Rohtak News: पीएचडी के प्रवेश में भाई-भतीजावाद और भेदभाव का आरोप


माई सिटी रिपोर्टर

रोहतक। एमडीयू एक बार फिर चर्चा में है। इस बार मामला पीएचडी में बगैर मेरिट प्रवेश दिए जाने का है। अर्थशास्त्र विभाग की एक छात्रा ने इस बारे में विश्वविद्यालय के कुलपति के नाम लिखी शिकायत में न्याय की गुहार लगाई है।

यही नहीं, दाखिला प्रक्रिया में भेदभाव बरतने, सिफारिशों और भाई भतीजावाद के आधार पर प्रवेश दिए जाने का भी आरोप लगाया है। इधर, विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बैठक बुलाकर शीघ्र निर्णय लेने का दावा किया है।

छात्रा का आरोप है कि वह पीएचडी में प्रवेश लेना चाहती हैं। विश्वविद्यालय की ओर से जारी वर्ष 2022-23 विवरणिका में अर्थशास्त्र विभाग में पीएचडी की सीटें शून्य दर्शाई गई हैं, जबकि अर्थशास्त्र विभाग में गुपचुप तरीके से अनेक पीएचडी दाखिले किए गए हैं। यह दाखिले पीएचडी अध्यादेश नियमों के खिलाफ हैं। दाखिले के बगैर मेरिट के सिफारिशों एवं भाई भतीजावाद के आधार पर किए गए हैं। यह मेधावी और आम छात्र छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ है। छात्रा ने अर्थशास्त्र में पीजी डिग्री 72.09 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की है। यूजीसी नेट-जेआरएफ में 218 स्कोर प्राप्त किया है। इसके बावजूद सामान्य श्रेणी में छात्रा से कम अंक वालों को दाखिला दिया गया है। पीएचडी अध्यादेश नियमों के अनुसार केवल दो सीटें ही जेआरएफ के तहत भरने का प्रावधान है। शेष सभी सीटें विज्ञापन के माध्यम से मेरिट अनुसार ही भरी जानी थी। विभाग ने विज्ञापन वाली सीट पर भी धांधली कर चहेतों को दाखिला दिया है। यह पीएचडी अध्यादेश के साथ यूजीसी नोटिफिकेशन 2016 का भी उल्लंघन है। छात्रा ने कुलपति से अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए दाखिला देने की अपील की है। साथ ही पीएचडी दाखिले में धांधली और नियमों की अवहेलना रोकने के लिए की सभी सीटें विज्ञापन के माध्यम व मेरिट अनुसार ही भरी जाने की मांग की है।

डायरेक्टर पीएचडी में प्रवेश के विरोध में दी शिकायत

छात्रा ने कहा है कि शैक्षणिक शाखा से मिली जानकारी के मुताबिक, नियमानुसार पीएचडी दाखिले में एक शिक्षक केवल दो जेआरएफ सदस्य ले सकता है। दो से ज्यादा डायरेक्ट दाखिला लेने पर विवि की ओर से इन्हें रद्द कर दिए जाने का प्रावधान है। उन सीटों को विज्ञापन के जरिये भरा जाएगा। इसके बावजूद अर्थशास्त्र विभाग में शिक्षक नियमों को ताक पर रख कर दो से अधिक डायरेक्ट दाखिले कर रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि एक शिक्षक ने तो छह डायरेक्ट दाखिले कर लिए। इससे सामान्य परिवार के बच्चे वंचित रह जाएंगे। इसलिए दो से अधिक सीटों पर किए गए दाखिले भी रद्द किए जाएं।

विवि में पीएचडी के लिए प्रवेश आर्डिनेंस के तहत किए जा रहे हैं। डायरेक्ट दाखिले के संबंध में हाल में ही बैठक की गई है। इसमें सभी ने मामले में पुनर्विचार करने की बात कही है।

डॉ. सुरेंद्र सिंह, अधिष्ठाता, शैक्षणिक मामले, एमडीयू

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