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Mahendragarh-Narnaul News: पानी के नमूने में 20 से अधिक गांवों में मिला 2500 से अधिक टीडीएस haryanacircle.com

Mahendragarh-Narnaul News: पानी के नमूने में 20 से अधिक गांवों में मिला 2500 से अधिक टीडीएस  haryanacircle.com

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नारनौल। जिले में लगातार गिरते भूजल स्तर में अब पानी में अशुद्धियों की मात्रा भी बढ़ रही है। यह स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बताया जा रहा है।

जिले में जून से एक जुलाई तक जन स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मोबाइल वैन से गांव-गांव पानी के नमूने लिए गए थे। इनमें 20 से अधिक ऐसे गांव मिले हैं, जहां 2500 से 3000 तक टीडीएस की मात्रा मिली है। पीने के पानी में टीडीएस की मात्रा 50-150 पीपीएम (पार्ट्स प्रति मिलियन) के बीच होनी चाहिए। यह स्तर सबसे उपयुक्त और स्वीकार्य माना जाता है।

ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के मुताबिक एक लीटर पानी में टीडीएस 500 मिलीग्राम से कम होना चाहिए। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक एक लीटर पानी में टीडीएस की मात्रा 300 मिलीग्राम से कम होनी चाहिए। अधिक टीडीएस वाले पानी का सेवन सेहत पर असर डाल सकता है। वहीं बहुत कम टीडीएस का मतलब है कि पानी में पर्याप्त खनिज नहीं हैं।

टीडीएस की मात्रा ज्यादा होने से जठरांत्र संबंधी रोग, गुर्दे की समस्याएं, हृदय रोग और दंत समस्याएं भी हो सकती है। इसके अलावा पानी में हार्डनेस की मात्रा भी देखने को मिली है। इससे त्वचा व बालों संबंधित रोग हो सकते हैं।

इंसेट

निवाजनगर में करीब 3915 टीडीएस

जून में जन स्वास्थ्य विभाग की जांच में निवाजनगर के एक ट्यूबवेल में 3915, मकसूसपुर 1 नियर पौंड में 2856, मकसूसपुर 2 में 2923, बलाहा कला में 2386, भांखरी में 2450, कोरियावास में 2670, अमरपुर जोरासी 2114, बिगोपुर में 2826, गांवड़ी जाट में 3277, हसनपुर में 2410, रामबास में 2486, धनौंता में 2946, आकोली में 2350, मेघोत हाला में 2190, मेई 2755, दौंगड़ा अहीर में 2730, तोबड़ा में 2140, गाहड़ा में 2140, नौताना में 2140, सेहलंग में 2430, बुडिन में 2766, निंबहेड़ा में 2169, खातोदड़ा में 2262 में टीडीएस की मात्रा मिली है।

इंसेट

दौंगड़ा अहीर में 420 के पास पहुंची सल्फेट की मात्रा

जन स्वास्थ्य की जांच में दौंगड़ा अहीर गांव के पानी में सल्फेट की मात्रा करीब 420 मिली है। हालांकि इसके अलावा किसी भी गांव में ज्यादा मात्रा में सल्फेट नहीं मिला। साथ ही गांव के पानी में हार्डनेस की मात्रा भी 640 मिली है, जो सेहत के लिए नुकसानदायक है।

वर्जन:

पानी में टीडीएस और फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होने से मांसपेशियों में दर्द, पथरी, लिवर, किडनी, पेट संबंधित बीमारियों का खतरा बन जाता है। इसलिए टीडीएस की जांच जरूर करवानी चाहिए। इससे पानी की शुद्धता का पता चलता है।-डॉ. जितेंद्र यादव, सीनियर फिजीशियन नागरिक अस्पताल नारनौल।

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