Rohtak News: गुरु सचिन के हाथों सम्मानित हुईं शैफाली तो सोनिया के आदर्श हैं ऋषभ पंत


44---सचिन तेंदुलकर के साथ शैफाली वर्मा और सोनिया। विज्ञप्ति

44—सचिन तेंदुलकर के साथ शैफाली वर्मा और सोनिया। विज्ञप्ति

माई सिटी रिपोर्टर

रोहतक। अंडर-19 महिला क्रिकेट विश्वकप जीतने वाली भारतीय टीम की कप्तान शैफाली की मुलाकात क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर से हुई। पहली बार अपने गुरु सचिन को बेहद करीब से देखा। कप जीतने के बाद अहमदाबाद पहुंची टीम से हुई मुलाकात में वह न केवल सचिन से मिलीं, बल्कि उनके हाथों सम्मानित भी हुई। सचिन से हुई मुलाकात के दौरान लिया फोटो शैफाली ने पिता संजीव वर्मा को भेजा है। इसमें रोहतक की दूसरी बेटी सोनिया भी साथ हैं।

शैफाली के पिता संजीव वर्मा ने कहा कि शुरू से ही वह सचिन की फैन है। लाहली में अपना आखिरी टेस्ट खेलने आए सचिन को देखने भी गई थी। उस समय मुलाकात नहीं हो पाई थी। वह सचिन की इस कदर फैन है कि अपने बाल तक सचिन की तरह कटवाए हैं। सचिन से प्रभावित बेटी को विश्व कप जीतने के बाद बड़ी खुशी मिली है। वह अपने पसंदीदा स्टार खिलाड़ी से मिली। उनके हाथों सम्मानित हुई। यह हमारे लिए भी गर्व की बात है। सचिन ने भी टीम को सराहते हुए कहा कि आप सभी अच्छा खेलें। आगे भी इसी तरह शानदार प्रदर्शन जारी रखें। इसके लिए अभ्यास करते रहें। सचिन से मुलाकात के बाद सभी खिलाड़ी उत्साहित हैं। इन्हें प्रेरित करने के लिए बीसीआई ने विशेष तौर पर यह कार्यक्रम आयोजित किया था। इसके बाद शैफाली वरिष्ठ महिला क्रिकेट विश्व कप के लिए वापस चली गई, जबकि विजयी टीम का हिस्सा रही रोहतक की दूसरी बेटी सोनिया घर के लिए रवाना हुई।

सचिन से हुई मुलाकात अविस्मरणीय

सोनिया ने कहा कि सचिन मुलाकात यादगार रहेगी। इसे कभी नहीं भूल सकती। उन्होंने सभी को विश्व कप में अच्छे प्रदर्शन के लिए सराहा। साथ ही भविष्य में भी बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया। बचपन में उनका नाम सुनती थी। पहली बार उन्हें देखा। उनसे मुलाकात हुई। उन्होंने सभी को प्रेरित करते हुए कहा कि सब अच्छा खेलें। आगे भी अच्छा खेलना।

ऋषभ पंत हैं ऑलराउंडर सोनिया के आदर्श

विश्व कप जीतने के बाद पहली बार घर पहुंची ऑलराउंडर सोनिया ने कहा कि ऋषभ पंत मेरे आदर्श हैं। अपनी गेंदबाजी में जो करती हूं, उन्हीं काे देखकर करती हूं। उनके घायल होने का दुख है। शैफाली और मैं एक ही कोच की शिष्य हैं। मेरी सफलता का श्रेय मां सरोज को जाता है। इसके अलावा शुरुआती कोच विजय व ग्रामीणों ने काफी सहयोग किया। यह मेरे लिए सौभाग्यपूर्ण बात है।

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