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खनौरी बॉर्डर पर किसान महापंचायत – फोटो : संवाद
विस्तार
आपसी एकता की कोशिश के बीच किसान नेताओं में शनिवार को एक बार फिर मतभेद उभरकर सामने आए। जब संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और एसकेएम (गैर राजनीतिक) ने अपने-अपने स्तर पर अलग-अलग महापंचायतें कीं। एसकेएम ने हरियाणा के टोहाणा में, तो एसकेएम (गैर राजनीतिक) ने संगरूर में खनौरी बाॅर्डर पर किसान महापंचायत की। यही नहीं अपने-अपने कार्यक्रमों में दोनों तरफ के किसान नेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ जमकर बयानबाजी भी की।
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खनौरी बाॅर्डर पर आयोजित किसान महापंचायत में मंच से रागी बलदेव सिंह वडाला ने कहा कि आज यहां नहीं आ सकते थे, तो कम से कम अलग से महापंचायत तो न रखते। एक तरफ वह हैं, जिन्होंने खनौरी बॉर्डर पर रखी महापंचायत को फेल करने के लिए अलग से अपना कार्यक्रम रख लिया। दूसरी तरफ एसकेएम (गैर राजनीतिक) के किसान नेता हैं, जो सभी किसानों को साथ लेकर एकता के साथ इस आंदोलन को चला रहे हैं।
रागी वडाला ने इस मौके 30 दिसंबर के पंजाब बंद को सफल रहने के लिए एसकेएम (गैर राजनीतिक) के किसान नेताओं को बधाई देते कहा कि समाज के सभी वर्गों ने इस बंद का पूर्ण समर्थन किया, जो आज तक नहीं हुआ था। वहीं इस मौके पर किसान नेता काका सिंह कोटड़ा ने कहा कि टोहाणा में एसकेएम की महापंचायत से उनके इस कार्यक्रम पर कोई असर नहीं पड़ा है। घनी धुंध के बावजूद भारी संख्या में किसान खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को सुनने के लिए पहुंचे हैं।
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Punjab-Haryana: किसान नेताओं की अलग-अलग महापंचायत से फिर उभरे मतभेद, नेताओं के एक-दूसरे के खिलाफ चले शब्दबाण