चोपटा। क्षेत्र के गांव जमाल की महर्षि दयानंद सरस्वती गोशाला में थारपारकर नस्ल की गाय के के लिए खुली बोली का आयोजन हुआ। इस बोली को देखने के लिए बड़ी संख्या में गांव के लोग भी पहुंचे। पहली बार ब्याई ढाई वर्षीय गाय को की खुली बोली चौंकाने वाली रही।
एक लाख रुपये के पार बोली जाने पर लोग हैरान रह गए। यह बोली हरियाणा नहीं राजस्थान के रहने वाले पशुपालकों ने लगाई। गाय को राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के नोहर के पशुपालक इकबाल सिंह ने 1,33,200 रुपये की बोली लगाकर खरीदा।
जानकारी के अनुसार, थारपारकर नस्ल की गाय एक वर्ष में करीब 2,000 किलोग्राम दूध देती है। गाय की बिक्री से गोशाला समिति को आय में इजाफा हुआ है और गाय की गुणवत्ता गोशाला में पशुओं की देखभाल की बेहतर व्यवस्था को सबसे सामने लाकर रख दिया है कि गोशालाओं में पशुओं की नस्ल सुधार प्रक्रिया पर बड़े स्तर पर ध्यान दिया जाता है।
शनिवार को गोशाला में हुई बोली में हरियाणा और राजस्थान के करीब 30 पशुपालकों व व्यापारियों ने भाग लिया। गोशाला समिति के प्रधान प्रकाश कस्वां ने बताया कि थारपारकर नस्ल की मात्र ढाई वर्षीय गाय पहली बार ब्याई थी।
इसके बाद गाय को बेचने के लिए सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार किया गया। इसी आधार पर शनिवार को बड़ी संख्या में पशुपालक व व्यापारी गोशाला में एकत्रित हुए। बोली प्रक्रिया न्यूनतम 71,000 से शुरू की गई थी। जिसमें नोहर के इकबाल सिंह ने सबसे ज्यादा बोली 1,33,200 रुपये लगाकर गाय को खरीद लिया। इससे गोशाला समिति को आय हुई है।
मौजूदा समय में गौशाला में 1,442 गोवंश है और हर साल दुधारू गायों की बिक्री से आय होती है।
एक दिन में 15 लीटर दूध देती है इस नस्ल की गाय
समिति प्रधान प्रकाश कस्वां, सदस्य शेर सिंह, जगदीश, ओमप्रकाश सहारण ने बताया कि इस बछिया का गोशाला में विशेष तौर पर पालन पोषण किया गया। गाय का मात्र ढाई वर्ष की उम्र में पहला ब्यांत हुआ है, इसको खरीदने में पशुपालकों व व्यापारियों ने काफी रुचि दिखाई है। उन्होंने बताया कि थारपारकर गाय भारत की सर्वश्रेष्ठ दुधारू नसों में से एक मानी जाती है। इसका सर चौदा सिंह वीणा के आकार के टांगे छोटी और पूछ लंबी होती है। यह गए एक दिन में करीब 15 से 20 लीटर तक दूध दे सकती है। यह गाय मरुस्थल जैसे कठोर क्षेत्र में आसानी से जीवित रह सकती है कम चारा खाने पर भी उसका पेट भर जाता है। इसका दूध भी मीठा और स्वादिष्ट होता है।
अलग-अलग जिलों और राजस्थान से आए व्यापारी
गोशाला समिति प्रबंधन के अनुसार गाय को खरीदने के लिए हरियाणा के सिरसा, फतेहाबाद व हिसार जिलों के पशुपालकों के साथ-साथ राजस्थान के नोहर, भादरा, हनुमानगढ़ सहित कई क्षेत्रों से पशुपालक व व्यापारी पहुंचे। इस नस्ल की मांग को देखते हुए व्यापारियों ने इसमें रूचि दिखाई। गायों की नस्लों में सुधार की प्रक्रिया निरंतर जारी है। लोगों को शुरू देसी नस्ल की गायों को दूध मिल सके। इस दिशा में भी काम किया जा रहा है।