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PAK पीएम को सोशल मीडिया X ने दिया कड़ा जवाब: शरीफ ने 1965 जंग को जीत बताया, X ने लिखा- ये पाकिस्तान की स्ट्रैटेजिक हार थी Today World News

PAK पीएम को सोशल मीडिया X ने दिया कड़ा जवाब:  शरीफ ने 1965 जंग को जीत बताया, X ने लिखा- ये पाकिस्तान की स्ट्रैटेजिक हार थी Today World News

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इस्लामाबाद2 मिनट पहले

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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X के कम्युनिटी पोस्ट ने पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ के 1965 भारत-पाक जंग से जुड़े दावों का भंडाफोड़ कर दिया।

शहबाज ने X पर लिखा-

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6 सितंबर हमारे देश के लिए वीरता और एकता का प्रतीक है। साठ साल पहले 1965 में हमारे बहादुर सशस्त्र बलों ने, जनता के साथ, दुश्मन के हमले को नाकाम किया और साबित किया कि पाकिस्तान एक मजबूत राष्ट्र है, जो अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है। 1965 की वह अटूट भावना आज भी जीवित है।

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इसपर X ने जवाब देते हुए लिखा- भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ 1965 का जंग पाकिस्तान के लिए एक स्ट्रैटेजिक और पॉलिटिकल हार थी। पाकिस्तान की कश्मीर में विद्रोह भड़काने की रणनीति को भारत ने विफल किया और पाक को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर होना पड़ा था।

शहबाज बोले- हमने दुश्मन के घमंड को कुचला ​​​

पाकिस्तानी पीएम ने ऑपरेशन सिंदूर के खिलाफ हाल संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी सेना और जनता एक मजबूत दीवार की तरह एकजुट होकर बाहरी आक्रामकता के खिलाफ खड़े हुए और दुश्मन के घमंड को कुचल दिया है।

शहबाज बोले- हम शांति चाहते, भारत हमें उकसाता

शहबाज भारत पर उकसाने का आरोप लगाते हुए लिखा- पाकिस्तान शांतिपूर्ण जुड़ाव के लिए प्रतिबद्ध है। फिर भी, हमें भारत की लगातार उकसावे और बदलते क्षेत्रीय माहौल की हकीकत से अनजान नहीं रहना चाहिए। हम अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत और आधुनिक बनाना जारी रखेंगे, साथ ही आतंकवाद और हमारी सीमाओं के भीतर काम करने वाले विदेशी गुर्गों की दोहरी चुनौती का सामना करेंगे।

उन्होंने भारत ऑपरेटेड जम्मू और कश्मीर (IIOJK) को लेकर कहा कि वहां के लोग लंबे समय से आतंकवाद को सहन कर रहे हैं। उनकी आजादी की लड़ाई को बलपूर्वक दबाया नहीं जा सकता।

इंडो-पाकिस्तानी 1965 वॅार के बारे में जानिए…

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 का युद्ध, जिसे सेकेंड कश्मीर वॅार के रूप में भी जाना जाता है। यह जंग जम्मू और कश्मीर के विवादित क्षेत्र को लेकर लड़ा गया, जो 1947 में दोनों देशों के बीच बंटवारे के बाद से तनाव का प्रमुख कारण रहा है। यह 1 अगस्त से 23 सितंबर, 1965 तक चला।

  • कश्मीर विवाद: 1947-48 के पहले भारत-पाक युद्ध के बाद, कश्मीर का कुछ हिस्सा भारत के नियंत्रण में (जम्मू और कश्मीर) और कुछ हिस्सा पाकिस्तान के नियंत्रण में (आजाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान) रहा। दोनों देश पूरे क्षेत्र पर दावा करते रहे, जिसके कारण तनाव बना रहा।
  • ऑपरेशन जिब्राल्टर: 1965 में, पाकिस्तान ने कश्मीर में घुसपैठियों को भेजकर स्थानीय विद्रोह को भड़काने की कोशिश की, जिसे “ऑपरेशन जिब्राल्टर” कहा गया। इसका मकसद कश्मीर में भारत के खिलाफ विद्रोह को उकसाना था। हालांकि, यह योजना विफल रही, क्योंकि स्थानीय कश्मीरियों ने इसका समर्थन नहीं किया और भारतीय सेना को इसकी जानकारी मिल गई।
  • ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम: इसके बाद, पाकिस्तान ने कश्मीर के चंब-जौरियां क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सैन्य हमला शुरू किया, जिसके जवाब में भारत ने भी सैन्य कार्रवाई की।
1965 जंग के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तानी शेरमन टैंक को नष्ट किया।

1965 जंग के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तानी शेरमन टैंक को नष्ट किया।

भारत-पाक के बीच ताशकंद समझौते से सीजफायर हुआ

अगस्त 1965 में, पाकिस्तानी घुसपैठियों की गतिविधियों का पता चलने पर भारत ने जवाबी कार्रवाई शुरू की। 5 अगस्त को, दोनों पक्षों के बीच छिटपुट झड़पें शुरू हुईं।

1 सितंबर को, पाकिस्तान ने चंब क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हमला शुरू किया, जिसमें टैंक और भारी हथियारों का उपयोग किया गया। इसका मकसद जम्मू-कश्मीर को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण सड़क को काटना था।

भारत ने 6 सितंबर को पंजाब सीमा पर लाहौर की ओर जवाबी हमला शुरू किया, जिससे युद्ध पूरे पश्चिमी मोर्चे पर फैल गया। भारतीय सेना ने सियालकोट और लाहौर के पास कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रवेश किया।

10 जनवरी, 1966 को, भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने सोवियत संघ के ताशकंद में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत दोनों देश युद्ध-पूर्व सीमाओं पर लौट गए और शांति स्थापित करने पर सहमति जताई। हालांकि, कश्मीर विवाद का कोई स्थायी समाधान नहीं निकला।

भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किए।

भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किए।

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