Sidhu Moosewala Murder: अखाड़े से सेना में हुआ भर्ती, फिर जुर्म की दुनिया में रखा कदम और शार्प शूटर बन गया प्रियव्रत


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पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के मामले में प्रयुक्त बोलेरो में दिखाई देने के बाद पंजाब पुलिस की रडार पर आया प्रियव्रत पहले पहलवानी करता था। कुश्ती के अखाड़े में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद वह देश की सेवा के लिए सेना में भर्ती हो गया और फिर उसने जुर्म की दुनिया में कदम रख दिया। बाद में कुख्यात रामकरण के संपर्क में आकर वह आगे बढ़ता चला गया। वह दो साल से अपने परिवार से दूर है।

हरियाणा के सोनीपत जिले के गांव गढ़ी सिसाना निवासी प्रियव्रत कुश्ती का बेहतर खिलाड़ी था। पिता जयभगवान और माता संतोष को उससे काफी उम्मीद थी। पहलवानी के दम पर उसका चयन महाराष्ट्र के पूना के सेना विद्यालय में हो गया। सेना विद्यालय में प्रियव्रत ने कुश्ती के गुर सिखाने शुरू कर दिए। वहीं से दसवीं कक्षा उत्तीर्ण की। सेना की खेल प्रतियोगिता में वर्ष 2016 में उसने कुश्ती में स्वर्ण पदक जीता था।

वह सेना से एक माह के अवकाश पर आ गया। यहां आकर उसकी जिंदगी बदल गई। वह वापस नहीं गया और उसकी दोस्ती रामकरण से हो गई। उसके बाद प्रियव्रत ने अपराध जगत की ऐसी राह पकड़ी कि वापस मुड़कर नहीं देखा। वह रामकरण गैंग का शार्प शूटर बन गया। वहां से लॉरेंस बिश्नोई गैंग के राजू बसौदी और काला जठेड़ी से भी उसके संपर्क हो गए।

हत्या समेत 12 आपराधिक मुकदमों में नामजद रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि वह करीब दो साल से गांव में नहीं दिखा है। प्रियव्रत की मां संतोष देवी बार-बार यही दोहराती हैं कि अपराध की दुनिया छोड़ने को उसको कितना समझाया, लेकिन वह समय रहते समझ नहीं पाया।  

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पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के मामले में प्रयुक्त बोलेरो में दिखाई देने के बाद पंजाब पुलिस की रडार पर आया प्रियव्रत पहले पहलवानी करता था। कुश्ती के अखाड़े में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद वह देश की सेवा के लिए सेना में भर्ती हो गया और फिर उसने जुर्म की दुनिया में कदम रख दिया। बाद में कुख्यात रामकरण के संपर्क में आकर वह आगे बढ़ता चला गया। वह दो साल से अपने परिवार से दूर है।

हरियाणा के सोनीपत जिले के गांव गढ़ी सिसाना निवासी प्रियव्रत कुश्ती का बेहतर खिलाड़ी था। पिता जयभगवान और माता संतोष को उससे काफी उम्मीद थी। पहलवानी के दम पर उसका चयन महाराष्ट्र के पूना के सेना विद्यालय में हो गया। सेना विद्यालय में प्रियव्रत ने कुश्ती के गुर सिखाने शुरू कर दिए। वहीं से दसवीं कक्षा उत्तीर्ण की। सेना की खेल प्रतियोगिता में वर्ष 2016 में उसने कुश्ती में स्वर्ण पदक जीता था।

वह सेना से एक माह के अवकाश पर आ गया। यहां आकर उसकी जिंदगी बदल गई। वह वापस नहीं गया और उसकी दोस्ती रामकरण से हो गई। उसके बाद प्रियव्रत ने अपराध जगत की ऐसी राह पकड़ी कि वापस मुड़कर नहीं देखा। वह रामकरण गैंग का शार्प शूटर बन गया। वहां से लॉरेंस बिश्नोई गैंग के राजू बसौदी और काला जठेड़ी से भी उसके संपर्क हो गए।

हत्या समेत 12 आपराधिक मुकदमों में नामजद रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि वह करीब दो साल से गांव में नहीं दिखा है। प्रियव्रत की मां संतोष देवी बार-बार यही दोहराती हैं कि अपराध की दुनिया छोड़ने को उसको कितना समझाया, लेकिन वह समय रहते समझ नहीं पाया।  

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