PCC Secretaries List में गहलोत की छाप, आलाकमान का पायलट कैंप से किनारा; जानें सबकुछ


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 PCC Secretaries List: राजस्थान में चुनाव से पहले राजनीतिक नियुक्तियां की गई है। प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी का विस्तार कर 85 सचिवों की नियुक्ति में गहलोत समर्थकों का दबदबा है। जबकि पायलट समर्थकों को निराशा हाथ लगी है। ऐसे में माना जा रहा है कि आगामी दिनों में गहलोत-पायलट कैंप के बीच खींचतान बढ़ सकती है। सूची में गोविंद सिंह डोटासरा के समर्थकों को भी जगह मिली है। बता दें 2020 में सचिन पायलट की खींचतान के बाद राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया था। भंग की गई कार्यकारिणी में पायलट समर्थकों को दबदबा था। लेकिन 85 राजनीतिक नियुक्तियों में गहलोत कैंप का दबदबा है। कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की ओर से सचिवों की नियुक्ति प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने सूची जारी की है. हालांकि इस सूची पर सीएम अशोक गहलोत की छाप नजर आई। पायलट खेमा इस सूची से नदारद नजर आया।

दिखी गहलोत-पायलट के बीच की खटास

राजनीतिक नियुक्तियों में गहलोत-पायलट कैंप के बीच खींचतान को स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। पायलट समर्थकों को पूरी तरह से इग्नोर किया गया है। जबकि सीएम अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा को समर्थकों को खासी तवज्जो मिली है। राजस्थान में गहलोत और पायलट की बीच खींचतान जगजाहिर है। 2018 में अशोक गहलोत ने जब सत्ता संभाली थी, उसी वक्त से सचिन पायलट गुट के साथ उनकी खींचतान चली आ रही है. प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने के क्रम में राजस्थान कांग्रेस में खाली पड़े संगठन के पदों पर नियुक्तियां की जा रही हैं. नए वर्ष में सियासी समीकरण साधने के नजरिए से नए सचिवों का ऐलान करना अहम माना जा रहा है. कारण साफ है 85 सचिवों की इस सूची में हर जाति-वर्ग को साधने का प्रयास किया गया है. हालांकि इस सूची में भी गहलोत और पायलट के बीच की खटास का असर देखने को मिला है।

सचिन पायलट गुट को झटका 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सचिवों की नियुक्ति में पायलट गुट को तगड़ा झटका लगा है। कांग्रेस आलाकमान ने पायलट कैंप को ज्यादा तरजीह नहीं है। कांग्रेस आलाकमान चुनाव से पहले राजनीतिक नियुक्तियां करना चाहता है। इस कड़ी में प्रदेश कांग्रेस सचिवों की नियुक्ति की गई है। अब जिला अध्यक्षों की सूची आने के आसार बन गए है। माना जा रहा है कि जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में दोनों खेमों के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया जाएगा। दोनों गुटों के बीच खींचतान की वजह से जिला अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। 

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