Punjab News: किसानों को राहत, भूमि रिकॉर्ड में रेड एंट्री का आदेश वापस, पराली जलाने पर सरकार ने की थी सख्ती


प्रतीकात्मक तस्वीर

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पंजाब में धान की पराली जलाने वाले किसानों के भूमि रिकॉर्ड में रेड एंट्री करने के आदेश को राज्य सरकार ने वापस ले लिया है। इस संबंध में राजस्व एवं पुनर्वास विभाग ने 23 नवंबर को सभी डिप्टी कमिश्नरों और डिवीजन कमिश्नरों को नया पत्र जारी कर दिया है।

राजस्व एवं पुनर्वास विभाग ने अपने पत्र में कहा है कि विभाग द्वारा गत चार अक्तूबर को जारी पत्र में हिदायत की गई थी कि पराली जलाने के मामले में संबंधित खसरा नंबर के खिलाफ लाल सियाही से इंदराज (रेड एंट्री) कर दिया जाए, को अब वापस ले लिया गया है। 

गौरतलब है कि राज्य सरकार को अक्तूबर माह के दौरान उस समय कड़े कदम उठाने पड़े जब विभिन्न जिलों में कई किसानों ने पराली न जलाने के आदेश की खुली अवहेलना की और खेतों में पराली को आग लगाना जारी रखा। हालांकि सरकार ने किसानों को पर्यावरण को हो रहे नुकसान का हवाला देते हुए जागरूकता अभियान भी चलाए और सरकारी मदद का भरोसा भी दिया लेकिन पराली जलाने की घटनाएं लगातार जारी रहीं। 

आखिरकार सरकार के आदेश पर राजस्व एवं पुनर्वास विभाग ने ऐसे किसानों के भूमि रिकॉर्ड में रेड एंट्री करने के आदेश जारी कर दिया। किसानों के लिए इसका सबसे बड़ा नुकसान यह था कि वह न तो अपनी जमीन बेच सकते थे और न ही रेड एंट्री वाली जमीन पर कोई कर्ज ही ले सकते थे। सरकार ने इसके साथ ही किसानों पर जुर्माना भी लगाया।

इस साल पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले संगरूर जिले में दर्ज किए गए हैं जबकि अन्य जिलों का रिकॉर्ड डिप्टी कमिश्नरों से तलब किया गया है। संगरूर जिले में 201 किसानों पर 5,02,500 रुपये का जुर्माना लगाने के साथ ही और उनकी जमीन के रिकॉर्ड में रेड एंट्री की गई है।

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पंजाब में धान की पराली जलाने वाले किसानों के भूमि रिकॉर्ड में रेड एंट्री करने के आदेश को राज्य सरकार ने वापस ले लिया है। इस संबंध में राजस्व एवं पुनर्वास विभाग ने 23 नवंबर को सभी डिप्टी कमिश्नरों और डिवीजन कमिश्नरों को नया पत्र जारी कर दिया है।

राजस्व एवं पुनर्वास विभाग ने अपने पत्र में कहा है कि विभाग द्वारा गत चार अक्तूबर को जारी पत्र में हिदायत की गई थी कि पराली जलाने के मामले में संबंधित खसरा नंबर के खिलाफ लाल सियाही से इंदराज (रेड एंट्री) कर दिया जाए, को अब वापस ले लिया गया है। 

गौरतलब है कि राज्य सरकार को अक्तूबर माह के दौरान उस समय कड़े कदम उठाने पड़े जब विभिन्न जिलों में कई किसानों ने पराली न जलाने के आदेश की खुली अवहेलना की और खेतों में पराली को आग लगाना जारी रखा। हालांकि सरकार ने किसानों को पर्यावरण को हो रहे नुकसान का हवाला देते हुए जागरूकता अभियान भी चलाए और सरकारी मदद का भरोसा भी दिया लेकिन पराली जलाने की घटनाएं लगातार जारी रहीं। 

आखिरकार सरकार के आदेश पर राजस्व एवं पुनर्वास विभाग ने ऐसे किसानों के भूमि रिकॉर्ड में रेड एंट्री करने के आदेश जारी कर दिया। किसानों के लिए इसका सबसे बड़ा नुकसान यह था कि वह न तो अपनी जमीन बेच सकते थे और न ही रेड एंट्री वाली जमीन पर कोई कर्ज ही ले सकते थे। सरकार ने इसके साथ ही किसानों पर जुर्माना भी लगाया।

इस साल पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले संगरूर जिले में दर्ज किए गए हैं जबकि अन्य जिलों का रिकॉर्ड डिप्टी कमिश्नरों से तलब किया गया है। संगरूर जिले में 201 किसानों पर 5,02,500 रुपये का जुर्माना लगाने के साथ ही और उनकी जमीन के रिकॉर्ड में रेड एंट्री की गई है।

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