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इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
13 मार्च की रात को होलिका दहन होगा, पर उसी दिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और तमाम मौलानाओं ने दिल्ली के जन्तर मंतर पर वक्फ बिल के खिलाफ एक बड़े प्रोटेस्ट की कॉल दी है। 10 मार्च से संसद के बजट सत्र का दूसरा हिस्सा शुरू होने वाला है, उम्मीद ये है कि 10 मार्च को ही सरकार संसद में वक्फ प्रॉपर्टी बिल पेश करेगी। जेपीसी ने बिल में 14 संशोधनों के साथ अपनी रिपोर्ट संसद में पेश कर दी है। कैबिनेट ने भी संशोधनों को मंजूरी दे दी है। ये तय माना जा रहा है कि सरकार इसी सत्र में वक्फ बिल को पास कराएगी। इसीलिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस मुद्दे पर जंग का ऐलान कर दिया है। पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष खालिद सैफुल्लाह रहमानी का एक रिकॉर्डेड मैसेज आज व्हाट्सएप, फेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए सर्कुलेट किया गया। इसमें सैफुल्लाह रहमानी ने दीन का हवाला देते हुए मुसलमानों से कहा कि जाग जाओ, घरों से निकलो, अगर वक्फ बिल पास हो गया, तो कहीं के नहीं रहोगे, तुम्हारी संपत्तियों पर सरकार कब्जा कर लेगी। अगर ये सब रोकना है तो एकजुट हो जाओ, 13 मार्च को दिल्ली पहुंचो और सरकार को अपनी ताकत दिखाओ। चूंकि रमजान का महीना चल रहा है, इसलिए मौलवियों से अपील की गई कि वो जुमे की नमाज में कुनुते नाज़िला यानि मुश्किल हालात में पढ़ी जाने वाली विशेष दुआ पढ़वाएं, क्य़ोंकि ऐसे हालात से मुसलमानों को अल्लाह ही बचा सकता है। पर्सनल लॉ बोर्ड के कई नेताओं ने इसी तरह के वीडियो जारी किए। बोर्ड के उपाध्यक्ष उबैदुल्ला खान आज़मी ने मुसलमानों को शाहबानो केस की याद दिलाई। याद दिलाया कि सारे मुसलमानों ने एक होकर शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया तो उस वक्त राजीव गांधी सरकार को झुकना पड़ा था, अब हालात उससे भी ज्यादा खतरनाक है। लखनऊ में बोर्ड के मेंबर मौलाना कल्बे जव्वाद की अगुवाई में प्रदर्शन हुआ। सैफुल्लाह रहमानी, उबैदुल्ला आजमी, कल्बे जव्वाद, असदुद्दीन ओवैसी, इमरान मसूद जैसे तमाम नेताओं ने मुसलमानों को ये समझाने की कोशिश की है कि वक्फ बिल में अगर संशोधन हुआ तो उनकी प्रॉपर्टी छिन जाएगी, मदरसों और कब्रिस्तानों की जमीन सरकार ले लेगी। लेकिन बहुत कम मुसलमान ये जानते हैं कि वक्फ बिल का आम मुसलमानों की जायदाद से कोई लेना देना नहीं है। ओवैसी और रहमानी जो कह रहे हैं, मुसलमान उस पर यकीन इसीलिए करते हैं क्योंकि वक्फ बिल किसी ने नहीं पढ़ा। सरकार का दावा ये है कि ये कानून सिर्फ वक्फ प्रॉपर्टी को रेगुलेट करने के लिए लाया जा रहा है. वक्फ बोर्ड जैसे पहले थे, वैसे ही रहेंगे। बस इतना फर्क आएगा कि जिस प्रॉपर्टी पर वक्फ बोर्ड ने हाथ रख दिया, वो उसकी नहीं हो पाएगी। वक्फ बोर्ड के लोग वक्फ प्रॉपर्टी का खुद-बुर्द नहीं कर पाएंगे। वक्फ बोर्ड में महिलाओं का प्रतिनिधित्व रहेगा। वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी से कब्जा हटाने का रास्ता खुलेगा और अब तक इस मामले में वक्फ बोर्ड का जो एकाधिकार है, वो खत्म हो जाएगा। सरकार का कहना है कि जो नया कानून बनेगा, उसमें वक्फ बोर्ड के फैसले को कोर्ट में चुनौती देने का अधिकार होगा। अब सवाल ये है कि इन प्रावधानों से मस्जिदें कैसे छिन जाएंगी? मदरसों और कब्रिस्तानों से मुसलमानों का कब्जा कैसे चला जाएगा ? हकीकत ये है कि जो कुछ लोग अब तक वक्फ की अरबों की प्रॉपर्टी पर कब्जा करके बैठे हैं, उसके जरिए करोड़ों रुपये कमाते हैं, उनका खेल खत्म हो जाएगा। इसीलिए वे परेशान हैं और यही लोग मुस्लिम भाइयों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। मामला वक्फ बोर्ड का है, लेकिन कोई मुसलमानों को बाबरी मस्जिद की याद दिला रहा है, कोई ज्ञानवापी की बात कर रहा है, कोई संभल की जामा मस्जिद का हवाला दे रहा है।

बिहार में बागेश्वर बाबा से RJD को क्या परेशानी है?
बिहार में बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेन्द्र शास्त्री के दौरे से RJD और कांग्रेस के नेता नाराज हैं। RJD के नेताओं ने धीरेन्द्र शास्त्री को पाखंडी, ढोंगी, समाज में ज़हर घोलने वाला, बीजेपी का एजेंट, न जाने क्या-क्या कहा। RJD के एक नेता ने तो धीरेन्द्र शास्त्री को पकड़ कर जेल में डालने की मांग कर डाली। धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि अगर ज्यादा विरोध करेंगे, तो वो बिहार में परमानेंट डेरा जमा लेंगे, यहीं मठ बनाकर रहने लगेंगे, यहीं दरबार लगाएंगे। एक बात तो बिलकुल साफ है कि बागेश्वर धाम वाले बाबा की बिहार में उपस्थिति से RJD के नेता काफी बेचैन हैं। आचार्य धीरेंद्र शास्त्री हिंदुओं की एकता की बात करते हैं, सनातन मानने वालों को आपस में मिलकर रहने का संदेश देते हैं। RJD के नेताओं को इसमें ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ की गूंज सुनाई देती है। इसीलिए वो इतने परेशान हैं और बाबा को जेल में डालने की बात कह रहे हैं पर मैं आचार्य धीरेंद्र शास्त्री को जानता हूं। वो डरने वालों में से नहीं हैं। जनसमर्थन उनकी शक्ति है.अगर उन्हें ज्यादा छेड़ा गया तो वो बिहार में खूंटा डालकर बैठ जाएंगे और फिर उनसे पार पाना मुश्किल होगा।
नीतीश कुमार को ग़ुस्सा क्यों आता है?
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर आपा खो बैठे। विधान परिषद में प्रश्नकाल चल रहा था। RJD की विधायक उर्मिला ठाकुर ने बिहार में शिक्षा के स्तर पर सवाल उठाया। सवाल का जवाब शिक्षा मंत्री को देना था, लेकिन अचानक नीतीश कुमार खड़े हो गए और RJD की विधायक पर भड़क गए। नीतीश ने RJD की विधायक से कहा कि वो जिस पार्टी में हैं, वो अनपढ़ों की पार्टी है, उस पार्टी ने कभी बिहार में शिक्षा के लिए कुछ नहीं किया। इसके बाद उन्होंने विधान परिषद में नेता विपक्ष राबड़ी देवी की तरफ़ इशारा करते हुए तू-तड़ाक में बात की। कहा, इनके पति जेल गए, तो अपनी पत्नी को सीएम बना दिया। राबड़ी देवी कुछ नहीं बोलीं। लेकिन तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जिस तरह से विपक्ष की नेता से बदतमीज़ी की, उससे नीतीश की मानसिक हालत, उनकी हताशा का पता चलता है। तेजस्वी यादव की ये बात सही है कि नीतीश कुमार आजकल काफी उल्टी सीधी बातें कह देते हैं। मैं नीतीश कुमार को बरसों से जानता हूं। ये उनका सामान्य व्यवहार नहीं है। नीतीश कुमार ने अपनी बात हमेशा शालीनता और विनम्रता से कही है लेकिन आजकल कुछ गड़बड़ तो है। नीतीश बाबू को बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है। कई बार शालीनता की सीमा को पार कर जाते हैं। ये देखकर आश्चर्य होता है और बुरा भी लगता है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 7 मार्च, 2025 का पूरा एपिसोड
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Rajat Sharma’s Blog | वक्फ बिल: क्या मौलाना मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं? – India TV Hindi