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Mahendragarh-Narnaul News: जेएलएन नहर… क्षमता 1650 क्यूसेक, मिल रहा महज 700 haryanacircle.com

Mahendragarh-Narnaul News: जेएलएन नहर… क्षमता 1650 क्यूसेक, मिल रहा महज 700  haryanacircle.com

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मनोज राजपूत

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महेंद्रगढ़। जिले में विभिन्न प्रकार की नहरी परियोजनाओं पर पिछले पांच सालों में करीब 250 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इन परियोजनाओं में पानी पहुंचाने वाली जेएलएन (जवाहरलाल नेहरू नहर) की 1650 क्यूसेक पानी की क्षमता होने के बावजूद भी करीब 700 क्यूसिक पानी ही मिल रहा है।

नहरी पानी के अभाव के कारण पूरी हो चुकी अधिकांश जल परियोजनाएं सुखी पड़ी हैं। अधिकांश परियोजनाएं जिले को जेएलएन के माध्यम से बारिश के मौसम में तीन माह मिलने वाले अतिरिक्त पानी से भरने के लिए तैयार की गई हैं। वहीं, सिंचाई एवं नहरी विभाग द्वारा विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से उपलब्धता से अधिक क्षमता वाली परियोजनाएं तैयार कर दी हैं।

जिले को क्षमता के अनुसार 1650 क्यूसेक पानी की आवश्यकता

डार्क जोन में शामिल जिले में भूजल स्तर को बढ़ाने व दौहान व कृष्णावती नदियों को पुनर्जिवित करने के लिए करीब 100 करोड़ रुपये से अधिक का बजट विभिन्न परियोजनाओं पर खर्च हो चुका है। अटल भूजल योजना के तहत भी पिछले पांच सालों में करीब 100 करोड़ का बजट विभिन्न परियोजनाएं तैयार की गई हैं। जिले की दौहान व कृष्णावती नदियों को पुनर्जिवित करने के लिए विभिन्न परियोजनाओं पर करीब 100 करोड़ रुपये से अधिक का बजट खर्च हो चुका है। इनमें से गांव माजरा कलां व भगड़ाना की दो परियोजनाओं पर 24 करोड़ खर्च कर जेएलएन नहर से 1600 एमएम परिधि की सीमेंटेड लाइन डालने की एक परियोजना पूरी हुई तथा दूसरी जारी है। इसी माह हुई फ्लड कंट्रोल बोर्ड की बैठक में विभिन्न नहरी एवं बारिश पर आधारित करीब 60 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं को भी स्वीकृति दी जा चुकी है। इसमें पानी स्टोरेज टैंक से लेकर नहरी पानी जोहड़ों में पहुंचाने में खर्च किए जाने हैं। यह अधिकांश परियोजनाएं महज तीन माह के समय में जेएलएन में मिलने वाले अतिरिक्त पानी पर निर्भर हैं।

जेएलएन की क्षमता बढ़ाए बिना पानी पहुंचाना संभव नहीं

वर्तमान समय में जेएलएन के माध्यम से जिले को करीब 700 क्यूसेक पानी ही मिल रहा है। 1650 क्यूसेक की क्षमता होने के बाद भी महज 700 क्यूसेक पानी मिलने के कारण इन परियोजनाओं में ही यह पानी खर्च हो रहा है। परियोजनाओं की आपूर्ति के लिए जिले को करीब 700 हजार क्यूसेक पानी की आवश्यकता है। इतनी परियोजनाएं तो तैयार कर दी, लेकिन इनमें पानी पहुंचाने के लिए जिले को महज जेएलएन का ही सहारा है। इ्रसमें मांग के अनुरूप महज आधा पानी ही उपलब्ध हो पा रहा है। इस बड़ी समस्या को ध्यान में रखते हुए जिम्मेदारों ने जेएलएन की क्षमता बढ़ाने के लिए कभी ध्यान ही नहीं दिया।

पानी मिलने के बाद इस प्रकार होता है वितरण

महेंद्रगढ़ जिले के नारनौल क्षेत्र में सिंचाई विभाग के आंकड़ों के अनुसार कुल 65 नहर, 37 जल शोधन जलघर, 427 जोहड़ व तालाब हैं। ऐसे में इनमें पानी भरने के लिए जिले को जेएलएन में मिलने वाला अधिकांश पानी खपत हो जाता है। जेएलएन में पानी मिलने के बाद प्रथम चरण में जलघरों, द्वितीय चरण में जोहड़ों में पहुंचाया जाता है। जलघरों से नियमित रूप से पेयजल आपूर्ति होने के कारण अधिकांश का वितरण साथ की साथ होता रहता है और 15 दिन बाद नहरी पानी मिलने पर सुख जाते हैं। अधिकांश परियोजनाएं धरातल पर तो उतारी गईं, लेकिन जेएलएन में सीमित पानी होने के कारण पेयजल आपूर्ति ही हो पाती है।

– वर्जन:

सिंचाई विभाग की ओर से गत वर्ष ही जेएलएन की क्षमता बढ़ाई गई है। इसके लिए उठाने के लिए नए पंप लगाए गए थे। साथ ही पंप हाउसों पर अत्याधुनिक उपकरणों सहित सभी प्रकार की व्यवस्थाएं की गई थीं। हालांकि, बारिश के मौसम में करीब तीन माह अतिरिक्त पानी मिलता है। इस दौरान सभी जोहड़ों एवं जल परियोजनाओं के माध्यम से पूरे जिले में वितरण किया जाता है।

-राजेश खत्री, वरिष्ठ अभियंता, सिंचाई एवं नहरी विभाग

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