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मुंबई3 घंटे पहले
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सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की चीफ माधबी पुरी बुच (फाइल फोटो)
हिंडनबर्ग के आरोपों पर सेबी चेयरपर्सन ने कहा है कि आरोपों में जिस फंड का जिक्र किया गया है उसे उन्होंने 2015 में लिया था। तब उनका SEBI से कोई संबंध नहीं था। हिंडनबर्ग के आरोपों के पर माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने रविवार (11 अगस्त) को बयान जारी कर आरोपों का खंडन किया। बुच ने बताया कि ये निवेश उन्होंने सेबी में शामिल होने से लगभग 2 साल पहले किया था।
उन्होंने हिंडनबर्ग पर आरोप लगाया कि भारत में अलग-अलग मामलों में हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नोटिस का जवाब देने के बजाय, उन्होंने सेबी की विश्वसनीयता पर हमला करने और सेबी चीफ के चरित्र हनन करने का विकल्प चुना है।
सेबी चीफ की ओर से जारी बयान की बड़ी बातें…
- 2011 से मार्च 2017 तक माधबी सिंगापुर में रहीं और वहीं काम किया। शुरुआत में एक प्राइवेट इक्विटी फर्म के बतौर नॉर्मल एंप्लॉई और बाद में एक सलाहकार के रूप में।
- रिपोर्ट में जिन फंड की बात की गई है, उसमें 2015 में निवेश किया गया था। उस समय माधबी और धवल बतौर प्राइवेट सिटिजन सिंगापुर में रहते थे। माधबी ने 2017 में सेबी जॉइन किया था।
- इस फंड में निवेश करने का फैसला इसलिए किया गया, क्योंकि चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर (CIO) अनिल आहूजा, धवल के बचपन के दोस्त हैं और स्कूल और IIT दिल्ली में भी साथ पढ़े थे।
- इसके बाद अनील अहुजा ने 2018 में जब चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर का पद छोड़ा तो, उन्होंने (माधबी बुच और धवल बुच) उस फंड (इन्वेस्टमेंट) को रिडीम कर लिया।
- CIO आहूजा ने भी निवेश की जानकारी कंफॉर्म की है कि किसी भी समय फंड ने अडाणी ग्रुप की कंपनी के किसी भी बॉन्ड, इक्विटी या डेरिवेटिव में निवेश नहीं किया।
- सिंगापुर में रहने के दौरान माधबी ने दो कंसल्टिंग फर्म बनाए- एक भारत और दूसरा सिंगापुर में। सेबी में नियुक्ति के तुरंत बाद दोनों फर्म अस्थाई रूप से बंद कर दिए गए। दोनों में शेयरहोल्डिंग की जानकारी उन्होंने सेबी को दी।
- धवल 2019 में यूनिलीवर से रिटायर हुए। इसके बाद उन्होंने दोनों कंपनियों के जरिए फिर से कंसल्टेंसी प्रैक्टिस शुरू किया। इसलिए, इन कंपनियों से होने वाली इनकम को माधबी के मौजूदा सरकारी वेतन से जोड़ना सही नहीं है।
- दोबारा शुरू करने के बाद जब सिंगापुर यूनिट की शेयरहोल्डिंग जब धवल के पास गई, तो इसकी जानकारी एक बार फिर न केवल सेबी को दी गई, बल्कि सिंगापुर और भारत के अथॉरिटी को भी दी गई।
हिंडनबर्ग ने SEBI चीफ पर फंड साइफनिंग के आरोप लगाए थे
शनिवार (10 अगस्त) को जारी हिंडनबर्ग रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने 5 जून 2015 को मॉरीशस स्थित IPE-प्लस फंड 1 में एक अकाउंट खुलवाया, जो कथित तौर पर फंड साइफनिंग में शामिल था।
हिंडनबर्ग ने यह भी आरोप लगाया था कि अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में सेबी चीफ और उनके पति की हिस्सेदारी है। ऑफशोर फंड म्यूचुअल फंड स्कीम्स हैं, जो इंटरनेशनल मार्केट में निवेश करती हैं। ये स्कीम्स किसी अन्य देश (विदेशी मार्केट) की इक्विटी या फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटी में निवेश करती हैं।
IIFL ने कहा- अडाणी ग्रुप में हमारा कोई निवेश नहीं
इधर, मॉरीशस स्थित 360-वन (पहले IIFL वेल्थ) ने कहा है कि IPE-प्लस फंड 1 ने कभी भी अडाणी ग्रुप के किसी भी शेयर में डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से कोई निवेश नहीं किया है। फंड में माधबी पुरी बुच और धवल बुच की होल्डिंग टोटल इन्फ्लो के 1.5% से कम थी।
360 वन की एक्सचेंज फाइलिंग की बड़ी बातें…
- IPE-प्लस फंड 1 नियमों को मानने वाला और रेगुलेटेड फंड है। इसे अक्टूबर 2013 में लॉन्च किया गया था और अक्टूबर 2019 तक संचालित किया गया था।
- अपने 6 साल के ऑपरेशन के दौरान, हमने किसी भी फंड के माध्यम से डायरेक्ट या इन-डायरेक्ट रूप से अडाणी ग्रुप के किसी भी शेयर में जीरो इन्वेस्टमेंट किया।
- बिजनेस के अपने पीक पर फंड 1 का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 48 मिलियन डॉलर (करीब ₹403 करोड़) था। इसमें 90% से ज्यादा फंड लगातार बॉन्ड में निवेश किया गया।
- इस फंड को इन्वेस्टमेंट मैनेजर मैनेज कर रहे थे। फंड ऑपरेशन या निवेश के फैसलों में निवेशक की कोई भागीदारी नहीं थी।
- फंड में माधबी पुरी बुच और धवल बुच की होल्डिंग टोटल इन्फ्लो के 1.5% से कम थी।
- रिपोर्ट में लिखे गए अन्य सभी पॉइंट्स दोहराए गए हैं और पिछले कम्युनिकेशन में डिटेल में एक्सप्लेन किए गए हैं।
- 360 वन एसेट मैनेजमेंट पुष्टि करता है कि इसके सभी फंड सभी रेगुलेशन का पूरी तरह से पालन करते हैं और हम कॉर्पोरेट गवर्नेंस के हाई-स्टैंडर्ड्स का पालन करते हैं।
अडाणी ग्रुप बोला- हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए ऐसा किया
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का अडाणी ग्रुप ने भी खंडन किया है। ग्रुप ने कहा- हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का गलत इस्तेमाल किया। अडाणी ग्रुप पर लगाए आरोप पहले ही निराधार साबित हो चुके हैं। गहन जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2024 में हिंडनबर्ग के आरोपों को खारिज कर दिया था।
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अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग ने शनिवार को सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की चेयरपर्सन पर गंभीर आरोप लगाए। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है।
बुच ने इन आरोपों को “निराधार” और “चरित्र हनन” का प्रयास बताया है। SEBI चेयरपर्सन ने सभी फाइनेंशियल रिकॉर्ड डिक्लेयर करने की इच्छा व्यक्त की। अपने पति धवल बुच के साथ एक जॉइंट स्टेटमेंट में उन्होंने कहा, ‘हमारा जीवन और फाइनेंसेस एक खुली किताब है।’
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SEBI चीफ बोलीं- जॉइन करने से पहले किया था निवेश: हिंडनबर्ग कारण बताओ नोटिस का जवाब देने की जगह चरित्र हनन कर रहा है