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SBI ने सरकारी आंकड़े से भी घटा दिया GDP अनुमान, गिनाये कारण-क्यों अर्थव्यवस्था पर आई ये मुसीबत Business News & Hub

SBI ने सरकारी आंकड़े से भी घटा दिया GDP अनुमान, गिनाये कारण-क्यों अर्थव्यवस्था पर आई ये मुसीबत Business News & Hub

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India GDP Growth Slowdown: भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के लिए बुरी खबरों के आने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. राष्ट्रीय सांख्यिकी ऑफिस के बाद अब देश की सबसे बड़ी सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (State Bank Of India) ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की रफ्तार के गति पर ब्रेक लगने की भविष्याणी कर दी है. एसबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को घटाकर 6.3 फीसदी कर दिया है जो कि एनएसओ (National Statistical Office) के 6.4 फीसदी अनुमान से भी कम है. एनएसओ ने 7 जनवरी 2025 को जीडीपी ग्रोथ के अनुमान का डेटा जारी करते हुए कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट 6.4 फीसदी रह सकता है. 

GDP ग्रोथ रेट गिरने की ये है वजह 

एसबीआई (SBI) के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्या कांति घोष (Soumya Kanti Ghosh) ने ये रिसर्च रिपोर्ट तैयार किया है. एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में कर्ज देने की रफ्तार से लेकर, मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि के धीमे पड़ने और बेस इफेक्ट के चलते जीडीपी ग्रोथ रेट में स्लोडाउन आया है. अपने नोट में एसबीआई ने कहा, चिंता की बात ये है कि इंडस्ट्री के सभी सबसेगमेंट्स में स्लोडाउन है और वित्त वर्ष 2024-25 में ये 6.2 फीसदी का ग्रोथ रेट दिखा सकता है जो कि वित्त वर्ष 2023-24 में 9.5 फीसदी से दर से बढ़ा था. 

मैन्युफैक्चरिंग-माइनिंग के चलते घटा GDP ग्रोथ रेट 

मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर के ग्रोथ रेट बीते वित्त वर्ष के मुकाबले इस वित्त वर्ष में नीचे खिसक सकता है. सर्विस सेक्टर बीते वर्ष के 7.6 फीसदी के मुकाबले इस वर्ष 7.2 फीसदी का ग्रोथ रेट दिखाएगा. ट्रेड, होटल्स, ट्रांसपोर्ट, कम्यूनिकेशन और ब्रॉडकास्टिंग का ग्रोथ रेट घटकर 5.8 फीसदी रह सकता है जो बीते वित्त वर्ष में 6.4 फीसदी, रहा था. इसके अलावा फाइनेंशियल, रियल एस्टेट और प्रोफेनल्स सर्विसेज का ग्रोथ रेट 7.3 फीसदी रहने का अनुमान है जो पिछले वित्त वर्ष में 8.4 फीसदी रहा था. एसबीआई रिसर्च के मुताबिक ये सभी अर्थव्यवस्था के ग्रोथ की रफ्तार को नीचे खींचकर ले जा हे हैं. पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन सबसेगमेंट के 9.1 फीसदी के दर से बढ़ने के आसार है जो पिछले वित्त वर्ष में 7.8 फीसदी के दर से बढ़ा था.  

प्रति व्यक्ति GDP में 35000 रुपये की बढ़ोतरी

एसबीआई रिसर्च के मुताबिक भले ही जीडीपी ग्रोथ रेट की रफ्तार धीमी हुई हो लेकिन वित्त वर्ष 2024-25 में प्रति व्यक्ति जीडीपी में 35000 रुपये की बढ़ोतरी आने की उम्मीद है. सरकारी खर्च और खपत के चलते नॉमिनल टर्म्स में 8.5 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट दिखा सकता है जबकि रियल टर्म्स में 4.1 फीसदी रहने का अनुमान है.  

केंद्र और राज्यों ने कम किया खर्च 

रिपोर्ट में सीजीए (CGA) के हवाले से बताया गया कि नवंबर 2024 तक बजट अनुमान का 56.9 फीसदी तक खर्च किया जा चुका है जिसमें रेवेन्यू एक्सपेंडिचर बजट अनुमान का 60.1 फीसदी और कैपिटल एक्सपेंडिचर 46.2 फीसदी तक खर्च किया जा चुका है. रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र और राज्य सरकारों का कैपिटल एक्सपेंडिचर 4 सालों के औसत एक्सपेंडिचर से कम रह सकता है. 17 बड़े राज्यों में से केवल 5 राज्यों ने ही 4 सालों के औसत से ज्यादा खर्च किया है जिससे जीडीपी ग्रोथ रेट पर असर पड़ा है. 

बैंकों के कर्ज देने की रफ्तार हुई धीमी 

कमर्शियल बैंको का क्रेडिट ग्रोथ रेट  घटकर इस वर्ष में 11.5 लाख करोड़ रुपये रहा जो पिछले वर्ष 21 लाख करोड़ रुपये रहा था और इसमें 15.4 फीसदी का उछाल देखने को मिला था. स्टडी के मुताबिक कर्ज देने की रफ्तार की गति के धीमे पड़ने से जीडीपी ग्रोथ रेट में भी कमी आएगी.   

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