
[ad_1]
सिरसा। गांव रोड़ी में आपस में चर्चा करते ग्रामीण। संवाद
गुरप्रेम रोड़ी
रोड़ी। विधानसभा चुनाव में नशा एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है और हमेशा से रहा है। राजनीतिक पार्टियां नशे पर लगाम लगाने के लिए बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन ये दावे धरातल पर आने से पहले ही गायब हो जाते हैं। इस बार भी विधानसभा चुनाव में नशा एक बड़ा मुद्दा उभरकर आया है। गांवों में सजी रहीं चुनावी चौपालों में लोग नशे पर राजनेताओं को कोसते नजर आ रहे हैं।
जब हमारे संवाददाता पंजाब सीमा पर लगते गांव रोड़ी पहुंचे तो एक पेड़ के नीचे बैठकर चर्चा कर रहे गांव के मलूक सिंह ने कहा कि गांव में लगातार नशे का प्रकोप बढ़ता जा रहा था। विधायक भी लगातार आते-जाते रहते हैं, सिर्फ चुनाव के समय नशे की रोकथाम के लिए बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन कभी भी अमल में नहीं लाया गया। गांव में बिक रहे नशे के चलते अनेक युवा अपनी जान गंवा चुके हैं। इस बीच सरवन सिंह ने कहा कि मेरे देखते-देखते सरकारें बदली हैं, लेकिन गांव में बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को किसी भी विधायक के द्वारा अपग्रेड करवाना तो छोड़ो, मांग तक नहीं उठाई गई। इसी दौरान ग्रामीण कुलदीप सिंह ने कहा कि पहले रोड़ी हलका होता था। रोड़ी से चंडीगढ़ तक सरकार चलती थी। जैसे ही हलका बदल कर कालांवाली बनाया गया। इसके बाद लगातार रोड़ी क्षेत्र पिछड़ता जा रहा है।
चर्चा के बीच शामिल हुए गुरदेव सिंह ने बताया कि हर बार चुनाव में प्रत्याशियों के द्वारा गलियों-नालियों के मुद्दों पर ही चुनाव लड़े जाते हैं, लेकिन वे दावे भी सिर्फ चुनाव के अंतिम दिन तक ही सीमित रह जाते हैं। धरातल पर कोई भी विकास नहीं होता है। संवाद
ज्यादातर ग्रामीण खेती पर निर्भर, किसान आंदोलन का भी दिख रहा प्रभाव
गांव की गलियां व मुख्य सड़कें टूटी व कच्ची हैं। गांव में बने पीएचसी में डाॅक्टरों व अन्य कर्मचारियों की कमी के चलते कोई बेहतर स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल रहा। गांव के ज्यादातर लोग खेती पर निर्भर रहते हैं। इस कारण गांव में किसान आंदोलन का भी काफी प्रभाव है और भाजपा सरकार के प्रति नाराजगी है। हालांकि भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र सिंह देसूजोधा के द्वारा गांव में विकास कार्य करवाने के चलते और पिछली बार टिकट कटने के चलते सहानुभूति भी है। कांग्रेस के विधायक शीशपाल केहरवाला का भी गांव में अच्छा रूतबा है। इस बार गांव रोड़ी में कांग्रेस-भाजपा और इनेलो में त्रिकोणिया मुकाबले की उम्मीद है।
इनेलो का गढ़ रहा है रोड़ी
गांव रोड़ी हमेशा से ही इनेलो का गढ़ रहा है, लेकिन चौटाला परिवार के आपस में दो गुट हो जाने के चलते इनेलो के कार्यकर्ता बिखर गए थे। सिख व लोकल चेहरे के तौर पर मास्टर गुरतेज सिंह को टिकट मिलने के कारण इनेलो का ग्राफ फिर से बढ़ने लगा है। हलोपा का साथ मिलने के कारण भी इनेलो ने माहौल को बदल दिया है।

[ad_2]
Sirsa News: रोड़ी से चंडीगढ़ तक चलती थी सरकार, हलका बदला तो हालात भी बदल गए, नशा बना बड़ा मुद्दा