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13सीटीके18..पीजीआई में मंगलवार भीख मांग प्रदर्शन करते एनएचएम कर्मचारी। संवाद
एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल 19वें दिन भी जारी रही। सुबह 9 बजे से ही कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ रोष प्रकट कर नारेबाजी की। नारों पर ढोलक और झुनझुना भी बजाया। दोपहर 12 बजे करीब 300 कर्मचारी सिविल सर्जन कार्यालय से मेडिकल मोड़ तक दुकान दर दुकान जाकर रोष स्वरूप भीख मांगी।
पिछले 27 वर्षों से हो रहा शोषण
एनएचएम कर्मचारियों ने कहा कि वर्ष 1997 से लगातार स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं दे रहे हैं। एनएचएम कर्मचारियों का पिछले 27 वर्षों से सिर्फ शोषण किया जा रहा है। मनरेगा की दैनिक मजदूरी से भी उनका दैनिक वेतन कम है, जो वर्ष 2024-25 मे 363 रुपये प्रतिदिन है। एक एनएचएम कर्मचारी को शुरुआत में 5 वर्षों के लाए आज भी मात्र 7580 रुपये प्रतिमाह (लगभग 252 रुपये प्रतिदिन) मिलते हैं। विगत 10 वर्षों से भी ज्यादा समय से इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।
एनएचएम कर्मचारियों का बड़ा योगदान
एनएचएम कर्मचारियों की भर्ती स्थानीय स्तर पर प्रदेश सरकार के रोजगार नियमानुसार हुई थी। इसमें सूबे के निवासियों को प्राथमिकता दी गई थी। एनएचएम कर्मचारी प्रदेश के आमजन की स्वास्थ्य की रक्षा के प्रति वचनबद्ध रहे हैं। इसके कारण प्रदेश की मातृत्व मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर भी देश में सबसे कम है।
भीख में मिली राशि सरकारी खजाने में कराएंगे जमा
प्रधान डॉ. अंकित ने कहा कि प्रदेश सरकार के उच्च अधिकारियों के साथ हुई बैठकों में केंद्र से मिलने वाले सहायता राशि की कमी व राज्य पर आर्थिक बोझ बढ़ने का हवाला देकर एनएचएम कर्मचारियों की जायज मांगों को नकारा जाता रहा है। फंड की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से मंगलवार को प्रदेशभर में एनएचएम कर्मचारियों ने भीख मांगी। एकत्र राशि को प्रदेश सरकार के खजाने में जमा करने का निश्चय किया है, ताकि सरकार के खजाने पर पड़ने वाले अतिरिक्त बोझ की भरपाई की जा सके।
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Rohtak News: एनएचएम कर्मचारियों ने दुकानदारों से विरोध स्वरूप मांगी भीख, सरकारी खजाने में कराएंगे जमा