राजू
ओढां। प्रशासन की ओर से शहर को पशु मुक्त कराने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन धरातल पर स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत है। कई जगह घूम रहा बेसहारा गोवंश प्रशासन के इन दावों की पोल खोल रहा है। शहरी क्षेत्रों में भले ही अभियान चल रहा हो, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा कुछ भी नहीं है। न तो पशु बाड़ों की योजना सफल रही और न ही किसानों की इस समस्या का समाधान हुआ। इस कारण किसान अपने खेतों की सर्द मौसम में रखवाली करने के लिए मजबूर हैं।
सिरसा जिले को अक्तूबर 2017 में पशु मुक्त घोषित किया गया था, जो कागजों में ही सीमित होकर रह गया जबकि गांवों में बेसहारा पशुओं के कारण आपसी भाईचारा बिगड़ने की स्थिति पैदा हो रही है। खेतों में बेसहारा पशुओं के कारण किसान कई बार आपस में उलझ चुके हैं।
गांव पंजुआना के पास राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर नौ पर ईंट भट्ठा, खैरेकां और साहुवाला प्रथम बस स्टैंड पर बेसहारा पशुओं के झुंड घूम रहे हैं। गोशालाओं में पहले ही गोवंशों की संख्या ज्यादा होने पर वह भी सड़कों पर घूमने वाले पशुओं को नहीं ले रही है। हाईवे पर रात के समय बेसहारा पशु हादसों का सबब बनते हैं।
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हर गांव में है पशुओं की बड़ी संख्या
चाहे गांव में गोशाला है या नहीं लेकिन हर गांव से बेसहारा पशु घूम रहे हैं। लोग इनकी बढ़ती तादाद के लिए अमेरिकन नस्ल को जिम्मेदार मान रहे हैं। इन पशुओं के झुंड रात को फसल बर्बाद कर रहे हैं। किसानों को घुड़सवारों को रुपये देकर मजबूरी में रखवाली करवानी पड़ रही है। कई किसानों ने खेतों में कांटेदार तार लगाकर घेराबंदी की है।
रात और दिन के समय भीषण ठंड की परवाह किए बगैर खेतों में रखवाली के लिए जाना पड़ता है। किसान के लिए उसकी फसल ही एकमात्र आय का साधन है। इसे बेसहारा गोवंश बर्बाद कर रहा है। किसानों को मजबूरन कोई हल निकालना पड़ता है। हर बार यही स्थिति होती है। गोवंश की वजह से आए दिन सड़कों पर हादसे हो रहे हैं। सरकार को सख्ती करनी चाहिए। – दयाराम सुथार।
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अपनी फसलों को बचाने के लिए किसानों को कांटेदार तार, करंट वाला तार और अन्य तरीके अपनाने पड़ रहे हैं। हम मानते हैं कि ये तरीके गोवंश के लिए सही नहीं हैं, लेकिन हम भी मजबूर हैं। इस मौसम में तो हर बार बेसहारा पशुओं की समस्या बढ़ जाती है। रात को भीषण ठंड में खेत पर जाना पड़ता है। समस्या काफी विकट है। इसका स्थायी समाधान होना चाहिए। – सुनील नेहरा।
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गोवंश की बढ़ रही तादाद किसानों के लिए आफत है। समस्या उन किसानों को ज्यादा है जिनकी खेती गांव के नजदीक लगती है। रात को खेत में चक्कर लगाकर आना पड़ता है। रखवाली के लिए रखे गए घुड़सवार रात के अंधेरे में गोवंश को एक जगह से दूसरी जगह छोड़ देते हैं। गोशालाओं में तो पहले ही काफी गोवंश है। सरकार को चाहिए कि इस समस्या का कोई स्थायी समाधान किया जाए। – सुनील सहारण।
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खेतों में रखे गए रखवाले गोवंश पर अत्याचार करते हैं। इन लोगों के पास बाकायदा ठेकेदार होते हैं। रात के अंधेरे में वह गोवंश को एक स्थान से दूसरे स्थान पर छोड़ते हैं। कई बार तो ये गोवंश को चलते वाहन से फेंककर चले जाते हैं। कुछ वर्ष पूर्व केहरवाला से भूना रोड पर कई गोवंश मृत मिले थे। सरकार गोवंश के रखरखाव के लिए गोशालाएं को अनुदान दे रही है। किसान गोवंश की रखवाली के लिए घुड़सवारों को रुपये दे रहे हैं, इससे अच्छा तो वे गोवंश को गोशाला में छोड़ आएं। गोशालाएं गोवंश रखने से इंकार नहीं कर रहीं। सिरसा जिले में 155 गोशालाएं हैं जिनमें हजारों गोवंश आश्रय पा रहे हैं। – योगेश बिश्नोई, जिलाध्यक्ष, गोशाला महासंघ।