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भूमि खन्ना अपने मेडल दिखाते हुए। स्वयं
अनुपमा जाखड़
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सिरसा। संघर्ष के बूते कामयाबी की गाथा लिखते जा रही भूमि की नजर अंतरराष्ट्रीय पदक पर है। नेशनल में स्वर्ण पदक जीत चुकी भूमि अंतरराष्ट्रीय पदक के लिए मैदान में पसीना बहा रही है।
बड़ी बहन को खेलते देख मैदान में उतरी भूमि के सामने आर्थिक तंगहाली यूं तो बड़ी समस्या है लेकिन फेरी लगाकर परिवार चला रहे पिता और बेटी ने इसे चुनौती मान लिया है। वे इसे राह का रोड़ा नहीं मानते।
भूमि अपनी बड़ी बहन शिवानी को बचपन से जूड़ो खेलते देखती आई है। बहन को उपलब्धियां पाते देखकर ही भूमि ने भी जूडो को प्रोफेशन बनाने का सोचा और तैयारी में जुट गईं। भूमि खन्ना पिछले चार सालों से जूडो खेल रही हैं। वह स्कूली राष्ट्रीय मुकाबलों में भी तीन बार खेल चुकी हैं। इनमें से एक में भूमि ने सोना जीता है। उन्होंने जिला और राज्यस्तरीय मुकाबलों में चार-चार स्वर्ण पदक जीते हैं। राष्ट्रीय मुकाबले के विजेता खिलाड़ी को ही एसजीएफआई में खेलने का मौका मिलता है। भूमि केंद्रीय विद्यालय की नौवीं कक्षा में पढ़ रही हैं। वह भगत सिंह स्टेडियम में सुबह-शाम तीन-तीन घंटे तक अभ्यास भी करतीं हैं। संवाद
14 दिसंबर को एसजीएफआई में लिया हिस्सा
भूमि अंडर-14 और अंडर-16 में पहले भी खेल चुकी हैं। वह पहली बार एसजीएफआई के अंडर-19 आयु वर्ग में खेली हैं। एसजीएफआई नेशनल 10 से 14 दिसंबर को त्रिपुरा के अगरतला में हुई। इससे पहले एक से नौ दिसंबर तक अगरतला में ही प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इसमें जिले से सिर्फ भूमि ने ही भाग लिया। भूमि ने 14 दिसंबर को एसजीएफआई में हिस्सा लिया। भूमि पहले और दूसरे चरण में बहुत अच्छा खेलीं लेकिन तीसरे चरण में वह प्रतियोगिता से बाहर हो गईं।
पिता लगा रहे फेरी और मां कर रहीं सिलाई
भूमि तीन बहनों से छोटी और एक भाई से बड़ी हैं। भूमि के पिता गांवों में फेरी लगाते हैं, जबकि माता सिलाई का काम करती हैं। घर में पांच भाई-बहनों में से भूमि चौथे नंबर की हैं। उसकी बड़ी बहन शिवानी खन्ना भी जूडो खेलती हैं। इनका इकलौता भाई सबसे छोटा है।
भूमि खन्ना अभ्यास के लिए रोज आती हैं। भूमि अन्य खिलाड़ियों से अधिक मेहनती हैं। वह एसजीएफआई में भी खेल चुकी हैं। एसजीएफआई में उनका खेलना ही बताता है कि वे किस तरह खेल को लेकर समर्पित हैं। – सीमा छोकर, जूडो कोच, शहीद भगत सिंह स्टेडियम।
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Sirsa News: भूमि के सपने आसमान पर, अंतरराष्ट्रीय पदक के लिए बहा रही पसीना