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मौनी अमावस्या के पवित्र मौके पर महाकुंभ में दस करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। लेकिन बीती रात संगम नगरी में एक बहुत ही दुखद, दुर्भाग्यपूर्ण हादसा हो गया। संगम के पास सबसे पहले स्नान करने के लिए लोग समय से पहले पहुंच गए। कुछ लोग रास्ते पर लेट गए। कई लोगों को वहां नींद आ गई। पीछे से आने वाले लोगों की संख्या बहुत ज्यादा थी।
रात करीब 1 बजे भीड़ पुलिस बैरिकेड तोड़कर संगम की तरफ दौड़ी। किसी ने वहां लेटे हुए लोगों को नहीं देखा और इस दुखद हादसे में तीस लोगों की मौत हो गई। साठ से ज्यादा लोग घायल हो गए। ये बताते हुए योगी आदित्यनाथ की आंखों में आंसू थे। हालांकि पुलिस और प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई की, एंबुलेंस बुलाईं, ग्रीन कॉरिडोर बनाया, लोगों को अस्पताल पहुंचाया लेकिन इस बात का बेहद दुख है कि 30 लोगों को बचाया नहीं जा सका।
योगी आदित्यनाथ आधी रात के बाद से कंट्रोल रूम में थे। पूरी रात अफसरों से पल-पल की जानकारी लेते रहे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी सूरज निकलने से पहले चार बार योगी से फोन पर हालात पर अपडेट ले चुके थे। गृह मंत्री अमित शाह ने भी योगी से बात की। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्नान करने के बाद भक्तों को तुरंत प्रयागराज से वापस भेजने के लिए विशेष रेलगाड़ियों का इंतजाम किया। मेला प्रशासन ने करोड़ों भक्तों की भीड़ को देखते हुए संगम नगरी के सारे रास्ते खोल दिए जिससे एक जगह पर भीड़ न जमा हो।
पहली बार ऐसा हुआ जब मौनी अमावस्या के मौके पर अखाड़ों के धर्माचार्यों और नागा साधुओं से पहले आम लोगों ने संगम में डुबकी लगाई। शंकराचार्यों, आचार्यों और महामंडलेश्वरों ने आखिर में गंगा स्नान किया। प्रयागराज में भीड़ को देखते हुए आसपास के शहरों में श्रद्धालुओं की गाडियों को रोक दिया गया। इसके बाद भी दस करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। लाखों लोग वाराणसी, जौनपुर, प्रतापगढ़, फतेहपुर जैसे शहरों में फंस गए।
मौनी अमावस्या के शुभ अवसर पर महाकुंभ में दुर्घटना गंभीर है, रुलाने वाली है। सवाल सिर्फ मरने वालों और घायलों की संख्या का नहीं है। अगर एक भक्त की भी जान जानती है, तो ये बड़ी बात है। ये सही है कि अमृत योग में सबसे पहले स्नान करने की ललक के कारण बहुत से श्रद्धालु वहीं लेटे हुए थे। जब भीड़ का रेला आया तो किसी ने नीचे नहीं देखा। लोग कुचले गए।
मैं इसे प्रशासन की चूक मानता हूं क्योंकि इस स्थिति का पहले से अंदाज़ा नहीं लगाया गया। वहां सबकुछ है, सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, ड्रोन हैं, पुलिस कर्मी तैनात हैं, STF, NDRF, NSG सब तरह के सुरक्षा बल हैं पर इस स्थिति का पूर्वानुमान किसी ने नहीं किया। लेकिन इस कारण ये कह देना कि महाकुंभ में हर जगह बदइंतजामी है, व्यवस्था खराब है, वहां दिन-रात प्रबंध करने वाले पुलिसकर्मियों और कर्मचारियों के प्रति अन्याय होगा क्योंकि वे लोग बहुत परिश्रम कर रहे हैं। बुधवार को 8 करोड़ लोग महाकुंभ में पहुंचे क्योंकि उन्होंने लोगों से सुना था कि इंतजाम अच्छा है, रजाई भी है, सफाई भी है, दवाई भी है, लेकिन अच्छा प्रबंध भी मुसीबत बन सकता है, इसकी किसी ने कल्पना नहीं की।
जो लोग संगम में नहा लिए, डुबकी लगा ली, वे भी वहीं रुक गए थे, जाना नहीं चाहते थे। वो साधु संतों की शोभायात्रा को, नागा साधुओं को देखना चाहते थे। हर किसी के हाथ में मोबाइल है, वो इस दृश्य को अपने कैमरे में रिकॉर्ड करना चाहते थे। इसीलिए भीड़ पर काबू पाना मुश्किल हो गया, बैरिकेड टूट गए और ये हादसा हुआ। मैं इस मामले में कुंभ नगरी में मौजूद साधु संतों की प्रशंसा करूंगा, उन्होंने रात को ही वीडियो जारी कर लोगों से अपील की। लोगों को समझाया कि जो जहां हैं, वहीं स्नान कर लें, पुण्य मिलेगा। दूसरा उन्होंने अपने अमृत स्नान को टाल दिया, पहले लोगों को स्नान करने दिया।
योगी आदित्यनाथ का प्रबंधन, केन्द्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय और ज़मीन पर प्रशासन की फुर्ती का असर भी कुछ ही घंटों में दिखने लगा। संगम नगरी की फिज़ा में फिर भक्तों का जोश दिखने लगा। चूंकि अखाड़ों का स्नान टाल दिया गया था, इसलिए लाखों की संख्या में भक्तों ने बिना किसी रोकटोक, बिना किसी डर के डुबकी लगाई। इंडिया टीवी के संवाददाता भक्तों की भीड़ में पूरे भारत के लोगों से मिले, कोई कर्नाटक, कोई केरल, कोई हिमाचल, तो कोई असम से पूरे परिवार के साथ आया था। मकसद था, मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी लगाना था।
साधु संत हमेशा समाज को रास्ता दिखाते हैं। महाकुंभ में परंपरा को तोड़कर आम जनता को पहले अमृत स्नान का मौका देकर संतों ने आदर्श प्रस्तुत किया, इसके लिए आचार्यों, महामंडलेश्वरों, सभी साधु संतों का अभिनंदन होना चाहिए। लेकिन दुख की बात ये है कि राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस दुखद हादसे को राजनीति का मुद्दा बनाया। हादसे की ख़बर आते ही समाजवादी पार्टी और कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने योगी पर हमला बोल दिया। अखिलेश यादव, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, प्रियंका गांधी, मायावती, शरद पवार की पार्टी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने इस हादसे के लिए योगी सरकार को कोसा। अखिलेश यादव ने महाकुंभ का प्रबंध सेना को सौंपने की मांग की। राहुल गांधी ने कहा कि VIP के जाने पर रोक लगे।
ज्यादातर नेताओं का ये कहना है कि ये हादसा इसीलिए हुआ कि सारा प्रशासन VIPs की आवभगत में लगा था। ये कहना आसान है और लोग इसपर आसानी से विश्वास भी कर लेंगे क्योंकि लोगों ने कुंभ नगरी में VVIPs को बड़े आराम से स्नान करते हुए देखा, उनके वीडियो वायरल हुए, लेकिन रात को जो दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, उसे VIP सिंड्रोम से जोड़ना गलत होगा।
मौनी अमावस्या के स्नान के अवसर पर VIP मूवमेंट पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया था। अमृत स्नान के अवसर पर सारे VIP पास कैंसिल कर दिए गए थे और ये व्यवस्था, ये परंपरा बहुत पुरानी है।
जानकारों ने बताया कि 1954 में जब पंडित जवाहर लाल नेहरु प्रधानमंत्री थे, वो शाही स्नान के दिन कुंभ में डुबकी लगाने गए थे। उस समय हुई भगदड़ में करीब एक हजार लोग हताहत हुए थे। उसी समय ये नियम बना कि शाही स्नान वाले दिन VIP मूवमेंट पर बैन होगा। लेकिन ये इतिहास, ये स्पष्टीकरण राजनीति के लिए है।
ये बातें उन लोगों के किसी काम की नहीं जिन्होंने इस हादसे में अपनों को खोया है। हम तो ऐसे लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त कर सकते हैं। घायल लोगों के जल्दी स्वस्थ होने की कामना कर सकते हैं। सरकार को और अधिक सावधानी से प्रबंध करने की अपील कर सकते हैं। मां गंगा से प्रार्थना कर सकते हैं कि अपने भक्तों को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 29 जनवरी, 2025 का पूरा एपिसोड
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Rajat Sharma’s Blog | महाकुंभ : क्या दुखद हादसा VIPs के कारण हुआ? – India TV Hindi