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रोहतक। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनना बेहद जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए लाखनमाजरा की महिला आशा ने एक स्वयं सहायता समूह से जुड़कर खुद की पहचान बनाई है। आठवीं पास आशा के पति मजदूर हैं तो घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं रही। ऐसे में उन्होंने 50 हजार रुपये लोन लेकर बैग बनाने का काम शुरू किया।
शुरुआत में परिवार के सदस्यों ने काम के लिए रोका भी लेकिन आशा के सिर पर स्वरोजगार की धुन सवार थी और उन्होंने बैग बनाने का काम जारी रखा। अब वह रोहतक ही नहीं, दूसरे प्रदेशों तक में खुद के बनाए बैग की प्रदर्शनी लगाती हैं और उनको फोन पर ही इसके ऑर्डर भी मिलने लगे हैं।
उनका कहना है कि स्वावलंबन के लिए वह स्वयं सहायता से जुड़ीं और बैग बनाने का स्वरोजगार शुरू किया, उसी से उनको पहचान मिली है। अब तो वे रोहतक व हरियाणा ही नहीं बल्कि दूसरे प्रदेशों में भी खुद के तैयार बैग की प्रदर्शनी लगाती है। हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत वे 2016 में श्रीराम स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं।
इसके बाद उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक व प्रशासन की ओर से खरावड़ में संचालित केंद्र से बैग बनाने की ट्रेनिंग ली। आठवीं पास आशा इस स्वरोजगार से प्रति महीना करीब 12 हजार रुपये तक आमदनी कर रही हैं। वह बैग बनाने के लिए अब कच्चा सामान दिल्ली से खुद लाती हैं।
उनका कहना है कि वह जूट, जकाट व कनवस के कपड़े से बैग बनाती हैं। उन्होंने अब तक रोहतक, कुरुक्षेत्र, गुरुग्राम, नोएडा के अलावा चैन्नई में भी प्रदशर्नियों में इनकी स्टाॅल लगाई है।
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Rohtak News: आशा ने लोन लेकर बैग बनाने शुरू किए, अब नोएडा से चेन्नई तक में लगा चुकी प्रदर्शनी


