यहां सरकार के पास अपनी कोई नंदीशाला या गोशाला नहीं है, जहां पर इन पशुओं का रखा जा सके।
वीआईपी रोड पर बांधे जाते हैं सबसे ज्यादा पशु : शहर के वीआईपी रोड यानी रानियां रोड पर सबसे ज्यादा डेयरियां है। इन डेयरियों के पशु सड़कों के बीचों बीच बांधे जाते हैं। इसकी जानकारी पूर्व विधायक और मौजूदा विधायक दोनों को है। इस दिशा में आज तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। इन लोगों को जागरूक करने तक का प्रयास नेताओं की ओर से नहीं किया गया।
डेयरी शिफ्टिंग प्रोजेक्ट धरातल से गायब
शहर में पशु पालकों के लिए सरकार ने डेयरी शिफ्टिंग प्रोजेक्ट शुरू किया गया था जो मौजूदा समय में धरातल से ही गायब है। इस प्रोजेक्ट को लेकर अधिकारियों से लेकर नेताओं तक ने कोई प्रयास नहीं किए गए। इसी कारण आज तक डेयरी शिफ्टिंग प्रोजेक्ट शुरूआती स्टेज पर ही पड़ा हुआ है। यदि प्रयास किए गए होते, तो कहीं न कहीं दुधारू पशुओं को खुले में छोड़ने की समस्या का निदान हो पाता।
यह भी जानें
हर साल शहर में तीन से चार लोगों की होती है मौत।
हाईवे पर 10 से 15 लोगों की होती है मौत, 100 से ज्यादा लोग होते हैं घायल।
500 पशु हाईवे पर वाहनों के कारण होते हैं घायल।
प्रतिमाह 20 से 50 के आसपास पशुओं की विभिन्न कारणों से होती है मौत।
बेसहारा पशुओं को पकड़ने के लिए टेंडर लगाया जाएगा। आचार संहिता हटने का इंतजार था। आचार संहिता हट गई है, अब सभी जरूरी टेंडर लगाए जाएंगे। बेसहारा पशुओं की समस्या का समाधान किया जाएगा। -अतर सिंह खनगवाल, कार्यकारी अधिकारी नगर परिषद
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Sirsa News: शहर को बेसहारा पशुओं से मुक्त करवाना प्रशासन के लिए चुनौती