रोहतक। निजी स्कूलों में दाखिला फीस के साथ-साथ अभिभावकों से महंगे दाम पर बैग, टाई, बेल्ट और ड्रेस दी रही हैं। सभी सामान को निजी स्कूल अपना लोगों लगाकर अभिभावकों को खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं। बैग, टाई, बेल्ट व ड्रेस आदि को 1500 रुपये से अधिक मूल्य पर दिया जा रहा है।
स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया है। ऐसे में दाखिला प्रक्रिया जोरों पर है। दाखिले की आड़ में निजी स्कूल अभिभावकों से जमकर व्यापार कर रहे हैं। दाखिला फीस के साथ अतिरिक्त शुल्क से लेकर और महंगा सामान बेचने तक लूट मचा रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि जहां केवल फीस तक सीमित रहते थे, वहां निजी स्कूल अब मनचाहे दाम पर अपने स्कूल का लोगों लगाकर सामान दे रहे हैं। इसमें बैग, टाई, बेल्ट, जूते, जुराब व ड्रेस आदि शामिल हैं। इनकी कीमत 500 से लेकर 1500 रुपये तक ली जा रही है। बड़े निजी स्कूलों में तो 1500 से अधिक में यह सामान दिए जा रहे हैं। अभिभावकों को आरोप है कि दाखिला फीस के साथ-साथ स्टेशनरी, ड्रेस आदि का कुल मिलाकर 20 हजार से अधिक तक वसूला जा रहा है। लेकिन, बच्चों को पढ़ाना जरूरी है।
शिक्षा विभाग की ओर से बनाई गई टीम निजी स्कूलों में निरंतर जांच अभियान चला रही है। इस प्रकार का कोई मामला नहीं मिला है। अभिभावकों की ओर से भी शिकायत मिलने पर संबंधित स्कूल पर तुरंत कार्रवाई होगी।
– दिलजीत सिंह, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी।
निजी स्कूलों का लोगो लगाकर बैग, टाई, बेल्ट आदि महंगे दाम पर दे रहे हैं। दस से अधिक बिल्डिंग चार्ज लिए जा रहे हैं। करीब 20 हजार से अधिक का एस्टीमेट बना दिया। इस कारण अभी तक बच्चे का दाखिला नहीं करवाया है। बिजली का काम करता हूं। सरकार की ओर से कई योजनाएं बनाई जा रही हैं। लेकिन, उनका भी कोई असर नहीं हो रहा है।
– बिजेंद्र कुमार, अभिभावक, नेहरू कॉलोनी निवासी।
कोई ऐसी चीज नहीं बची, जो निजी स्कूलों में नहीं बेची जा रही हो। सरकार का इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं है। बेल्ट 100-150 रुपये से कम में नहीं दे रहे। जहां दुकानों पर अलग-अलग दामों से बैग मिल जाते हैं। बैग की कीमत भी 500 रुपये से अधिक कर दी है है। अभिभावकों के ऊपर शर्त लगा दी गई है कि यही खरीदना पड़ेगा। स्कूलों में ड्रेस तक बेची जाने लगी। शिक्षा और स्वास्थ्य निशुल्क होना चाहिए।
– अनिल गर्ग, हनुमान कॉलोनी, राज्य उपाध्यक्ष, अभिभावक संघ।
अभिभावकों की मजबूरी बन गई है। एक स्कूल में दाखिल नहीं करवा सकते तो दूसरे में ट्राई कर लेते हैं। स्कूल प्रबंधक ड्रेस के लिए अपने दुकानदारों के पास भेज रहे हैं। करीब 1500 रुपये से अधिक में स्कूल ड्रेस अभिभावकों को दी जा रही है। पहले अभिभावक कम दामों पर कहीं से भी स्कूल के कपड़े खरीद लेते थे, लेकिन अब स्कूलों के बाजारीकरण ने अभिभावकों की जेब पर डाका डालना शुरू कर दिया है।
– पारस, छोटूराम नगर, अभिभावक।
09सीटीके30 बड़ा बाजार में पाठ्यसामग्री खरीदने के लिए एक दुकान पर खड़े अभिभावक। स्रोत : अभिभाव– फोटो : katra news

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