सचिन पायलट पर गहलोत का बड़ा सियासी पलटवार।
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राजस्थान सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट में कोल्ड वॉर तेज हो गया है। पायलट को जवाब देते हुए उन्हीं के अंदाज में सीएम अशोक गहलोत ने भी बिना नाम लिए सियासी तीर छोड़ा है। गहलोत ने गणतंत्र दिवस के मौके पर दो बार उनके नेतृत्व में राजस्थान में विधानसभा चुनाव हार के कारण बताए, साथ ही अपना आगे का मिशन-156 भी स्पष्ट कर पायलट को बड़ा सियासी जवाब दे दिया। सीएम गहलोत ने स्वीकार किया कि 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार को कर्मचारियों की नाराजगी झेलनी पड़ी और बीजेपी की सरकार बनी। कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान नो वर्क, नो पे का फैसला तब कांग्रेस सरकार पर भारी पड़ गया था, जिसे हम समझ नहीं सके और कर्मचारियों से बातचीत करने में मेरी गलती रही, कर्मचारियों से भी गलती हुई। इसके बाद 2008 में कांग्रेस सरकार फिर से आई। लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव के वक्त मोदी लहर चल पड़ी और कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई। लेकिन हमने काम करने में कोई कमी नहीं रखी थी। उसी की बदौलत 2018 में फिर से सत्ता में आए हैं। अब इस सरकार को फिर से 2023 में रिपीट करने का मिशन लिया है।
1998 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 153 सीटें जीतीं, कुल 156 विधायक साथ रहे
सीएम गहलोत ने कहा-जब हमने 1998 में सरकार बनाई, तो 156 सीटों पर हमारे विधायक थे। तब मैं प्रदेश कांग्रेस कमेटी ( पीसीसी) का अध्यक्ष था। मैं चाहूंगा कि 2023 विधानसभा चुनाव में हम मिशन 156 लेकर चलें। हमने इस रूप में काम शुरू कर दिया है। हमारे चारों बजट शानदार आए हैं। इस बार का बजट भी शानदार आएगा, यह प्रयास है। हम चाहेंगे कि राजस्थान को देश में नंबर 1 स्टेट बनाएं। उसी दिशा में हम चल पड़े हैं।
सचिन पायलट ने क्या कहा था ?
सचिन पायलट ने हाल ही में मीडिया से रूबरू होकर कहा था राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के ऐसे नेता हैं, जिन्होंने को स्वीकार किया और जब कांग्रेस पार्टी 2019 में लोकसभा चुनाव हारी तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया। राहुल गांधी ने कहा मैं दोबारा अध्यक्ष नहीं बनूंगा। हम सब चाहते थे कि वो अध्यक्ष बनें। लेकिन उन्होंने एक एक्जाम्पल पेश किया। नाम लिए बिना कटाक्ष कहते हुए पायलट ने कहा- ‘बहुत से ऐसे लोग हैं जो हारते- हारते थकते नहीं हैं, लेकिन पदों को छोड़ते नहीं हैं।” लेकिन राहुल गांधी ने एक उदाहरण दिया है, देश में शायद ही ऐसा कोई एग्जाम्पल होगा। तो उनका अनुसरण हम लोग कर रहे हैं। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे हम सब लोग मिलकर जैसे हिमाचल प्रदेश में हमने बीजेपी को पराजित किया है, वैसे तमाम राज्यों में हम बीजेपी को हराने का काम करेंगे।
गहलोत के नेतृत्व में कब-कब हुई हार-जीत ?
-साल 1998 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की 153 और बीजेपी की 33 सीटें आई थीं। तब पहली बार अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री चुने गए थे।
-साल 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की 56 सीटें आईं और बीजेपी ने 120 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाई। तब वसुंधरा राजे पहली बार मुख्यमंत्री चुनी गईं।
-साल 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की 96 सीटें और बीजेपी की 78 सीटें आईं, 101 का बहुमत चाहिए होता है। इसलिए अन्य के सहारे गठजोड़ कर गहलोत दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।
-2013 विधानसभा चुनाव में बीजेपी की 163 सीटें आईं और कांग्रेस पार्टी केवल 21 सीट ही ला सकी। तब दूसरी बार वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं।
-2018 विधानसभा चुनाव में 200 में से 199 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 99 सीटें मिलीं, जबकि बीजेपी को 73 सीटों पर संतोष करना पड़ा। निर्दलीयों को साथ लेकर सीएम गहलोत तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रहे और फिर से सीएम बन गए।
17 दिसम्बर तक है मौजूदा कांग्रेस सरकार का कार्यकाल
गहलोत के सीएम बनने के बाद में एक और सीट पर चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस की जीत हुई। इस तरह कांग्रेस की कुल 100 सीटें हो गईं। फिर बीएसपी के 6 विधायकों का कांग्रेस में मर्जर भी करवा दिया गया। फिलहाल कांग्रेस कुल 108 सीटों पर काबिज है। सीपीआईएम की 2, भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) की 2, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलटीपी) की 3, राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) की 1 और निर्दलीयों की 13 सीटें हैं। मौजूदा सरकार का 5 साल का कार्यकाल 17 दिसंबर तक का है। उससे पहले विधानसभा चुनाव होंगे।
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