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भारतीय पूंजी बाजार नियामक SEBI ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) के लिए डिस्क्लोजर थ्रेशोल्ड बढ़ाने का फैसला किया है. अब 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा इक्विटी एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) वाले FPIs को ही अतिरिक्त जानकारियां देनी होंगी, जबकि पहले यह सीमा 25,000 करोड़ रुपये थी. यह फैसला SEBI के नए चेयरमैन तुहिन कांत पांडे की अगुवाई में हुए बोर्ड मीटिंग में लिया गया.
अब क्या बदला?
पुराना नियम: 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा इक्विटी AUM वाले FPIs को अपने सभी निवेशकों/हितधारकों की डिटेल्ड जानकारी देनी होती थी.
नया नियम: अब सिर्फ 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा AUM वाले FPIs को यह डिस्क्लोजर करना होगा.
SEBI ने कहा, “FY 2022-23 की तुलना में अब कैश इक्विटी मार्केट का ट्रेडिंग वॉल्यूम दोगुना हो चुका है. इसलिए, थ्रेशोल्ड बढ़ाने का फैसला लिया गया है.”
यह नियम क्यों लाया गया था?
24 अगस्त 2023 के सर्कुलर में SEBI ने FPIs को 2 शर्तें दी थीं- अगर किसी FPI का 50 फीसदी से ज्यादा इक्विटी AUM किसी एक कॉर्पोरेट ग्रुप में है, तो उसे अतिरिक्त डिस्क्लोजर करना होगा. इसके अलावा, 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा AUM वाले FPIs को अपने अंतिम निवेशकों (natural persons तक) की जानकारी देनी होगी. दरअसल, इसका मकसद Minimum Public Shareholding (MPS) और Takeover नियमों का पालन सुनिश्चित करना था, ताकि बाजार में गड़बड़ी न हो. अब SEBI ने साफ किया कि MPS और टेकओवर नियमों से जुड़ी जांचें पहले की तरह जारी रहेंगी. साथ ही, सभी FPIs को PMLA (मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून) का पालन करना होगा.
इससे क्या फर्क पड़ेगा?
इससे बड़े विदेशी निवेशकों FPIs को राहत मिलेगी. दरअसल, अब छोटे-मध्यम FPIs को ज्यादा डिस्क्लोजर की जरूरत नहीं होगी, जिससे उनका कामकाज आसान होगा. इसके अलावा, बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी, यानी SEBI का लक्ष्य बाजार को स्थिर रखते हुए निवेशकों की गोपनीयता और नियमों का पालन सुनिश्चित करना है.
डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)
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SEBI ने विदेशी निवेशकों के लिए लिया बड़ा फैसला! शेयर मार्केट पर दिख सकता है असर