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इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
मुसलमानों का भरोसा जीतने के लिए बीजेपी ने एक नई पहल शुरू की। रमज़ान के बाद ईद आने वाली है। जगह-जगह इफ्तार पार्टियों का दौर चल रहा है। बीजेपी ने गरीब मुसलमानों के घर खाने के सामान का गिफ्ट हैंपर पहुंचाने की मुहिम शुरू की है। इस मुहिम को नाम दिया गया है, सौगात-ए-मोदी। बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे के कार्यकर्ता देशभर में 32 लाख गरीब मुस्लिम परिवारों को ईद के मौके पर सौगात-ए-मोदी किट 32 हजार मस्जिदों के ज़रिए पहुंचाएंगे। मंगलवार को दिल्ली और नवी मुंबई में इसकी शुरुआत हुई। सौगात-ए-मोदी किट में सेवइयां, खजूर, मेवे, चीनी, बेसन और घी से लेकर महिलाओं के लिए सूट का कपड़ा और पुरुषों के लिए कुर्ता पायजामे का कपड़ा है। चूंकि बीजेपी की इस स्कीम के लाभार्थी मुसलमान हैं, इसलिए विरोधी दलों को ये पहल रास नहीं आई। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आरजेडी, तृणमूल कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने इसे बिहार चुनाव से जोड़ा। ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष साजिद रशीदी ने कहा कि मुसलमानों के प्रति बीजेपी जो अपनापन दिखा रही है, उससे उम्मीद है, मुसलमानों का मन भी बदलेगा। ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि बीजेपी की तरफ से मोहब्बत के ऐसे पैगाम से नफरत की वो खाई मिटेगी, जो कुछ लोगों की बयानबाजी से पैदा होती है।

जो लोग कह रहे हैं कि ईद पर मोदी की सौगात मुसलमानों के वोटों के लिए है, वो मुसलमानों को क्या समझते हैं? बस सेवई, खजूर और मेवे का एक पैकेट मिलेगा और मुसलमान बीजेपी को वोट देने के लिए निकल पड़ेंगे? अगर गरीब मुसलमान को सौगात देने से इतना फायदा होता है तो बाकी पार्टियों को भी सौगात बांटना चाहिए। उन्होंने पहले क्यों नहीं सोचा? मुझे लगता है कि त्योहार के मौके पर गरीबों को जो भी सौगात मिले, उसका स्वागत होना चाहिए। हर बात में सियासत घुसाने की कोई जरूरत नहीं है।
जज का कैश : क्या NJAC पर फिर से गौर किया जाए?
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने जस्टिस यशवन्त वर्मा के घर से मिले कैश के मामले में एक वकील द्वारा दायर अर्जी पर फौरन सुनवाई करने से इंकार कर दिया। सुनवाई की तारीख बाद में मुकर्रर होगी। इस बीच तीन जजों की टीम ने अपनी जांच शुरू कर दी है। जांच टीम में शामिल तीनों जज जस्टिस वर्मा के घर उस स्टोर रूम को देखने पहुंचे, जहां करेंसी नोटों से भरे बोरों में आग लगी थी। तीनों जज अब इस केस से जुड़े लोगों के फोन कॉल डिटेल की जांच करेंगे। उधर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कॉल पर सारे वकील बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं। हाई कोर्ट की 88 पीठों में रोज़ाना क़रीब दस से पंद्रह हज़ार मामलों की सुनवाई होती है। बार एसेसिएशन ने एलान किया है कि जस्टिस वर्मा के केस को एकमात्र केस के तौर पर न लिया जाए, ये मामला न्याय व्यवस्था में लगे घुन की एक मिसाल भर है। इसलिए अब लड़ाई व्यवस्था को दुरुस्त करने की है। जस्टिस यशवन्त वर्मा के केस को लेकर सिर्फ संसद ही नहीं, पूरे देश में हर स्तर पर चिंता जताई जा रही है। खासतौर पर न्यायपालिका से जुड़े लोग ज्यादा परेशान हैं।
क़ानून के जानकारों का कहना है कि मौजूदा सिस्टम में जस्टिस वर्मा के केस में बहुत कुछ हो पाएगा, इसकी गुंजाइश नहीं है। रिटायर्ड जजों की राय है कि इस मामले में संसद को ही सक्रिय भूमिका निभानी पड़ेगी। दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज एस.एन. ढींगरा ने इंडिया टीवी के शो में कहा कि नेशनल जुडिशियल अकाउंटेबिलीटी कमीशन एक्ट पर फिर से विचार होना चाहिए। इस कानून को 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था। क़ानून के जानकारों का कहना है कि जस्टिस वर्मा के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट की जांच पूरी होने से पहले FIR नहीं हो सकती। रिटायर्ड जस्टिस ढींगरा ने कहा कि जजों के मामले में मौजूदा व्यवस्था यही है कि पहले सुप्रीम कोर्ट की जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही जस्टिस वर्मा के मामले में FIR की जा सकेगी। ये बात तो सामने आई है कि अगर किसी जज के घर से कैश पकड़ा जाए, अगर किसी जज पर भ्रष्टाचार का कोई संगीन मामला हो तो उसकी जांच कैसे होगी, कौन करेगा, इसको लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। न्यायपालिका ये जांच पुलिस या CBI को देना नहीं चाहती और न्यायपालिका के पास अपनी कोई जांच एजेंसी है नहीं। दूसरी बात, किसी जज के खिलाफ मामला कितना भी गंभीर हो, सुप्रीम कोर्ट के पास उसे ट्रांसफर करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। जब संसद में NJAC बिल आया था तो वो सिर्फ जजों की नियुक्ति को लेकर चर्चा में रहा। फिर सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को ही खारिज कर दिया। लेकिन इस बिल में आज जो सवाल उठ रहे हैं उनके जवाब थे या नहीं, इसके बारे में कभी बात नहीं हुई। अब संसद को एक बार फिर से विचार करना पड़ेगा, कानून पास करना पड़ेगा लेकिन ये कानून बनाते समय सुप्रीम कोर्ट के पुराने जजों की राय ले ली जाए तो बेहतर होगा। सुप्रीम कोर्ट के कई रिटायर्ड जजों का मानना है कि NJAC अच्छा कानून था। सुप्रीम कोर्ट को रिजेक्ट करने के बजाय इसमें जो दो-चार खामियां थीं, उन्हें दूर करना चाहिए था। लेकिन बीत गई सो बात गई। अब इस मामले पर नए सिरे से विचार होना चाहिए।
बिहार में कांग्रेस : ज़्यादा सीटें पाने के लिए पैंतरा?
बिहार में राजनीतिक दलों के नेता आजकल रोज़ इफ्तार पार्टियों में शरीक हो रहे हैं। लेकिन NDA के नेता लालू यादव की पार्टी से कांग्रेस नेताओं की गैरमौजूदगी को मुद्दा बना रहे हैं। लालू यादव ने सोमवार को पटना में इफ्तार पार्टी दी थी। इसमें मुस्लिम संगठनों के लोग पहुंचे, RJD और लेफ्ट के नेता भी मौजूद थे, लेकिन कांग्रेस के 19 विधायकों में से सिर्फ एक विधायक पहुंचा। दरअसल, दिल्ली में राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस के नेताओं के साथ मीटिंग बुलाई थी। इसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी के अलावा बिहार कांग्रेस के नये अध्यक्ष राजेश कुमार, बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू, कांग्रेस के सांसद और विधायक मौजूद थे। मीटिंग में राहुल गांधी ने बिहार के नेताओं को बता दिया कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव RJD के साथ मिलकर लड़ेगी, लेकिन जहां तक सीटों का सवाल है तो कांग्रेस की कोशिश होगी कि महागठंबधन में उसे ज्यादा से ज्यादा सीटें मिले। असल में राहुल गांधी बिहार में कांग्रेस को RJD की छाया से मुक्त करना चाहते हैं। लेकिन कांग्रेस के नेता भी जानते हैं कि बिहार में कांग्रेस की हालत ऐसी नहीं है कि अपने दम पर चुनाव लड़ सकें। इसीलिए कांग्रेस हाईकमान दबाव की राजनीति अपना रही है। पार्टी के नेता कह रहे हैं कांग्रेस महागठबंधन के साथ ही चुनाव लड़ेगी लेकिन कांग्रेस 70 सीटों पर दावा कर रही है। सीटों के मामले में दबाव बनाने के लिए कांग्रेस ने चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया, बिहार में पार्टी का प्रभारी बदल दिया। फिर पार्टी के नेताओं ने लालू की इफ्तार पार्टी से किनारा कर लिया। (रजत शर्मा )
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 25 मार्च, 2025 का पूरा एपिसोड

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Rajat Sharma’s Blog | सौगात-ए-मोदी: क्या मुस्लिम वोटों के लिए? – India TV Hindi