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फोटो : 03रेवाड़ी। बाघ की सूचना पर कोटकासिम के जकोपुर गांव में एकत्रित हुए लोग। स्रोत : वीडियो
संवाद न्यूज एजेंसी
रेवाड़ी। सरिस्का से निकल कर गांव झाबुआ के जंगल में पहुंचा बाघ अब यहां से निकलकर राजस्थान के कोटकासिम के जखोपुर गांव में पहुंच गया है। तीन दिन से झाबुआ के जंगल में बाघ की गतिविधि नहीं हो रही थी। शनिवार की सुबह जकोपुर गांव के रहने वाले नरेश पुत्र झमन लाल प्रजापत ने बाघ को सड़क पार करते देखा है।
जखोपुर गांव से मात्र 100 मीटर की दूरी पर ही खेत में बाघ एसटी 2303 के पंजों के निशान देखे गए हैं। सूचना मिलने पर मौके पर जखोपुर और मसवासी गांव के लोग इकट्ठे हो गए। लोगों ने बाघ के पंजों के निशान के आधार पर उसकी तलाश शुरू कर की। इसी दौरान सरिस्का रेंजर्स शंकर सिंह सहित किशनगढ़ बास रेंजर को टेलीफोन से सूचना दी गई। बाघ की सूचना मिलने के बाद पूरे गांव में दहशत का माहौल है। इसकी जानकारी होने पर सरिस्का वन विभाग के रेंजर शंकर सिंह शेखावत दोपहर करीब 12 बजे पहुंचे। बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिए एक विशेषज्ञ डॉक्टर को बुलाया गया है। तीन जेसीबी भी मौके पर पहुंच गई है। वन विभाग के कर्मचारियों को बुलाया गया है जो तलाश में जुटी हुई है।
सरिस्का के बफर जोन से निकला बाघ एसटी 2303 फिलहाल अब मानव जाति के लिए खतरा बन चुका है। यह बाघ 7 महीने पहले भी सरिस्का से निकलकर कोटकासिम क्षेत्र से होता हुआ रेवाड़ी पहुंचा था लेकिन बाद में वापस बानसूर होता हुआ सरिस्का पहुंचा था। इस दौरान नरवास गांव में बाघ ने एक व्यक्ति को घायल किया था। वहीं तीन वनकर्मियों को भी इसने घायल किया था। इस बार भी सरिस्का के बफर जॉन से निकले इस टाइगर ने पांच लोगों को घायल किया था। वन विभाग की टीम टाइगर को रेस्क्यू करने में असफल साबित हो रही है।
चार दिन पहले भगाना में मिले थे बाघ के पंजों के निशान
चार दिन पहले जखोपुर गांव से महज 3 किलोमीटर दूर राजस्थान के ही भगाना गांव में बाघ के पंजों के निशान देखे गए थे। उस समय वन विभाग की टीम पूरे दिन डेरा जमाए बैठी रही लेकिन बाघ को रेस्क्यू नहीं कर पाई। इन तीन दिनों में टीम खेत-खेत घूमती रही लेकिन ना तो उन्हें बाघ के पंजों के निशान मिले और ना ही बाघ मिला। वहीं, अब जखोपुर में शनिवार को बाघ के पग मार्क देखे गए और बाघ भी दिखाई दिया है।
लोगों ने वन विभाग की कार्यशैली पर उठाए सवाल
ग्राम पंचायत जखोपुर के सरपंच प्रतिनिधि राजू जाट ने बताया कि बाघ खेत के अंदर बैठा हुआ है और ग्रामीण चारों ओर खेत को घेरे हैं। वन विभाग की टीम और प्रशासन को सूचित किया गया है। बाघ को पकड़ने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। आरोप लगाया कि एसडीएम मौके पर आए लेकिन वह गाड़ी के अंदर बैठे रहे और बाहर की स्थिति का जायजा नहीं लिया। वन विभाग के अधिकारियों पर कोई दबाव नहीं डाला जा रहा है। गांव वालों ने सहायता के लिए तीन जेसीबी मंगाई गई है। राजू जाट ने बताया कि वन विभाग की टीम चाहती है कि अंधेरा होने के बाद लोग अपने घर चले जाएं और बाघ वहां से निकल जाए।
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Rohtak News: झाबुआ से राजस्थान के जखोपुर गांव में पहुंचा बाघ