चोपटा। ऐलनाबाद हलके का गांव जोड़कियां तीन नामों के कारण हर चुनाव में चर्चा का विषय रहा है। गांव का वास्तविक नाम जोड़कियां, लेकिन जोड़िया व जोड़ावाली दस्तावेजों में होने के कारण ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
गांव में करीब 1200 मतदाता हैं। जिनमें में करीब 650 पुरुष और 550 महिलाएं मतदाता है। गांव की आबादी 2000 के करीब है, गांव का रक्बा 2500 बीघा है। ग्रामीण शंकर, देवीलाल, बलवान, रामचन्द्र ने बताया की वोट की अपील के लिए सभी पार्टियों के नेता आते हैं, लेकिन गांव की मुख्य समस्या मूलभूत सुविधाओं की कमी के साथ साथ 200 वर्ष बाद भी गांव के नाम की है।
उन्होंने बताया की सरकारी रिकाॅर्ड व दस्तावेजों में गांव के तीन नाम हैं जोड़कियां, जोडिय़ां व जोड़ावाली। गांव के नाम के कारण डाक सुविधा में भी हमेशा गड़बड़ होती रहती है। गांव में न तो स्वास्थ्य केंद्र है, न ही डाकखाना, गांव में अधिकतर गलियां कच्ची हैं।
ऐसे रखे तीन नाम
सिरसा जिला मुख्यालय से मात्र 30 किलोमीटर दूर है गांव जोड़कियां। ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव का रक्बा पहले निकट के गांव रूपावास का हिस्सा था। रूपावास से यहां पर खेती करने के लिए आना पड़ता था। यहां पर पीने के पानी की जोहडिय़ां बनी हुई थी, तो इस जगह को जोहड़ी वाली जगह के नाम से पुकारा जाता था, रूपावास से हुड्डा, चुरनियां व ढाका गौत्र के लोग जिनकी जमीन यहां थी उन्होंने यहीं बसने का मन बना लिया व गांव को जोड़ावाली के नाम से पुकारा जाने लगा। बाद में धीरे- धीरे जोड़कियां व सरकारी रिकाॅर्ड में जोडिय़ां नाम पुकारा जाने लगा।
शिक्षा व सरकारी सेवाओं की कमी
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में एकमात्र मिडिल सरकारी स्कूल है। आठवीं के बाद पढ़ाई के लिए दूसरे गांव रूपावास या रामपूरा ढिल्लों जाना पड़ता है, काॅलेज स्तर की पढ़ाई के लिए तो गांव से 30 किलोमीटर दूर सिरसा जाना पड़ता है। बस सेवा का अभाव होने के कारण अधिकतर मां-बाप अपनी लड़कियों की पढ़ाई छुड़वा देते हैं।
नेताओं के सामने उठा रहे समस्या
सरपंच राकेश कुमार का कहना है कि गांव में आने वाले नेताओं के सामने भी समस्याओं को उठा रहे हैं। गांव में आंगनबाड़ी केंद्र है। जलघर बना हुआ है। लेकिन पीने पानी की हमेशा कमी रहती है। गांव में न तो स्वास्थ्य केंद्र है, नहीं डाकखाना है। पशु अस्पताल है। गांव में कुछ गलियां अभी भी कच्ची हैं व पानी निकासी का उचित प्रबंध नहीं है, बस सुविधा की कमी है।
Sirsa News: दस्तावेजों में एक ही गांव के तीन नाम, 200 साल से समस्या झेल रहे लोग