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SGPC प्रमुख के लिए चुनाव आज: अकाली दल ने हरजिंदर धामी को बनाया उम्मीदवार; बीबी जागीर कौर के साथ मुकाबला संभव – Amritsar News Chandigarh News Updates

SGPC प्रमुख के लिए चुनाव आज:  अकाली दल ने हरजिंदर धामी को बनाया उम्मीदवार; बीबी जागीर कौर के साथ मुकाबला संभव – Amritsar News Chandigarh News Updates

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हरजिंदर धामी और बीबी जागीर कौर में मुकाबला संभव।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष पद के लिए आज, सोमवार, को चुनाव होने वाले हैं। ये चुनाव गोल्डन टेंपल परिसर में स्थित तेजा सिंह समुंदरी हॉल में होंगे। अकाली दल ने इस बार भी हरजिंदर सिंह धामी को इस पद के लिए समर्थन दिया है, जबकि व

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अनुमान है कि एडवोकेट धामी के सामने इस बार भी मुकाबले में बीबी जगीर कौर ही उतार सकती हैं। हालांकि आकली दल (पुनर सुरजीत) ने इस चुनाव से पहले रविवार बैठक भी की है। लेकिन ये स्पष्ट नहीं किया कि उनकी तरफ से किसका समर्थन किया जाएगा। इस बैठक की अध्यक्षता पूर्व जत्थेदार व प्रधान ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने की। बैठक में कई एसजीपीसी सदस्य भी मौजूद थे।

यहां उल्लेखनीय है कि पिछले साल 28 अक्टूबर को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव हुए थे। इसमें एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी चौथी बार SGPC के प्रधान चुने गए थे। धामी को 107 वोट मिले थे, वहीं बागी गुट की उम्मीदवार बीबी जागीर कौर को सिर्फ 33 वोट मिले थे।

एसजीपीसी कार्यालय।

यहां जानिए कैसे होंगे एसजीपीसी के चुनाव…

185 में से लगभग 148 सदस्य रहेंगे उपस्थित

मौजूदा मुख्य सचिव प्रताप सिंह ने बताया कि एसजीपीसी में कुल 185 सदस्य हैं। इनमें से 170 चुने हुए और 15 नोमिनेटेड सदस्य हैं। इनमें से कुछ का निधन हो चुका है या उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। इस बार के चुनावी सत्र में करीब 148 सदस्य उपस्थित रहेंगे, जो अध्यक्ष पद पर सहमति की मुहर लगाएंगे।

उन्होंने बताया कि एसजीपीसी हर साल दो प्रमुख अधिवेशन करती है। इनमें एक अधिकारियों के चुनाव के लिए और दूसरा बजट पास करने के लिए होता है। इस बार का अधिवेशन अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए बुलाया गया है।

यदि सर्वसम्मति बनी तो नहीं होगा मतदान

मुख्य सचिव प्रताप सिंह ने कहा कि यदि सभी सदस्य एकमत से निर्णय लेते हैं, तो मतदान की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। लेकिन अगर किसी अन्य नाम का प्रस्ताव सामने आता है, तो चुनाव प्रक्रिया बैलेट पेपर से करवाई जाएगी।

सचिव ने जानकारी दी कि जैसे ही मौजूदा अध्यक्ष चुनाव प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध करेंगे, सदस्य अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम प्रस्तुत करेंगे। अगर किसी अन्य का नाम नहीं आता, तो जयकारों के बीच सर्वसम्मति से अध्यक्ष घोषित किया जाएगा।

अगर एक नाम पर सहमति ना बनी तो वोटिंग करवाई जाएगी।

अगर एक नाम पर सहमति ना बनी तो वोटिंग करवाई जाएगी।

अब जानिए अध्यक्ष पद के संभावित उम्मीदवारों के बारे में…

चार बार एसजीपीसी अध्यक्ष रह चुके एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी

एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष हैं, जिनका जन्म 28 अगस्त 1956 को पंजाब के होशियारपुर जिले के पिप्पलनवाला गांव में हुआ था। उन्होंने बीए और एलएलबी की पढ़ाई की है और लगभग 40 वर्षों तक वकालत के पेशे से जुड़े रहे हैं। धामी 1996 से लगातार एसजीपीसी के सदस्य हैं और सिख संगठनों में सक्रिय रहे हैं। वे शिरोमणि समिति में महासचिव और मुख्य सचिव भी रह चुके हैं। नवंबर 2021 में पहली बार SGPC के अध्यक्ष बने और लगातार चौथी बार इस पद पर चुने गए।

तीन बार इस पद की जिम्मेदारी संभाल चुकी बीबी जागीर कौर

बीबी जगीर कौर एक प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ और शिरोमणि अकाली दल की वरिष्ठ नेता हैं, जिनका जन्म 15 अक्टूबर 1954 को पंजाब के जालंधर जिले में हुआ था। वे गणित की टीचर थीं और 1987 में बाबा प्रेम सिंह मुरले वाले डेरे की प्रमुख बनीं। 1995 में शिरोमणि अकाली दल से राजनीति में आईं और भोलथ (कपूरथला) क्षेत्र से विधायक बनीं। बीबी जगीर कौर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की पहली महिला अध्यक्ष रहीं और तीन बार इस पद पर चुनी गईं। उन्होंने प्रकाश सिंह बादल सरकार में सामाजिक कल्याण मंत्री के रूप में भी कार्य किया। उनके जीवन में बेटी की मृत्यु से जुड़ा कानूनी विवाद भी चर्चा में रहा। उन्हें इसके लिए सजा भी सुनाई गई, लेकिन बाद में अपर कोर्ट से वे बरी हो गईं।

जानें एसजीपीसी के बारे में

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) सिखों के सभी ऐतिहासिक गुरुद्वारों की सर्वोच्च प्रबंधक संस्था है। इसका अधिकार क्षेत्र पंजाब, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के गुरुद्वारों तक फैला हुआ है। SGPC की स्थापना 15 नवंबर 1920 को अमृतसर में की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य गोल्डन टेंपल और अन्य ऐतिहासिक गुरुद्वारों का प्रबंधन संभालना था।

उन्नीसवीं सदी में, जब पंजाब ब्रिटिश शासन के अधीन था, तब ईसाई मिशनरियों और आर्य समाज जैसे हिंदू सुधार आंदोलनों की गतिविधियां बढ़ने लगीं। इसी दौर में सिखों के भीतर सिंह सभा आंदोलन शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य सिख धर्म के सिद्धांतों और जीवन मूल्यों में आई गिरावट को रोकना था।

उस समय दरबार साहिब और कई अन्य गुरुद्वारों का नियंत्रण महंतों के हाथों में था। ये महंत अंग्रेजों के संरक्षण में गुरुद्वारों को अपनी निजी संपत्ति की तरह चलाते थे। वे सिख मर्यादाओं के विपरीत प्रथाओं को बढ़ावा देते थे, जैसे मूर्ति पूजा और दलित सिखों के साथ भेदभाव।

इसी स्थिति को बदलने के लिए SGPC का गठन किया गया, ताकि गुरुद्वारों का प्रबंधन सिख सिद्धांतों और मर्यादाओं के अनुसार हो सके। शुरुआती वर्षों में SGPC ने कई गुरुद्वारों का नियंत्रण अपने हाथ में लिया, हालांकि इस संघर्ष में कई बार हिंसक झड़पें भी हुईं। अंततः 1925 में ब्रिटिश सरकार ने ‘गुरुद्वारा एक्ट’ पारित किया, जिसके तहत SGPC को कानूनी मान्यता दी गई और इसे सिख गुरुद्वारों का लोकतांत्रिक ढंग से चुना गया प्रबंधन निकाय बना दिया गया।

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