माई सिटी रिपोर्टर
रोहतक। कैंसर पीड़ित महिलाओं या संभावित मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। महिलाओं के कैंसर की पहचान व जांच को आसान बनाने वाली तकनीक अब प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान पीजीआईएमएस में भी आ गई हैं। बच्चेदानी के मुंह के कैंसर की जांच के लिए पैपस्मियर मशीन व शरीर के बेहद छोटे हिस्से की जांच के लिए कोल्पोस्कॉपी उपकरण विशेष तौर पर लाया गया है।
महिलाओं में गर्भाश्य संबंधी तीन कैंसर हैं मुख्य
महिलाओं में गर्भाशय से संबंधित तीन तरह के कैंसर मुख्य हैं। इसमें बच्चेदानी के मुंह का कैंसर, बच्चेदानी का कैंसर व अंडेदानी का कैंसर शामिल है। इसके अलावा अन्य तरह के कैंसर भी हैं। ये कम हैं। बच्चेदानी का मुंह का कैंसर का बचाव काफी हद तक संभव है। इसके लिए 30 साल से ऊपर की महिलाओं का पैपस्मियर बनाते हैं। यह एक तकनीक पीजीआई में उपलब्ध है। इससे जांच आसान हो गई है।
टि्श्यू को बड़े रूप में दिखाती है कोल्पोस्कॉपी
कोल्पोस्काॅपी जांच की सुविधा में संस्थान में मरीजों को मुहैया कराई जा रही है। इस नई तकनीक से कैंसर संभावित मरीज के शरीर के उन हिस्सों को बड़ा करके देखा जा सकता है, जिन्हें सामान्य तौर पर देख पाना मुश्किल है।
कैंसर से बचाने में मददगार है एचपीवी
ह्यूमन पैपिलोमा वायरस यानी एचपीवी की पहचान भी संभव हो गई है। इसके लिए पीजीआई में किट मुहैया करा दी गई है। यौन संबंध से फैलने वाले इस वायरस से बच्चेदानी के मुंह का कैंसर होने का खतरा होता है। इससे बचाव के लिए अब वैक्सीन उपलब्ध है। फिलहाल यह वैक्सीन महंगी है। इसे मरीजों को अभी बाजार से ही खरीदना पड़ता है। यह वैक्सीन 9 से 15 साल की उम्र में ही लगा देनी चाहिए। यह सबसे सही उम्र होती है। इसके अलावा 45 साल तक की महिलाओं को भी इसे लगाया जा सकता है।
वर्जन:
एचपीवी जांच के लिए पैपस्मियर लिया जाता है। इस जांच में शक होने पर कोल्पोस्कॉपी जांच की जाती है।बच्चेदानी का कैंसर की पहचान बच्चेदानी के मुंह के कैंसर के मुकाबले ज्यादा मुश्किल है। कैंसर से बचाव के लिए परिवार में ऐसा केस होने पर अपनी जांच शुरू कराएं। समय पर जांच कैंसर से बचाव का बेहतर उपाय है।
डॉ. मीनाक्षी बी चौहान, यूनिट हेड, स्त्री एवं प्रसूति विभाग, पीजीआईएमएस।
.