Ranji Trophy Final: यश और शुभम के शतक, मध्यप्रदेश ने पहली बार रणजी चैंपियन बनने की ओर बढ़ाए कदम


बेंगलुरु. युवा बल्लेबाज यश दुबे और शुभम शर्मा की शतकीय पारियों के दम पर मध्य प्रदेश ने रणजी ट्रॉफी-2022 के फाइनल में मुंबई के खिलाफ अपनी स्थिति मजबूत कर ली है. यश और शुभम के बीच दूसरे विकेट के लिए 222 रन की साझेदारी हुई. मध्यप्रदेश ने अपने पहले रणजी खिताब की ओर मजबूती से कदम बढ़ा दिए हैं. मुंबई की पहली पारी में 374 रन का स्कोर बड़ा लग रहा था लेकिन दुबे ने 236 गेंद में 14 चौकों की मदद से 113 और शुभम ने 215 गेंद में 15 चौके और एक छक्का जड़ 116 रन की पारी खेलकर टीम को बेहद मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया.

अगर अब नहीं लड़खड़ाए तो झोली में होगा पहला खिताब

मध्यप्रदेश ने शुक्रवार को तीसरे दिन का खेल खत्म होने तक 3 विकेट पर 368 रन बना लिए हैं. पहली पारी के आधार पर मुंबई से वह सिर्फ 6 रन पीछे है. ऐसे में मध्यप्रदेश को पहली पारी में निर्णायक बढ़त लेने के लिए केवल 7 रन की जरूरत है और अगर टीम की बल्लेबाजी चौथी पारी में बुरी तरह से लड़खड़ाती नहीं है तो खिताब उनकी झोली में होगा.

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1998-99 में टूट गया था सपना

मध्यप्रदेश की टीम पिछली बार 1998-99 में रणजी फाइनल में पहुंची थी लेकिन तब उसे कर्नाटक से हार का सामना करना पड़ा था. तब मध्यप्रदेश की कप्तानी चंद्रकांत पंडित संभाल रहे थे, जो अब टीम के हेड कोच हैं. उस फाइनल में मध्यप्रदेश की दूसरी पारी 150 रन पर सिमट गई थी और खिताबी जीत का उसका सपना टूट गया. अब 23 साल बाद उसके पास खिताब जीतने का एक बड़ा मौका है.

एमपी के बल्लेबाजों ने दिखाया धैर्य

तीसरे दिन की शुरुआत 1 विकेट पर 123 से करने के बाद मध्य प्रदेश के बल्लेबाजों ने तीसरे दिन धैर्य से खेलते हुए 245 रन बनाए. इस दौरान मुंबई के गेंदबाज विकेट के लिए तरस गए. स्टंप्स के समय इंडियन प्रीमियर लीग में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए शानदार प्रदर्शन करने वाले रजत पाटीदार 106 गेंद में 13 चौकों की मदद से 67 और कप्तान आदित्य श्रीवास्तव 33 गेंदों पर 11 रन बनाकर खेल रहे थे. टीम की कोशिश अब अपनी बढ़त को इतना बढ़ाने पर होगी जहां से मुंबई को वापसी का मौका नहीं मिल सके.

धूप ने किया काम आसान

बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम की पिच से गेंदबाजों को मदद मिलने का संकेत नहीं मिल रहा था. दिन में निकली तेज धूप ने बल्लेबाजों का काम और आसान कर दिया. सबसे बड़ी निराशा मुंबई के बाएं हाथ के स्पिनर शम्स मुलानी (40 ओवर में 1 विकेट पर 117) को हुई, जिन्होंने बहुत अधिक ढीली गेंदें फेंकी. अनुभवी धवल कुलकर्णी (21 ओवर में बिना सफलता के 51 रन) और तुषार देशपांडे (24 ओवर में 73 रन पर 1 विकेट) ने भी औसत गेंदबाजी की.

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मुंबई के गेंदबाजों का मेडन पर रहा जोर

मुंबई के गेंदबाजों ने शुरुआती ओवरों में विकेट लेने की जगह मेडन ओवर डालने पर जोर दिया जिससे आधे घंटे के खेल के बाद दुबे और शुभम ने लय हासिल कर ली और आसानी से कवर ड्राइव लगाए. इस टीम में रणजी चैंपियन बनने के इकलौते अनुभवी खिलाड़ी कुलकर्णी ने लगातार ऑफ के काफी बाहर गेंद फेंकी. जिन्हें बल्लेबाजों ने विकेटकीपर के लिए छोड़ दिया.

यश और शुभम का रहा जलवा

शम्स मुलानी के क्रीज पर आते ही शुभम ने लॉन्ग ऑफ पर छक्का जड़ा, जिसके बाद कप्तान पृथ्वी शॉ के चेहरे पर निराशा देखी जा सकती थी. दुबे ने इस सीजन में 613 जबकि शुभम ने 578 रन बनाए हैं. दोनों ने गेंद को बाउंड्री लगाने के साथ बीच-बीच में 1-1 रन चुराना जारी रखा. अपनी 222 रन की साझेदारी में दोनों ने 76 बार 1-1 रन लिए.

पृथ्वी शॉ की साफ दिखी निराशा

अरमान जाफर ने शॉर्ट प्वॉइंट पर शुभम का कैच टपकाया लेकिन मोहित अवस्थी (20 ओवर में 53 रन देकर 1 विकेट) के अलावा कोई प्रभावित नहीं कर पाया. मुंबई के खिलाड़ियों ने निराशा में कई बार आउट की अपील भी की. एक मौके पर कप्तान पृथ्वी शॉ अंपायर वीरेन्द्र शर्मा से कहने लगे कि गेंद बल्ले को छूकर निकली है, आपको सुनाई नहीं दिया. रीप्ले में हालांकि दिखा की गेंद बल्ले के दूर से निकली थी.

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यश दुबे ने भी सरफराज की तरह मनाया जश्न

दुबे ने भी अपना शतक बनाने के बाद ‘सिद्धू मूसेवाला’ की तरह जांघ पर हाथ मारने के बाद अंगुली को आसमान की उठाकर जश्न मनाया जैसा मुंबई के लिए सरफराज ने किया था. ऐसा लगा कि उनका यह जश्न मूसेवाला को श्रद्धांजलि देने की जगह सरफराज को जवाब दे रहा था. शुभम को अवस्थी ने शिकार बनाया जबकि मुलानी ने दुबे को चलता किया. इसके बाद पाटीदार और श्रीवास्तव ने चौथे विकेट के लिए 72 रन की अटूट साझेदारी कर मुंबई की वापसी की कोशिश को विफल कर दिया.

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