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Rohtak News: एचआईवी के सैकड़ों सैंपल फ्रीज, मरीजों को रिपोर्ट का इंतजार Latest Haryana News

Rohtak News: एचआईवी के सैकड़ों सैंपल फ्रीज, मरीजों को रिपोर्ट का इंतजार  Latest Haryana News

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रोहतक।

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प्रदेश के सैकड़ों गर्भस्थ शिशुओं पर एचआईवी संक्रमण का काला साया मंडरा रहा है। इसकी वजह हरियाणा एड्स कंट्रोल सोसाइटी की हड़ताल है। हड़ताल के चलते एचआईवी पीड़ितों या संभावितों के साथ गर्भवती महिलाओं की भी जांच नहीं हो रही है। पिछले एक पखवाड़े से सैंपल लिए जा रहे हैं, मगर इनकी रिपोर्ट जारी नहीं हो रही है। यह सैंपल विभाग के डी-फ्रीजर में फ्रीज किए जा रहे हैं।

प्रदेश में एक अगस्त से एड्स कंट्रोल सोसाइटी के कर्मचारी हड़ताल पर हैं। इसके चलते सिविल अस्पताल व पीजीआईएमएस के कर्मचारी पिछले एक पखवाड़े से काम बंद कर सिविल सर्जन कार्यालय पर प्रदर्शन कर रहे हैं। रोहतक के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों में भी इसी तरह विरोध जताया जा रहा है। इस कारण एचआईवी पीड़ित, एचआईवी संभावित व गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच नहीं हो पा रही है। स्वास्थ्य संस्थानों में केवल ऐसे लोगों के ब्लड सैंपल लिए जा रहे हैं। इन्हें भी लैब के डी-फ्रीज में स्टोर किया जा रहा है। हड़ताल समाप्त होने पर इन सैंपलों की जांच की तैयारी है, जबकि हड़ताल कब खत्म होगी यह स्पष्ट नहीं है। ऐसे में सैंपल खराब होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। यही नहीं, अपने सैंपल की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे मरीजों को दोबारा सैंपल देने की प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ सकता है। ऐसे में मरीज की तकलीफ के साथ संसाधनों का भी नुकसान साफ नजर आ रहा है।

पीजीआई में रोज आ रही 100 गर्भवती

पीजीआई के स्त्री रोग विभाग में ही रोजाना 100 से ज्यादा गर्भवती पहुंच रही हैं। इनकी एचबी समेत विभिन्न जांचों में एचआईवी जांच भी कराई जाती है। करीब 16 दिन से संस्थान में यह जांच नहीं हो रही है। हड़़ताल के चलते जांच बंद है। केवल ओपीडी के 99 नंबर कमरे में सैंपल लिए जा रहे हैं। इसके अलावा विभिन्न विभागों के अन्य मरीज अलग हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में मरीज प्रभावित हैं।

कर्मचारियों की हड़ताल के चलते काम प्रभावित है। इन कर्मचारियों के पास एचआईवी की गंभीर बीमारी के मरीजों की जांच का काम है। इनकी हड़ताल का मरीजों पर सीधे असर पड़ता है।

राजेंद्र लोहान, प्रधान, हरियाणा एड्स कंट्रोल सोसाइटी।

गर्भवती महिला की एचआईवी जांच जरूरी है। जांच से ही गर्भस्थ शिशु के संक्रमित होने या नहीं होने का पता लगता है। यदि संक्रमण है तो तुरंत उपचार शुरू किया जाता है। संक्रमण का पता लगने पर समय रहते दवा देकर नवजात को सुरक्षित रखा जा सकता है। हड़ताल से यह जांच नहीं हो रही है। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

डाॅ. पुष्पा दहिया, अध्यक्ष, स्त्री राेग एवं प्रसूति विभाग, पीजीआईएमएस।

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