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<p style="text-align: justify;">दिल्ली के नतीजे निश्चित रुप से कांग्रेस के लिए दुखद है और पार्टी को अपनी गिरेबान में झांकने की जरूरत है कि क्यों ऐसा हुआ है. कांग्रेस पार्टी की ये कोशिश रही थी कि चुनाव बेहतर तरीके से लड़ा जाए. पार्टी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरी भी थी. लेकिन, जिस जिस अनुपात में मेहनत की गई थी, उस अनुपात में परिणाम सामने नहीं आ पाए.</p>
<p style="text-align: justify;">ये बात सही है कि जिन लोगों का अहंकार था, वो अहंकार जरूर टूट गया है. कई लोग ऐसा कहते थे कि कांग्रेस के बिना भी चुनाव लड़ा जा सकता है, इस चुनाव में उन लोगों की ये धारणा टूट गई. आज भी कांग्रेस दिल्ली के लोगों के दिलों में बसती है. दिल्ली चुनाव में कांग्रेस पार्टी पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरी थी. जनता ने अच्छा समर्थन भी दिया है.</p>
<p style="text-align: justify;"><span style="color: #e03e2d;"><strong>कांग्रेस को लेकर टूटा भ्रम</strong></span></p>
<p style="text-align: justify;">दिल्ली में कुछ वैसी ही स्थिति बन गई, जैसा एक मुहावरा है- आसमान से गिरे और खजूर पर लटके. दिल्लीवासियों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है. जो लोग ज्यादा गाल बजाते हैं, एंटी करप्शन की बात करते हैं, वे लोग खुद ही सबसे ज्यादा करप्शन में शामिल दिखाई दे रहे हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">लोगों ने इन्हें 10 साल तक काम करने का मौका दिया. इसके बावजूद क्या कुछ हुआ, ये बात किसी से छिपी हुई नहीं है. बीजेपी का जहां तक सवाल है, उन्हें सरकार में आने का मौका मिला है. लेकिन, ये भी देखना जरूरी है कि बीजेपी का भी पुराना रिकॉर्ड कोई अच्छा नहीं रहा है. अब तो ये आने वाला समय ही बताएगा. लेकिन, जनता ने फिलहाल बीजेपी को अपने सिर माथे बिठाया है. इसका भी हम तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हैं कि सभी को मौका मिलना चाहिए. जनादेश को हम सहर्ष स्वीकार करते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">जो चीजें होनी चाहिए, हमारे अंदर भी कहीं न कहीं कमियां रही हैं. हमलोग ये समझते हैं कि गठबंधन होना जरूरी है और ये हमलोग देशहित में सोचते हैं. लेकिन गठबंधन के सारे साथी ऐसा सोचते भी है या नहीं ये संशय की बात है.</p>
<p style="text-align: justify;"><span style="color: #e03e2d;"><strong>गठबंधन नहीं मजबूरी </strong></span></p>
<p style="text-align: justify;">कई साथी ऐसा भी सोचते हैं कि गठबंधन सत्ता के लिए होता है. हमलोग ये मानते हैं कि गठबंधन जनता को केन्द्र बिन्दु में रखकर होता है और उस नाते गठबंधन किया जाता है. लेकिन लोग इसे कांग्रेस की मजबूरी समझ लेते हैं. लेकिन ये मजबूरी नहीं बल्कि कांग्रेस जनता को केन्द्र बिन्दु में रखकर काम करती है.</p>
<p style="text-align: justify;">ऐसा लगता है कि कोई शक्ति आताताई हो गई है तो उसे शिकस्त देने के लिए इस तरह के गठबंधन तैयार करते हैं, जो पिछले दिनों इंडिया गठबंधन किया गया है. लेकिन कई लोगों को ऐसा लगता है कि वो सत्ता के लिए तैयार किया गया है. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है. लेकिन, जहां तक संगठन की बात है, ये तब तक मजबूत नहीं होगा जब तक कि गठबंधन का इंतजार किया जाता रहेगा. इससे कहीं न कहीं कांग्रेस पार्टी का नुकसान होता है. इसलिए, कांग्रेस पार्टी को सबसे पहले संगठन मजबूत करने की जरूरत है और जब संगठन मजबूत होगा तो स्वभाविक रुप से गठबंधन भी मजबूत होगा.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong><span style="color: #e03e2d;">संगठन मजबूत करने की जरूरत</span></strong></p>
<p style="text-align: justify;">इसके बाद कांग्रेस को न सिर्फ गठबंधन करने में मजा आएगा बल्कि मजबूती के साथ गठबंधन होगा. सहयोगी दलों को भी लगेगा कि गठबंधन करना जरूरी है और कांग्रेस पार्टी को भी लगेगा कि देशहित में कुछ करना जरूरी है. लेकिन, किसी कारणवश ऐसा संभव नहीं हो पाया.</p>
<p style="text-align: justify;">राहुल गांधी ने जिस तरह से 11 हजार किलोमीटर की देशभर में यात्राएं कीं और देश की भावना को जिस तरह से समझने का प्रयास किया, उसके बाद ही इंडिया गठबंधन का प्रयास किया गया और ये साकार रुप लिया.</p>
<p style="text-align: justify;">इसके बाद लोकसभा चुनाव में ये संदेश भी गया कि विपक्ष एक अच्छी लड़ाई लड़ सकता है. महंगाई, बेरोजगारी जैसी जनता के मुद्दा उठाने के बाद केन्द्र सरकार भी अब इन मामलों में अहंकारी की तरह या फिर तानाशाह की तरह से व्यवहार नहीं कर रही है. जब भी राहुल गांधी कोई बात कहते हैं तो सरकार को सोचना पड़ता है कि ये लोग मजबूती के साथ बातों को रख रहे हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">जिस तरह से कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी नेता राहुल गांधी ने पार्टी और संगठन पर फोकस कर रखा है, उतनी ही ईमानदारी से अगर अन्य राज्यों के पार्टी कार्यकर्ता और प्रदेशाध्यक्ष काम करने लगेंगे तो परिणाम बेहतर आएगा.</p>
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<p><strong>[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.] </strong></p>
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Opinion: दिल्ली चुनाव पर कांग्रेस को आत्मचिंतन की जरूरत, लेकिन केजरीवाल का एजेंडा पर्दाफाश
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