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गांव शेरपुरा के स्टेडियम में चिट्टे का नशा करता युवक।
सिरसा। चुनावी माहौल में इस बार युवाओं के लिए खेल नर्सरियां और स्टेडियम मुख्य मुद्दा बना है। सिरसा क्षेत्र के अधिकतर गांवों में न तो खेल नर्सरी बनी और न ही स्टेडियम बने। हालात यह हैं कि देश को महिला हाॅकी टीम की कप्तान और ओलंपियन सविता पूनिया जैसी खिलाड़ी दे चुके जिले के गांव जोधका में न तो कोई स्टेडियम बना और न ही वहां कोई खेल नर्सरी खुली। जिन गांवों में स्टेडियम बने भी तो वह बदहाल हैं।
क्षेत्र के 20 गांवों में स्टेडियम ही नहीं बने हैं। कई गांवों में स्टेडियम तो बने लेकिन उनका रखरखाव नहीं हो सका। सुविधाओं और रखरखाव के अभाव में स्टेडियम खराब होते जा रहे हैं। स्टेडियम में न ताे कोच तैनात है और न ही खेल का समान उपलब्ध है। वहां टूट-फूट हुई तो खिलाड़ियों ने दूसरा विकल्प चुन लिया। इसी कारण जर्जर स्टेडियम में खिलाड़ी की जगह नशेड़ी आकर नशा कर रहे हैं। बास्केटबाल के मैदान से नशेड़ी खेल कोर्ट के पोल तक उखाड़कर ले गए हैं।
जंगल में तब्दील हुआ शेरपुरा का स्टेडियम
शेरपुरा गांव में तो अलग ही कारनामा नजर आता है। वहां वन विभाग ने पूरे मैदान में पाैधरोपण कर उसे जंगल में तब्दील कर दिया है। गांव शेरपुरा के युवा राहुल सिंवर ने बताया कि विरोध करने के बाद भी वन विभाग ने अपना लक्ष्य पूरा करने के चक्कर में पूरे स्टेडियम में शीशम के पौधे लगा दिए। इस कारण अब स्टेडियम नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है। स्टेडियम में बने कमरों में चिट्टा नशे में प्रयोग हुए सिल्वर पेपर बिखरे पड़े हैं। गांव में अब खिलाड़ियों के पास खेलने तक के लिए कोई जगह नहीं बची है। कोच और खेल समान की बात तो दूर की है।
कोटली में दो स्टेडियम के बावजूद सड़क पर दौड़ने की मजबूरी
कोटली का इंडोर स्टेडियम भी बदहाल है। वहां बने आउटडोर स्टेडियम पर भी नशेड़ियों का कब्जा हो गया है। विरोध करने पर भी नशेड़ी वहां से नहीं हटते। इस कारण खिलाड़ी सड़क पर दौड़ने के लिए मजबूर हैं। वहीं गांव कंवरपुरा में वर्ष 2012 में बना इंडोर और ओपन स्टेडियम भी सुविधाओं के अभाव में खराब हो रहा है। इा गांव के राष्ट्रीय खिलाड़ी राजू रेलवे और उनकी पत्नी राजू किरण ग्रेवाल ने काफी प्रयास के बाद गांव में खेल नर्सरी खुलवाई। उसमें विभाग की ओर से सिर्फ खिलाड़ियों को डाइट का पैसा मिलता है लेकिन खेल में प्रयोग होने वाले समान की कमी है।
गांवों में खेल स्टेडियमों के हालात अगर खराब हैं, तो विशेष ध्यान देकर इन्हें सुधारा जाएगा। जिन गांवों में स्टेडियम नहीं हैं, उनका प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा जाएगा। – शमशेर सिंह, जिला खेल अधिकारी, सिरसा।
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