Punjab News: मुझसे काफी नाराज हैं… पंजाब गवर्नर ने CM भगवंत मान को क्यों दी आर्टिकल 167 और 168 पढ़ने की सलाह?


चंडीगढ़: ‘बहुत ज़्यादा’ मुझसे नाराज़ है, ऐसा लगता है कि आपके कानूनी सलाहकार पर्याप्त रूप से ब्रीफिंग नहीं कर रहे हैं। संविधान के अनुच्छेद 167 और 168 के प्रावधानों को पढ़ने के बाद शायद मेरे बारे में आपकी राय बदल जाएगी… पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने यह बात मुख्‍यमंत्री भगवंत मान के ल‍िए कही है। दरअसल पंजाब के राज्यपाल कार्यालय ने 27 सितंबर के विधानसभा सत्र में होने वाले विधायी कार्य का ब्योरा मांगा। इस पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि यह हद पार करने जैसा है। मान ने एक ट्वीट में कहा कि एक दिन राज्यपाल ‘मंजूरी देने के लिए सभी भाषण मांगेंगे।’

पंजाब सीएम भगवंत मान के ट्वीट पर नाराजगी दिखाते हुए राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने शन‍िवार को पलटवार क‍िया। राज्‍यपाल की ओर से जारी प्रेस र‍िलीज में कहा गया है क‍ि आज के अखबारों में आपके बयान पढ़ने के बाद मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि शायद आप मुझसे ‘बहुत ज्यादा’ नाराज हैं। मुझे लगता है कि आपके कानूनी सलाहकार आपको पर्याप्त रूप से ब्रीफिंग नहीं कर रहे हैं। संविधान के अनुच्छेद 167 और 168 के प्रावधानों को पढ़ने के बाद शायद मेरे बार में आपकी राय निश्चित रूप से बदल जाएगी।’


अनुच्छेद 167 है क्‍या

अनुच्छेद 167 के अनुसार, राज्यपाल को सूचना देने की जिम्मेदारी राज्‍य के मुख्यमंत्री की होगी। मुख्यमंत्री का क्या कर्तव्य है- 167 (क) के अनुसार, राज्य के मामलों में प्रशासन और कानून के प्रस्तावों से संबंधित मंत्रिपरिषद के सभी फैसलों के बारे में राज्यपाल को बताना होगा। (ख) के अनुसार, राज्य के मामलों के प्रशासन और कानून के प्रस्तावों से संबंधित जो जानकारी राज्यपाल मांगे वह समय से दे दिया जाना चाहिए। (ग) किसी विषय को जिस पर किसी मंत्री ने यदि विनिश्चय कर दिया है। किन्तु मंत्रिपरिषद ने विचार नहीं किया है। तो ऐसी स्थिति में राज्यपाल द्वारा अपेक्षा किये जाने पर परिषद के समक्ष विचार के लिए रखे।

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क्‍यों आई ऐसी नौबत

पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने 27 सितंबर को एक सत्र बुलाने का फैसला किया है। इससे पहले सरकार ने विश्वास मत हासिल करने के लिए 22 सितंबर को भी विधानसभा की विशेष बैठक बुलाई थी। लेकिन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने इसकी अनुमति नहीं दी थी। सरकार ने यह भी कहा कि वह राजभवन के कदम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। इससे पहले, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा था कि 27 सितंबर के सत्र में पराली जलाने और बिजली सप्‍लाई जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।

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मान ने ट्वीट में क्‍या कहा?
पंजाब राजभवन की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार राज्यपाल कार्यालय ने पंजाब विधानसभा के सचिव को पत्र लिखकर 27 सितंबर को प्रस्तावित सत्र में होने वाले विधायी कार्य का विवरण मांगा। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मान ने ट्वीट किया कि विधायिका के किसी भी सत्र से पहले राज्यपाल या राष्ट्रपति की सहमति एक “औपचारिकता” है। 75 सालों में, किसी भी राष्ट्रपति या राज्यपाल ने सत्र बुलाने से पहले विधायी कार्यों की सूची नहीं मांगी।

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