पंजाब सरकार ने 15 जून से दिल्ली एयरपोर्ट तक सरकारी बसें चलाने का फैसला किया है। भगवंत मान सरकार का फैसला पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल परिवार की इंडो कैनेडियन बसों के लिए बड़ा झटका है। 15 जून से जिस रूट पर सरकारी बसें दौड़ेंगी, उस पर अब तक बादल परिवार की बसें दौड़ती रही हैं। यही नहीं, पंजाब सरकार की बसों को दिल्ली बस स्टैंड से आगे नहीं दिया जाता था जबकि सुखबीर बादल की बसें बेरोकटोक एयरपोर्ट पहुंचती हैं। इसके बदले एनआरआई यात्रियों से तीन गुना किराया वसूला जाता है।
पंजाब से नई दिल्ली आईजीआई एयरपोर्ट जाने वाली पनबस की वॉल्वो बसें 2018 में बंद कर दी गई थीं क्योंकि दिल्ली में पंजाब सरकार की वॉल्वो बसों का भारी भरकम चालान किया जा रहा था। इन बसों को इम्पाउंड भी किया जा रहा था। इस समस्या का हल निकालने के बजाय तत्कालीन सरकार ने चालान के डर से बसें ही बंद कर दीं। वहीं दिल्ली सरकार पंजाब की सरकारी बसों को अनुमति नहीं दे रही थी। इससे पंजाब सरकार को हर माह करीब 1 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा था। रोजाना 2500 से 3000 यात्री खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं क्योंकि उन्हें इंडो-कैनेडियन बसों में 1050 रुपये के बजाय 3550 रुपये किराया देना पड़ रहा है।
एनआरआई की सुविधा के लिए चलाई गई थी वॉल्वो बसें
दरअसल, पंजाब सरकार ने एनआरआई लोगों को सुविधा देने के लिए सीधे एयरपोर्ट तक वॉल्वो बसें चलाई थीं। पहले पंजाब रोडवेज की पनबस की 9 व पीआरटीसी की 6 वॉल्वो बसें चलती थीं। अब इंडो-कैनेडियन की करीब 27 बसें सीधे एयरपोर्ट जा रही हैं और करोड़ों के वारे न्यारे कर रही हैं।
इंडो कैनेडियन के पास टूरिस्ट परमिट, सवारी का टिकट नहीं काट सकते
एयरपोर्ट तक जाने वाली एकमात्र सुखबीर बादल परिवार की इंडो कनैडियन बसें टूरिस्ट परमिट पर दिल्ली जा रही हैं। 1993 के रूल्स के मुताबिक टूरिस्ट परमिट पर सिर्फ टूरिस्ट सर्किट पर ही यात्रियों को बिठाया जा सकता है, लेकिन इंडो कैनेडियन बसें इस परमिट को स्टेज कैरेज परमिट के रूप में इस्तेमाल कर जगह-जगह सवारी उठाकर सीधे एयरपोर्ट जा रही हैं। टूरिस्ट परमिट पर बसें चलाने की शर्त है कि इनके पास यात्रियों की सूची हो। आईडी, नाम को आरटीए की तरफ से मंजूर कराना होता है, लेकिन आरटीए चेकिंग नहीं कर रहा है।
पंजाब सरकार लंबे समय से दिल्ली से लगा रही थी गुहार
पंजाब सरकार की ओर से बसों को चलाने के लिए 29 नवंबर 2019, 16 मार्च 2020, 24 सितबंर 2019, 24 फरवरी 2021 को दिल्ली के ट्रांसपोर्ट मंत्री कैलाश गहलोत को पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन इसका संज्ञान नहीं लिया गया। इतना ही नहीं पंजाब के पूर्व ट्रांसपोर्ट मंत्री राजा वड़िंग की शिकायत पर भी संज्ञान नहीं लिया, हालांकि वह खुद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से मिलने गए थे।
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पंजाब सरकार ने 15 जून से दिल्ली एयरपोर्ट तक सरकारी बसें चलाने का फैसला किया है। भगवंत मान सरकार का फैसला पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल परिवार की इंडो कैनेडियन बसों के लिए बड़ा झटका है। 15 जून से जिस रूट पर सरकारी बसें दौड़ेंगी, उस पर अब तक बादल परिवार की बसें दौड़ती रही हैं। यही नहीं, पंजाब सरकार की बसों को दिल्ली बस स्टैंड से आगे नहीं दिया जाता था जबकि सुखबीर बादल की बसें बेरोकटोक एयरपोर्ट पहुंचती हैं। इसके बदले एनआरआई यात्रियों से तीन गुना किराया वसूला जाता है।
पंजाब से नई दिल्ली आईजीआई एयरपोर्ट जाने वाली पनबस की वॉल्वो बसें 2018 में बंद कर दी गई थीं क्योंकि दिल्ली में पंजाब सरकार की वॉल्वो बसों का भारी भरकम चालान किया जा रहा था। इन बसों को इम्पाउंड भी किया जा रहा था। इस समस्या का हल निकालने के बजाय तत्कालीन सरकार ने चालान के डर से बसें ही बंद कर दीं। वहीं दिल्ली सरकार पंजाब की सरकारी बसों को अनुमति नहीं दे रही थी। इससे पंजाब सरकार को हर माह करीब 1 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा था। रोजाना 2500 से 3000 यात्री खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं क्योंकि उन्हें इंडो-कैनेडियन बसों में 1050 रुपये के बजाय 3550 रुपये किराया देना पड़ रहा है।
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