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डबवाली रोड पर विधायक के आवास के बाहर मुख्य मार्ग पर बने ब्रेकर।
सिरसा। सर्दी में सड़क सुरक्षा की याद सभी विभागों को आ रही है। पुलिस से लेकर आरटीए विभाग तक जाग रहे हैं। वाहन चालकों समेत सरकारी विभाग भी इसी दिशा में सोचने लगे हैं। दिसंबर में भले ही कितनी धुंध पड़ी हो, सड़क सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए लेकिन सड़क सुरक्षा समिति ने नए साल में तैयारी शुरू कर दी है।
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जनवरी में जैसे ही कोहरा छाया तो हादसों का खतरा बढ़ता गया। आरटीओ विभाग भी जाग गया। विभाग ने सड़क सुरक्षा उपकरणों की खरीद के लिए कोटेशन मांग ली है। उम्मीद है कि पांच जनवरी के बाद विभाग उपकरणों की खरीद करेगा और इस दिशा में कार्य शुरू करेगा। सड़क सुरक्षा के उपकरणों की कोटेशन के लिए अधिकारियों से बातचीत की गई तो अधिकारियों ने दावा किया कि शहर में सड़क सुरक्षा के लिए नियमित रूप से अभियान चलाया जाता है।
इस अभियान का ही परिणाम है कि शहर के मुख्य मार्गों और हादसों की जगहों पर धुंध के समय कोई सुरक्षा उपकरण नजर नहीं आता। डबवाली रोड और कचहरी रोड पर बने ब्रेकरों पर रिफ्लेक्टर या सफेद पट्टी तक विभाग नहीं लगा सका है जबकि ब्रेकर के कारण कचहरी रोड पर एक पुलिस कर्मी की मौत तक हो चुकी है।
विधायक आवास के पास ब्रेकरों से हादसों का खतरा : डबवाली रोड पर रानियां के विधायक अर्जुन चौटाला का आवास है। यहां पर पहले एक ब्रेकर था। अब दोनों ओर एक-एक अतिरिक्त ब्रेकर और बना दिया गया है। ऐसे में दो-दो ब्रेकर हो गए हैं। इन ब्रेकरों पर संकेतक से लेकर सफेद पट्टी या रिफ्लेक्टर तक नहीं लगा है। ऐसे में रात के समय धुंध के कारण हादसों का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। इस रोड पर स्ट्रीट लाइट भी नहीं है। इस कारण यह ब्रेकर कई गुणा अधिक घातक साबित हो रहे हैं।
वायुसेना केंद्र के पास बने छह ब्रेकर भी घातक
शहर के वायुसेना केंद्र पर वाहनों के आवागमन को धीमा किया गया है। इससे वायुसेना की सुरक्षा के लिए कोई दिक्कत न आए। इसके लिए दोनों ओर तीन तीन ब्रेकर बनाए गए हैं। इन ब्रेकरों पर सफेद पट्टी से लेकर दिशा सूचक तक गायब है। इस कारण हादसों का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। वायुसेना केंद्र के मुख्य गेट से आगे बना ब्रेकर पूरी तरह से अंधेरे में रहता है। इस कारण पूर्व में धुंध के समय कई हादसे हो चुके हैं। इसके बाद भी विभाग या प्रशासन की ओर से वहां दिशासूचक नहीं लगाया गया है। तीन किलोमीटर लंबी सड़क पर कहीं भी दिशासूचक नजर नहीं आते हैं।
नजर नहीं आते सड़क पर खड़े पशु
शहर और राष्ट्रीय राजमार्ग के पास घूमने वाले पशुओं के गले में रिफ्लेक्टर बेल्ट नहीं लग सकी है। धुंध के समय में घूमने वाले यह पशु हादसों का कारण बनते हैं। खासतौर पर शहर की मुख्य सड़कों पर यह सबसे बड़ा
खतरा है।
साल में दो बार अनुदान मिलता है। उसी आधार पर सड़क सुरक्षा उपकरण खरीदे जाते हैं। सड़क सुरक्षा के लिए कई बार अभियान चलाए जाते हैं। धुंध में भी अभियान चलाकर सड़क सुरक्षा उपकरण लगाए जाएंगे। उपकरणों की कोई कमी नहीं है। इनकी खरीद में देरी नहीं हुई है। – संजय बिश्नोई आरटीओ, सिरसा।
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Sirsa News: कोहरा छाने पर जागी समिति, सड़क सुरक्षा के उपकरण मांगे