Sachin Pilot: सचिन पायलट पर अपने ही घर राजस्थान में बेगाने का टैग क्यों? क्या है उनका यूपी कनेक्शन?


सचिन पायलट

सचिन पायलट
– फोटो : Social Media

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पूरे देश की निगाहें राजस्थान की सियासत पर टिकी है। एक ही सवाल है कि गहलोत कुर्सी बचाने में कामयाब होते हैं या सचिन पायलट के सिर राजस्थान का ताज सजेगा। राजस्थान का अगला सीएम कौन होगा, इसको लेकर ही सारा पॉलिटिकल ड्रामा हुआ। गहलोत गुट के विधायक पर्यवेक्षकों के बुलाए बैठक में नहीं पहुंचे। उन्होंने पर्यवेक्षक बनकर आए अजय माकन पर पक्षपात और साजिश का आरोप लगाया। यहां तक की गहलोत गुट ने सचिन पायलट को गद्दार कहा। पायलट के लिए एक और शब्द कहा गया ‘बाहरी’। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों सचिन पायलट पर बाहरी होने का टैग लगता आया है ?

गहलोत गुट के नेताओं ने बगावत कर मानेसर गए विधायकों को गद्दार कहा। उन्होंने मांग की कि पायलट गुट के किसी भी नेता को सीएम न बनाया जाए। वहीं गहलोत के मंत्री परसादी लाल मीणा ने सचिन पायलट पर निशाना साधा। एक समारोह में चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि चुनावों में बाहरी लोग आते हैं और चुनाव जीतकर चले जाते हैं। जबकि स्थानीय विधायक विकास पर ज्यादा ध्यान देते हैं। इसलिए स्थानीय को ही प्राथमिकता देनी चाहिए।

ग्रेटर नोएडा के वैदपुरा के रहने वाले हैं सचिन पायलट
मंत्री मीणा सचिन पायलट को बाहरी कह रहे थे। इसके पीछे कारण यह है कि सचिन पायलट का पैतृक गांव ग्रेटर नोएडा के वैदपुरा में है। उनके पिता राजेश पायलट वैदपुरा के रहने वाले थे। राजेश पायलट ने 13 साल तक वायुसेना की नौकरी की। फिर वो नौकरी छोड़कर राजनीति में आए। तब संजय गांधी ने राजेश्वर बिधूड़ी को राजेश पायलट का नाम देकर राजस्थान के भरतपुर में चुनाव लड़ने भेजा। भरतपुर यूपी से सटा इलाका था। 1980 में राजेश पायलट राजस्थान के भरतपुर से सांसद चुने गए थे। 

गुस्साए वैदपुरा निवासियों ने गहलोत का पुतला फूंका था
सचिन पायलट ग्रेटर नोएडा स्थित अपने पैतृक गांव में अक्सर आते रहते हैं। वे जब भी नोएडा आते हैं, अपने गांव वालों से जरूर मिलते हैं। गांव वाले पायलट को बहुत प्यार और सम्मान देते हैं। इसका उदाहरण दो साल पहले देखने को मिला। जब सचिन को उपमुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष पद से हटा दिया गया। ऐसे में गुस्साए वैदपुरा के लोगों ने अशोक गहलोत की शवयात्रा निकाली और पूतला फूंका।

पिता की मौत के बाद राजनीति में आए थे पायलट
मात्र 23 साल की उम्र में अपने पिता को खोने वाले सचिन पायलट कॉरपोरेट सेक्टर में नौकरी करना चाहते थे लेकिन पिता की मौत के बाद उन्होंने राजस्थान की राजनीति में कदम रखा। जिसके बाद सचिन पायलट की जिंदगी की दिशा ही बदल गई। सचिन पायलट के पिता के साथ मां भी राजनीति में भी थी। उनकी मां रमा पायलट भी विधायक रहीं लेकिन पहले सचिन का मन राजनीति में नहीं आने का था। कांग्रेस पार्टी में शामिल होने से पहले सचिन पायलट बीबीसी के दिल्ली स्थित कार्यालय में बतौर इंटर्न काम कर चुके हैं। इसके अलावा वे अमरीकी कंपनी जनरल मोटर्स में काम कर चुके हैं।

यूपी के सहारनपुर में हुआ जन्म
साल 1977 में यूपी के सहारनपुर में सचिन पायलट का जन्म हुआ है। उनकी  प्रारंभिक शिक्षा नई दिल्ली में एयर फ़ोर्स बाल भारती स्कूल में हुई। फिर उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद पायलट ने अमरीका में एक विश्वविद्यालय से प्रबंधन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की।

26 साल में सांसद बने
सचिन पायलट ने बहुत तेजी से राजनीति की सीढ़ियां चढ़ी। 2003 में कांग्रेस का दामन थामने के साथ ही अगले ही साल सचिन महज 26 साल की उम्र में युवा सांसद बने। 32 साल की उम्र में केंद्रीय मंत्री और 36 साल की उम्र में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, इसके बाद राजस्थान के उपमुख्यमंत्री तक बनाए गए। हालांकि, बाद में बगावत के कारण उन्हें अपना डिप्टी सीएम का पद गंवाना पड़ा। अब राजस्थान के नए सीएम को लेकर जल्द ही फैसला आने वाला है। अब देखना होगा कि सचिन पायलट का सीएम बनने का सपना पूरा होता है या नहीं।

 

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पूरे देश की निगाहें राजस्थान की सियासत पर टिकी है। एक ही सवाल है कि गहलोत कुर्सी बचाने में कामयाब होते हैं या सचिन पायलट के सिर राजस्थान का ताज सजेगा। राजस्थान का अगला सीएम कौन होगा, इसको लेकर ही सारा पॉलिटिकल ड्रामा हुआ। गहलोत गुट के विधायक पर्यवेक्षकों के बुलाए बैठक में नहीं पहुंचे। उन्होंने पर्यवेक्षक बनकर आए अजय माकन पर पक्षपात और साजिश का आरोप लगाया। यहां तक की गहलोत गुट ने सचिन पायलट को गद्दार कहा। पायलट के लिए एक और शब्द कहा गया ‘बाहरी’। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों सचिन पायलट पर बाहरी होने का टैग लगता आया है ?

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